लखनऊः प्रदेश के बेसिक, माध्यमिक, सीबीएसई, आईसीएसई बोर्ड के विद्यालयों में छात्रों के ऑटोमेटिक परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (APAAR) आईडी बनाना विद्यालयों के लिए सिर दर्द बन गया है. मौजूदा समय में प्रदेश के करीब 50 फ़ीसदी से अधिक बच्चों की अपार आईडी नहीं बन पाई है. इसका मुख्य कारण बच्चों व उनके माता-पिता के आधार कार्ड वह बच्चों के बर्थ सर्टिफिकेट में दर्ज जानकारी का सही नहीं होना है.
अभी तक सिर्फ 2 करोड़ बच्चों के बन पाई आईडीः बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी विद्यालयों में 31 जनवरी तक हर हाल में अपार आईडी बनाने की प्रक्रिया पूरा करने का निर्देश दिया था. कई जिलों में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों द्वारा प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों के वेतन रोके गए हैं, साथ ही प्राइवेट विद्यालयों को नोटिस भी जारी किया गया है. वहीं, अपार आईडी को लेकर जो प्रैक्टिकल प्रॉब्लम सामने आ रही है, उसे दूर करने के लिए सरकार व विभाग की तरफ से किसी भी प्रकार का सहयोग विद्यालयों और शिक्षकों को नहीं मुहैया कराया जा रहा है. प्रदेश में करीब 5 करोड़ से अधिक विद्यार्थी बेसिक, माध्यमिक और विभिन्न बोर्ड में अध्यनरत हैं. प्रदेश में करीब 2 करोड़ से अधिक छात्रों के ही अपार आईडी अभी तक मुश्किल बन पाए हैं.
सहमति पत्र से लेकर सर्वर की दिक्कतः केंद्र सरकार के निर्देश पर वन नेशन वन स्टूडेंट आईडी योजना के तहत छात्र के शैक्षिक विवरण को डिजिटल तौर पर सुरक्षित रखने के इरादे से अपार आईडी बनाने की प्रक्रिया पूरे प्रदेश में शुरू हुई है. इसको लेकर प्रदेश सरकार पर काफी दबाव है. विद्यालयों में मौजूद छात्रों के डाटा और जानकारी सही नहीं होने के कारण यह प्रक्रिया काफी स्लो गति से चल रही है.
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के संरक्षक और सदस्य विधान परिषद राज बहादुर चंदेल की तरफ से महानिदेशक स्कूल शिक्षा को इस संबंध में पत्र लिखकर अपार आईडी बनाने में आ रही दिक्कतों से अवगत कराया गया है. उन्होंने महानिदेशक को लिखे पत्र में कहा है कि प्रदेश के विभिन्न जनपदों से प्राप्त हो रही सूचना शिक्षकों द्वारा अध्ययन कर रहे छात्र-छात्राओं की अपार आईडी बनाने का कार्य किया जा रहा है. लेकिन इसमें अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है. जैसे संबंधित अभिभावकों द्वारा सहमति पत्र समय से प्रदान न किया जाना, छात्र-छात्राओं के जन्म तिथि, नाम, आधार कार्ड में भिन्नता तथा सरवर का समय से ना चलने के कारण यह काम लगातार बाधित हो रहा है.
अपडेट के लिए परेशान हो रहे अभिभावक और शिक्षकः माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय मंत्री संजय द्विवेदी ने बताया कि अभिभावकों की सबसे बड़ी परेशानी जन्म प्रमाण पत्र और आधार अपडेट करने को लेकर है. ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में आधार अपडेट करने के केंद्र बंद कर दिए गए हैं. अभिभावक डाकघर और बैंकों के लगातार चक्कर लगा रहे हैं लेकिन वहां समय न मिलने के कारण यह प्रक्रिया लगतार लंबित है. उन्होंने बताया कि आधार अपडेट करने जा रहे अभिभावक को से जन्म प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है, जो मैन्युअल दे रहे हैं. उनसे डिजिटल प्रमाण पत्र की कॉपी मांगी जा रही है. डिजिटल प्रमाण पत्र कॉपी बनवाने के लिए विभावक तहसील नगर निगम में एफिडेविट बनवाने के बाद लगातार चक्कर काट रहे हैं. संजय द्विवेदी ने बताया कि इसके अलावा कई छात्रों के स्कूल के रजिस्टर और आधार में जन्मतिथि भी अलग-अलग दर्ज है. ज्यादातर के पास जन्म प्रमाण पत्र भी नहीं है. अगर है तो आधार और जन्म प्रमाण पत्र में अंतर है. इसे ही सही करना एक सबसे बड़ी चुनौती बन गया है.
अभिभावक आधार में नहीं करा रहे संशोधनः संजय द्विवेदी ने बताया कि ग्रामीण परिवेश में छात्रों के आधार संशोधन में सबसे बड़ी दिक्कत सरकारी योजनाओं का लाभ लेना आ रहा है. उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोग आधार अपडेट करने से डर रहे हैं. उनका कहना है कि प्रदेश और केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के लाभ के लिए उनके आधार पहले ही लगे हुए हैं. अगर वह आधार को अपडेट करते हैं तो उन्हें उन योजनाओं से वंचित होना पड़ सकता है. ऐसे में शिक्षकों द्वारा लगातार समझने के बाद भी अभिभावक आधार अपडेट करने या जन्म प्रमाण पत्र सहित छोटी-छोटी जानकारी को सही करने में रुचि नहीं दिख रहे हैं. जिसके कारण अपार आईडी बनाने की प्रक्रिया काफी सुस्त चल रही है. संजय द्विवेदी ने बताया कि अपार के लिए केंद्र सरकार ने आधार की अनिवार्यता की बात नहीं कही है. लेकिन सरकारी और निजी स्कूलों में आधार अनिवार्य तौर पर मांगा जा रहा है. बिना आधार के अपार आईडी नहीं बन रहे हैं.
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यह दिक्कत आ रही है सामने
- डेट ऑफ बर्थ सर्टिफिकेट के अभाव में आधार कार्ड नहीं बन रहे.
- स्कूल रिकॉर्ड और आधार में नाम अलग-अलग दर्ज हैं.
- कुछ छात्रों के आधार कार्ड में उनका लिंग भी गलत लिखा हुआ है.
- स्कूल रिकॉर्ड और आधार के रिकॉर्ड में डेट ऑफ बर्थ में काफी अंतर है.
- कुछ बच्चों ने बिना नाम कटवाए दूसरे स्कूलों में प्रवेश ले लिया है दोनों जगह नाम होने से आईडी नहीं बन पा रही है.