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सावन का तीसरा सोमवार: श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भक्तों ने यूं किया बाबा भोले का दर्शन - वाराणसी में लॉकडाउन

आज सावन का तीसरा सोमवार है. भक्त वाराणसी स्थित श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर पूजा-अर्चना करते नजर आ रहे हैं. इस बार मंदिरों में कोविड-19 का असर साफ तौर पर देखा जा सकता है.

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सावन के तीसरे सोमवार को भक्तों ने किए बाबा विश्वनाथ के दर्शन.
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Published : Jul 20, 2020, 2:23 PM IST

वाराणसी: सावन माह का आज का तीसरा सोमवार है. सोमवार होने की वजह से शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ जुट रही है. हालांकि कोविड-19 के दौर में हर कोई अपने आप को सुरक्षित रखते हुए दर्शन-पूजन कर रहा है. भोले की नगरी काशी में भी देवाधिदेव महादेव श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भक्त दर्शन-पूजन के लिए पहुंच रहे हैं. सुबह 5 बजे भक्तों के लिए मंदिर खोला गया है और उसके बाद अनवरत रूप से दर्शन-पूजन का क्रम जारी है. वहीं इंद्र देव भी बेहद प्रसन्न हैं. सुबह से ही वाराणसी में बारिश भी हो रही है, जिसकी वजह से भक्त बीच में रुक-रुक कर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंच रहे हैं. वहीं सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए भक्तों को मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है.

सावन के तीसरे सोमवार को भक्तों ने किए बाबा विश्वनाथ के दर्शन.

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर शिव भक्तों के लिए सप्ताह में पांच दिनों के लिए ही खोला जा रहा है. शुक्रवार की रात 10 बजे मंदिर बंद होता है. वहीं सुबह सोमवार के पांच बजे तक मंदिर बंद रह रहता है. सोमवार की सुबह मंगला आरती के बाद भक्तों के लिए मंदिर खोला गया. सावन के तीसरे सोमवार की वजह से दूर-दूर से आने वाले भक्त बाबा विश्वनाथ के दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं. हालांकि भक्तों को थर्मल स्कैनिंग के बाद ही मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है. मंदिर के अंदर लगे ऑटोमेटिक सैनिटाइजेशन मशीन में हाथों को अच्छे से साफ करने के बाद भक्त मंदिर में दर्शन पूजन कर पा रहे हैं. एक बार में मंदिर परिसर में पांच लोगों को ही प्रवेश की अनुमति है. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए गोले बनाए गए हैं.

फिलहाल श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में सावन के दो सोमवार में लगभग 3,000 लोग ही दर्शन कर पाए हैं, जबकि हर साल यह आंकड़ा लाखों में हुआ करता था. प्रत्येक सोमवार को बाबा विश्वनाथ के दरबार में तीन से साढ़े तीन लाख भक्त माथा टेकते थे, जिनमें कांवरियों की बड़ी संख्या होती थी, लेकिन इस बार कांवरिया बाबा दरबार में नहीं आ रहे हैं, उनके आने पर लगी रोक की वजह से भक्त काफी निराश हैं. हालांकि जो आसपास और दूसरे जिले के भक्त हैं, वह बाबा दरबार में पहुंचकर अपनी मुराद मांग रहे हैं.

वाराणसी: सावन माह का आज का तीसरा सोमवार है. सोमवार होने की वजह से शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ जुट रही है. हालांकि कोविड-19 के दौर में हर कोई अपने आप को सुरक्षित रखते हुए दर्शन-पूजन कर रहा है. भोले की नगरी काशी में भी देवाधिदेव महादेव श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भक्त दर्शन-पूजन के लिए पहुंच रहे हैं. सुबह 5 बजे भक्तों के लिए मंदिर खोला गया है और उसके बाद अनवरत रूप से दर्शन-पूजन का क्रम जारी है. वहीं इंद्र देव भी बेहद प्रसन्न हैं. सुबह से ही वाराणसी में बारिश भी हो रही है, जिसकी वजह से भक्त बीच में रुक-रुक कर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंच रहे हैं. वहीं सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए भक्तों को मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है.

सावन के तीसरे सोमवार को भक्तों ने किए बाबा विश्वनाथ के दर्शन.

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर शिव भक्तों के लिए सप्ताह में पांच दिनों के लिए ही खोला जा रहा है. शुक्रवार की रात 10 बजे मंदिर बंद होता है. वहीं सुबह सोमवार के पांच बजे तक मंदिर बंद रह रहता है. सोमवार की सुबह मंगला आरती के बाद भक्तों के लिए मंदिर खोला गया. सावन के तीसरे सोमवार की वजह से दूर-दूर से आने वाले भक्त बाबा विश्वनाथ के दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं. हालांकि भक्तों को थर्मल स्कैनिंग के बाद ही मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है. मंदिर के अंदर लगे ऑटोमेटिक सैनिटाइजेशन मशीन में हाथों को अच्छे से साफ करने के बाद भक्त मंदिर में दर्शन पूजन कर पा रहे हैं. एक बार में मंदिर परिसर में पांच लोगों को ही प्रवेश की अनुमति है. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए गोले बनाए गए हैं.

फिलहाल श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में सावन के दो सोमवार में लगभग 3,000 लोग ही दर्शन कर पाए हैं, जबकि हर साल यह आंकड़ा लाखों में हुआ करता था. प्रत्येक सोमवार को बाबा विश्वनाथ के दरबार में तीन से साढ़े तीन लाख भक्त माथा टेकते थे, जिनमें कांवरियों की बड़ी संख्या होती थी, लेकिन इस बार कांवरिया बाबा दरबार में नहीं आ रहे हैं, उनके आने पर लगी रोक की वजह से भक्त काफी निराश हैं. हालांकि जो आसपास और दूसरे जिले के भक्त हैं, वह बाबा दरबार में पहुंचकर अपनी मुराद मांग रहे हैं.

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