वाराणसी: वैसे तो कैलेंडर में आमतौर पर 12 महीने ही दिखाई देते हैं, लेकिन 33 महीनों में एक बार एक अतिरिक्त महीना आता है, जो कैलेंडर में तो मौजूद नहीं होता, लेकिन सनातन धर्म में इसका विशेष महत्व माना जाता है. इस महीने को पुरुषोत्तम मास के नाम से जाना जाता है. यह है, पुरुषोत्तम यानी भगवान श्री हरि विष्णु का महीना, जिसकी शुरुआत 18 सितंबर से होने जा रही है. इस एक महीने भगवान श्री हरि विष्णु की उपासना का विशेष फल बताया गया है. धर्म नगरी काशी, जिसे भगवान शिव की नगरी कहा जाता है. यहां एक महीने तक भगवान शिव के आराध्य श्री हरि विष्णु की उपासना होती है, जिनका एक अति प्राचीन मंदिर काशी के गोदौलिया इलाके स्थित हौज कटोरा मोहल्ले में है.
पूरी होती है हर मनोकामना
काशी के इस अति प्राचीन पुरुषोत्तम मंदिर का जिक्र काशी खंड में भी मौजूद है. भगवान त्र्यंबकेश्वर के प्राचीन मंदिर परिसर में स्थित भगवान श्री हरि विष्णु की काले पत्थर की यह भव्य और सुंदर प्रतिमा आप का मन मोह लेगी. ऐसी मान्यता है कि 33 महीने में एक बार पड़ने वाले अधिक मास के दौरान भगवान पुरुषोत्तम के इस स्वरूप का दर्शन करने से हर इच्छा पूरी होती है और भक्तों के सारे दुख दूर हो जाते हैं. यही वजह है कि वाराणसी के इस काशी खंड के अति प्राचीन मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ पहुंचती है. इस दौरान आसपास की दुकानें भगवान विष्णु के अति प्रिय भोग मालपुए की बिक्री से पटी रहती हैं.
भगवान पुरुषोत्तम को प्रिय है मालपुआ
ऐसी मान्यता है कि जिस तरह भगवान श्रीगणेश को मोदक और लड्डू अति प्रिय है, उसी तरह भगवान विष्णु को मालपुआ अधिक पसंद है. पुरुषोत्तम मास में भगवान श्री हरि विष्णु को मालपुआ चढ़ाए जाने का विशेष महत्व बताया गया है. भगवान श्री हरि विष्णु के इस भव्य और अलौकिक स्वरूप का दर्शन पुरुषोत्तम मास में ही काशी के इस मंदिर में होता है. इस अति प्राचीन मंदिर में भगवान श्री हरि विष्णु के 33 नामों के साथ उनके अति प्रिय 33 मालपुए चढ़ाकर उनकी पूजा की जाती है. श्री हरि के 33 नाम जिनका स्मरण इस महीने किया जाता है, वे नाम इस मंदिर की दीवारों पर आपको मिल जाएंगे.
कोरोना संक्रमण पर हावी श्रद्धा
आम दिनों में भगवान पुरुषोत्तम के मंदिर में सन्नाटा रहता है, लेकिन पुरुषोत्तम मास के दौरान इस संकरी गली में भक्तों की भारी भीड़ होती है. हालांकि इस बार कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत मंदिर में भीड़ के साथ प्रसाद चढ़ाने पर प्रशासनिक रोक है. फिर भी भक्तों की श्रद्धा और भावना कोरोना पर हावी दिखाई देती है.
सैकड़ों साल पहले हुआ था मंदिर का निर्माण
काशी खंड के अति प्राचीन पुरुषोत्तम मंदिर का निर्माण भी सैकड़ों साल पहले हुआ था. मंदिर में मौजूद भव्य प्रतिमा कब और कहां मिली? इसका कोई वर्णन नहीं मिलता. काशी खंड के इस अति प्राचीन मंदिर में दर्शन मात्र से भक्तों के सभी कष्ट दूर जरूर होते हैं. वहीं संत समाज के लोगों का भी मानना है कि पुरुषोत्तम मास में काशी के इस अति प्राचीन मंदिर के दर्शन से भक्तों की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती है. साथ ही यह भी मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से ही आर्थिक और शारीरिक हर तरह की मुश्किलों का निवारण होता है.