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सौभाग्य योजना : आजादी के 71 साल बाद वाराणसी के इस गांव में पहुंची बिजली

पीएम मोदी की सौभाग्य योजना का लाभ सीधे लाभार्थियों को मिलने लगा है, जिसका असर वाराणसी के लोहता में देखा जा रहा है. आजादी के 71 साल बाद गांव में बिजली पहुंचने से ग्रामीणों में काफी खुशी भी है.

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Published : Feb 21, 2019, 2:43 PM IST

लाभार्थियों को मिल रहा सौभाग्य योजना का लाभ.

वाराणसी: पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद कई योजनाओं की शुरुआत की गई. इन्हीं योजनाओं में शामिल है पीएम मोदी की सौभाग्य योजना. इस योजना की शुरुआत के साथ ही आम लोगों को भी बिजली मिलने की उम्मीद जगी. केंद्र सरकार की इस योजना का असर ग्रामीण स्तर पर काफी व्यापक तौर पर देखने को मिला. इस योजना की खास बात यह रही कि 2014 में मिले लक्ष्य से भी ज्यादा आंकड़े को इसके तहत पार कर लिया गया.


शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर लोहता के भतसार गांव के जयप्रकाश, माला और मुन्ना कुछ ऐसे नाम हैं, जिन्हें सौभाग्य योजना का लाभ मिलने के बाद इनकी जिंदगी बदल गई. इनमें से जयप्रकाश की गांव में ही चाय और पान की दुकान है. मिट्टी से बनी इनकी कच्ची दुकान, जिसमें कल तक लालटेन के सहारे अंधेरे को दूर करने का काम किया जाता था, लेकिन आज इनकी इस दुकान में बिजली का कनेक्शन भी है और रात के अंधेरे को दूर करने के लिए बल्ब और ट्यूब लाइट भी.

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लाभार्थियों को मिल रहा सौभाग्य योजना का लाभ.


वहीं इस गांव की रहने वाली माला इस बात से बेहद खुश हैं कि आजादी के बाद उनको अपने घर में बिजली का कनेक्शन मिला. वहीं अब माला ने अपने मनोरंजन के लिए टीवी और गर्मी से बचने के लिए पंखा भी ले लिया है. माला का कहना है कि उनके घर में दो महीने पहले ही बिजली का कनेक्शन लगा. उसके बाद से ही उन्हें 18 से 20 घंटे बिजली मिल रही है.


वहीं आज गांव के युवा भी तकनीक के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने को तो तैयार हैं. अब तक बिजली न मिलने की वजह से पीछे रह रहे गांव के युवाओं का कहना है कि आजादी के इतने साल बाद भी गांव में सही से बिजली नहीं पहुंची थी. वहीं आज बिजली के आने से गांव में सारी चीजें सुधर चुकी हैं. अब हम तकनीक का इस्तेमाल भी सही से कर रहे हैं.


सौभाग्य योजना की सफलता इस बात से भी जाहिर हो रही है कि 2014 में सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी शुरुआत की थी. उस समय बनारस को 69,300 से ज्यादा कनेक्शन फ्री में लगाने का टारगेट दिया गया था. इसके बाद यह काम कार्यदाई संस्था के रूप में एक प्राइवेट एजेंसी को काम सौंपा गया. वहीं अब मुफ्त में बिजली कनेक्शन दिए जाने का आंकड़ा टारगेट से भी ज्यादा आगे निकल चुका है. पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के आंकड़ों पर गौर करें तो वाराणसी में 69,300 के मुकाबले अब तक 1,22,309 मुफ्त बिजली कनेक्शन दिए जा चुके हैं. वहीं 593 गांव के 2152 मजरों में अब तक 371 ट्रांसफार्मर लगाए जा चुके हैं.

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वहीं सौभाग्य योजना को लेकर एक अलग से बनाए गए विभाग के सीनियर ऑफिसर का कहना है कि बनारस में जितना टारगेट दिया गया था, उससे कहीं ज्यादा काम किया गया है. यहां अभी तक 371 ट्रांसफॉर्मर लगे हैं, जबकि 1175 ट्रांसफार्मर लगाए जाने का टारगेट है. वहीं अब तक 1405 मजरों में बिजली कनेक्शन मुफ्त में दिए जाने का काम और नए कनेक्शन बिछाए जाने का काम भी पूरा किया जा चुका है. साथ ही करीब 700 मजरे पेंडिंग हैं, जिन पर काम चल रहा है. सौभाग्य योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में काम करने वाली कार्यदाई संस्था के असिस्टेंट मैनेजर सुखबीर सिंह परमार का कहना है कि सौभाग्य योजना ने लोगों की जिंदगी बदल दी है. जो लोग कल तक मूलभूत आवश्यकताओं से दूर थे, आज उनको बिजली कनेक्शन मिलने के बाद टीवी, फ्रिज जैसी चीजें मुहैया हो रही हैं.

वाराणसी: पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद कई योजनाओं की शुरुआत की गई. इन्हीं योजनाओं में शामिल है पीएम मोदी की सौभाग्य योजना. इस योजना की शुरुआत के साथ ही आम लोगों को भी बिजली मिलने की उम्मीद जगी. केंद्र सरकार की इस योजना का असर ग्रामीण स्तर पर काफी व्यापक तौर पर देखने को मिला. इस योजना की खास बात यह रही कि 2014 में मिले लक्ष्य से भी ज्यादा आंकड़े को इसके तहत पार कर लिया गया.


शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर लोहता के भतसार गांव के जयप्रकाश, माला और मुन्ना कुछ ऐसे नाम हैं, जिन्हें सौभाग्य योजना का लाभ मिलने के बाद इनकी जिंदगी बदल गई. इनमें से जयप्रकाश की गांव में ही चाय और पान की दुकान है. मिट्टी से बनी इनकी कच्ची दुकान, जिसमें कल तक लालटेन के सहारे अंधेरे को दूर करने का काम किया जाता था, लेकिन आज इनकी इस दुकान में बिजली का कनेक्शन भी है और रात के अंधेरे को दूर करने के लिए बल्ब और ट्यूब लाइट भी.

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लाभार्थियों को मिल रहा सौभाग्य योजना का लाभ.


वहीं इस गांव की रहने वाली माला इस बात से बेहद खुश हैं कि आजादी के बाद उनको अपने घर में बिजली का कनेक्शन मिला. वहीं अब माला ने अपने मनोरंजन के लिए टीवी और गर्मी से बचने के लिए पंखा भी ले लिया है. माला का कहना है कि उनके घर में दो महीने पहले ही बिजली का कनेक्शन लगा. उसके बाद से ही उन्हें 18 से 20 घंटे बिजली मिल रही है.


वहीं आज गांव के युवा भी तकनीक के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने को तो तैयार हैं. अब तक बिजली न मिलने की वजह से पीछे रह रहे गांव के युवाओं का कहना है कि आजादी के इतने साल बाद भी गांव में सही से बिजली नहीं पहुंची थी. वहीं आज बिजली के आने से गांव में सारी चीजें सुधर चुकी हैं. अब हम तकनीक का इस्तेमाल भी सही से कर रहे हैं.


सौभाग्य योजना की सफलता इस बात से भी जाहिर हो रही है कि 2014 में सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी शुरुआत की थी. उस समय बनारस को 69,300 से ज्यादा कनेक्शन फ्री में लगाने का टारगेट दिया गया था. इसके बाद यह काम कार्यदाई संस्था के रूप में एक प्राइवेट एजेंसी को काम सौंपा गया. वहीं अब मुफ्त में बिजली कनेक्शन दिए जाने का आंकड़ा टारगेट से भी ज्यादा आगे निकल चुका है. पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के आंकड़ों पर गौर करें तो वाराणसी में 69,300 के मुकाबले अब तक 1,22,309 मुफ्त बिजली कनेक्शन दिए जा चुके हैं. वहीं 593 गांव के 2152 मजरों में अब तक 371 ट्रांसफार्मर लगाए जा चुके हैं.

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वहीं सौभाग्य योजना को लेकर एक अलग से बनाए गए विभाग के सीनियर ऑफिसर का कहना है कि बनारस में जितना टारगेट दिया गया था, उससे कहीं ज्यादा काम किया गया है. यहां अभी तक 371 ट्रांसफॉर्मर लगे हैं, जबकि 1175 ट्रांसफार्मर लगाए जाने का टारगेट है. वहीं अब तक 1405 मजरों में बिजली कनेक्शन मुफ्त में दिए जाने का काम और नए कनेक्शन बिछाए जाने का काम भी पूरा किया जा चुका है. साथ ही करीब 700 मजरे पेंडिंग हैं, जिन पर काम चल रहा है. सौभाग्य योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में काम करने वाली कार्यदाई संस्था के असिस्टेंट मैनेजर सुखबीर सिंह परमार का कहना है कि सौभाग्य योजना ने लोगों की जिंदगी बदल दी है. जो लोग कल तक मूलभूत आवश्यकताओं से दूर थे, आज उनको बिजली कनेक्शन मिलने के बाद टीवी, फ्रिज जैसी चीजें मुहैया हो रही हैं.

Intro:सौभाग्य योजना स्पेशल स्टोरी:

एंकर- वाराणसी: 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की बागडोर समारी और बीजेपी सत्ता में आई तो एक के बाद एक कई योजनाओं को लॉन्च किया गया इन योजनाओं में एक ऐसी योजना भी शामिल थी जिसके आने के बाद यह उम्मीद जताई जा रही थी कि बरसों से अंधेरे में पड़े कई गांवों को रोशनी की किरण मिल जाएगी शुरुआती दौर में काम तेजी से शुरू हुआ लेकिन बीच में स्पीड धीमी हो गई और चुनाव नजदीक आने के साथ ही एक बार फिर से इस स्कीम में रफ्तार पकड़ ली है हम बात कर रहे हैं केंद्र सरकार की ओर से संचालित होने वाली सौभाग्य योजना की इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में उन इलाकों को फोकस किया गया जहां अब तक बिजली नहीं पहुंची थी बिजली पहुंचाने के लिए नई लाइन खींचने के साथ ही गरीबों को मीटर लगा कर फ्री विद्युत कनेक्शन देने का काम हुआ जिसका नतीजा यह हुआ कि पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लगभग 593 गांव के 2152 नजरों को रोशन करने का काम इन 5 सालों में किया गया और सबसे बड़ी बात यह है कि काम अभी जारी है.


Body:वीओ-01 शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर लोहता के भतसार गांव के जयप्रकाश माला मुन्ना यह कुछ ऐसे नाम है जिनकी जिंदगी सौभाग्य योजना ने बदल दी है जयप्रकाश गांव में चाय पान की दुकान चलाते हैं सबसे बड़ी बात यह है कि मिट्टी से बनी कच्ची दुकान कल तक डिमरी और लालटेन के बल पर अंधेरे को दूर करने का काम किया जाता था लेकिन आज इनकी इस कच्ची दुकान में बिजली का कनेक्शन भी है और रात के अंधेरे को दूर करने के लिए बल्ब और ट्यूब लाइट ऐसा ही हाल इस गांव की रहने वाली माला का भी है माला इस बात से बेहद खुश है कि आजादी के बाद उनको अपने घर में बिजली का कनेक्शन मिला जिसके बाद उन्होंने सबसे पहले अपना मनोरंजन करने के लिए टीवी खरीदे गर्मी आ रही है तो पंखा भी ले लिया है माला बताती है 2 महीने पहले ही बिजली का कनेक्शन उनके घर में लगा है और उसके बाद लगातार 18 से 20 घंटे बिजली मिल रही है कुछ ऐसा ही कहना है गांव के युवाओं का गांव के युवा आज की तकनीक के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने को तो तैयार हैं लेकिन अब तक बिजली ना मिलने की वजह से या पीछे रह जा रहे थे गांव के युवाओं का कहना है कि आजादी के इतने साल बाद भी हमारे गांव में सही तरीके से बिजली नहीं पहुंची थी कुछ घर में बिजली कनेक्शन था कुछ में नहीं था जहां नहीं था वहां कोई पूछने नहीं आता था और जहां था वहां बिजली दो-तीन घंटे भी मिल जाए तो बड़ी बात होती थी लेकिन आज सारी चीजें सुधर चुकी हैं हम तकनीक का इस्तेमाल बिजली की वजह से कर रहे हैं.

बाईट- माला देवी, सौभग्य योजना लाभार्थी
बाईट- जकयप्रकाश, सौभग्य योजना लाभार्थी


Conclusion:वीओ-02 वही इस योजना की सफलता इस बात से भी जाहिर हो रही है कि 2014 में सरकार बनने के बाद जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सौभाग्य योजना की शुरुआत की तब बनारस को 69,300 से ज्यादा कनेक्शन फ्री में लगाने का टारगेट दिया गया था और कार्यदाई संस्था के रूप में एक प्राइवेट एजेंसी को काम सौंपा गया धीरे धीरे हालात बदलते गए और काम में तेजी आ गई अब जब 2019 लोकसभा चुनाव नजदीक है तो मुफ्त में बिजली कनेक्शन दिए जाने टारगेट ने डूबने से ज्यादा का आंकड़ा पार कर लिया है पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के आंकड़ों पर यदि गौर करें तो वाराणसी में 69300 के मुकाबले अब तक 1,22,309 मुफ्त बिजली कनेक्शन दिए जा चुके हैं. 593 गांव के 2152 मजरों में अब तक 371 ट्रांसफार्मर लगाए जा चुके हैं. सौभाग्य योजना को लेकर एक अलग से बनाए गए विभाग के सीनियर ऑफिसर का कहना है कि बनारस में जितना टारगेट दिया गया था उससे कहीं ज्यादा काम किया गया है 371 ट्रांसफॉर्मर अभी तक लगे हैं जबकि 1175 ट्रांसफार्मर लगाए जाने का टारगेट है वही अब तक 1405 मजरों में बिजली कनेक्शन मुफ्त में दिए जाने का काम और नए कनेक्शन बिछाए जाने का काम भी पूरा किया जा चुका है लगभग 700 मजरे पेंडिंग हैं जिन पर काम चल रहा है. सौभाग्य योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में काम करने वाली कार्यदाई संस्था के असिस्टेंट मैनेजर सुखबीर सिंह परमार का कहना है कि सौभाग्य योजना ने वोटों की जिंदगी बदल दी है जो कल तक जानकारियों से दूर थे आज उनको बिजली कनेक्शन आने के बाद घरों में टीवी फ्रिज सब चीजें मुहैया हो रही हैं समाचारों के माध्यम से लोक जानकारियां हासिल कर रहे हैं कुल मिलाकर कहा जाए सौभाग्य योजना की वजह से बहुत से उन घरों में उजाला हुआ है जो आजादी के बाद अब तक अंधेरे में थे.

बाईट- सुखबीर सिंह परमार, अस्सिटेंट मैनेजर, सौभाग्य योजना कार्यदायी संस्था


गोपाल मिश्र

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