वाराणसी : पीएम मोदी ने गुरुवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी की बेटियों से बात की. पीएम मोदी ने उन बेटियों के हुनर को जाना और पहचाना जो खुद पीएम मोदी के दूरगामी सोच का परिणाम है. आज उसी सोच ने वाराणसी में ग्रामीण अंचल की पांच हजार से अधिक महिलाओं को स्वालम्बी बनाया, जिसके कारण आज वो महिलायें प्रत्येक दिन हजार रूपये से अधिक की कमाई कर रही हैं. इस कमाई का साधान तो उन महिलाओं का हुनर ही बना, लेकिन इस साधन में डिजिटल का तड़का उन्हें आत्मनिर्भर भारत के सपने का अहम हिस्सा बना दिया.
डीजी बुनाई सॉफ्टवेयर से आत्मनिर्भर हो रही बेटियां
वाराणसी के कमिश्नरी सभागार गुरुवार को काशी के बेटियों के हुनर का गवाह बना, जिसमें खुद पीएम नरेंद्र मोदी शामिल हुए. पीएम मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के विकास के साथ-साथ यहां बेटियों और महिलाओं को स्वालम्बी बनाने के लिए काफी संजीदा रहते हैं. लघु भारत कहे जाने वाले इस वाराणसी में लघु उद्योग की भरमार है. लकड़ी के खिलौने, बनारसी सिल्क, मीनाकारी और अन्य हस्तशिल्प कलाएं पुरे दुनिया में मशहूर हैं. इन कलाओं में ज्यादातर कारीगर घर की वो महिलाएं हैं जो गृहणी होने के बावजूद घर के इस कारीगरी में अपनी हिस्सा निभाती चली आ रही हैं, लेकिन ये कारीगरी कभी उनके आजीविका का साधन नहीं बन पाया, लेकिन अब ऐसा नहीं है. पीएम मोदी की पहल के बाद काशी में महिलाओं के हुनर को डिजिटल इंडिया से जोड़ा गया, जिसके लिए बाकायदा सॉफ्वेयर बनाया गया. उस सॉफ्टवेयर का नाम डीजी बुनाई रखा गया. इस सॉफ्वेयर के कारण जो भी महिलाओं बुनाई की कारीगरी करती हैं उन्हें जोड़ा गया और कम्यूटर के माध्यम से इस कारीगरी को आसान बनाया गया.
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पीएम ने बेटियों से की बात
पीएम मोदी ने इसी संस्था द्वारा ट्रेंड की हुई काशी की तीन बेटियों से बात की, जिन्होंने इस सेंटर से अपने हुनर को और निखार दिया. कम उम्र की ये बेटियां आज हुनर के मायने में किसी भी मर्द कारीगर से कम नहीं हैं. साड़ी की बुनाई से लेकर कपड़ों पर चित्र की बुनाई ये लड़कियां तैयार करती हैं. बेटियों ने बताया कि मास्क, फोटोफ्रेम, अशोक स्तम्भ, मां दुर्गा का चित्र ये कम्प्यूटर के डिजाइन द्वारा घंटों में तैयार कर लेती हैं, जबकि ये काम पहले हफ्तों में हुआ करता था. बेटियों ने बताया कि उन्होंने आज पीएम मोदी को अपना हुनर भी दिखाया और पीएम मोदी ने इनके इस हुनर की तारीफ की. बनारस की यें बेटिंया अपने भविष्य को लेकर खुश नजर आ रही है.
5000 महिलाओं ने लिया है प्रशिक्षण
संचालक अजय सिंह ने बताया कि ये सॉफ्टवेयर एक कम्प्यूटर आधारित ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर हैं, जो कि डिजाइन बनाने, उसका नक्शा तैयार करने और साड़ी की डिजाइनिंग में उपयोग किया जाता हैं. इसमें कपड़े की बुनाई से पहले विभिन्न डिजिटल डिजाइन एवं धागों के संयोजन से फैब्रिक तैयार होते हैं. उन्होंने बताया कि इस सॉफ्टवेयर की सहायता से बहुत ही आसानी से, प्रभावी ढंग से, सटीक और समय पर डिजाइन और कपड़ा बन जाता है. इसके ट्रेनिंग के लिए बाकायदा अलग अलग ट्रेनिंग सेंटर भी बनाए गए हैं. इन्ही में से है एक साई इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट द्वारा संचालित और साइंस एवं टेक्नोलॉजी मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से स्थापित रूरल वीमेन टेक्नोलॉजी पार्क, जिसमें महिलाएं डिजिटल इंडिया कारपोरेशन द्वारा बनाये गए डिजि सॉफ्टवेयर के द्वारा डिजाइन बनाई जाती है. अजय सिंह ने बताया कि इस सेंटर में अब तक पांच हजार महिलाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया हैं और आज वो पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन गई हैं.
दिखने लगा है असर
काशी के महिलाओं की इस हुनर को डिजिटल इंडिया से जोड़ने का असर ही है कि आज शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों के महिलाओं के साथ ही बेटियों को भी अब अपनी पुस्तैनी कारीगरी में भविष्य दिखने लगा है, जिसके कारन आज ये महिलायें घर के आर्थिक स्थिती में कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं. पीएम यदि के इस मुहीम में ये कहना अतिश्योक्ति नहीं हैं की वाकई काशी में महिलाओं के दिन बदल रहे हैं.