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वाराणसी: महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में मनाई गई चंद्रशेखर आजाद की जयंती

यूपी के वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में चंद्रशेखर आजाद की जयंती मनाई गई. विद्यापीठ के छात्र संघ भवन में स्थापित चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा पर विद्यार्थियों ने माल्यार्पण किया .साथ ही छात्रों ने चंद्रशेखर आजाद के आदर्शों को याद किया.

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Published : Jul 24, 2020, 5:18 PM IST

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महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में मनाई गई चंद्रशेखर आजाद की जयंती

वाराणसी: प्रदेश में 23 जून को हर्षोल्लास के साथ चंद्रशेखर जयंती मनाई जा रही है. लोग स्वतंत्रता सेनानी आजाद के पद चिन्हों को याद कर उस पर चलने की प्रेरणा ले रहे. इसी क्रम में वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के छात्र संघ भवन में स्थापित चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा पर विद्यार्थियों ने माल्यार्पण कर उनके आदर्शों को याद किया.

इस दौरान छात्रसंघ अध्यक्ष संदीप यादव ने कहा कि आजादी की लड़ाई में बहुत सारे क्रांतिकारियों ने अपना खून बहाया, तब जाकर हमारा देश आजाद हुआ है. इन्हीं स्वतंत्रता सेनानियों में से एक चंद्रशेखर आजाद थे. जिन्होंने अपने खून से देश के युवाओं को वह जुनून दिया. उन्होंने देश को अंग्रेजों से आजाद कराया. काशी विद्यापीठ से ही उन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ बिगुल फूंका था. यह उनकी कर्मभूमि है. हम सभी लोग उनके बताए आदर्श पर चलने की कोशिश करते हैं. यदि देश का हर युवा उनके आदर्शों पर चलना सीख जाए, तो हमारा भारत फिर से पुराना और मजबूत भारत बनेगा.

वहीं छात्रसंघ कोषाध्यक्ष प्रोफेसर सुरेश चंद्र चौबे ने बताया कि चंद्रशेखर आजाद गरम दल के नेता थे. वह संस्कृत की शिक्षा ग्रहण करने के लिए काशी आए थे. यहीं से उन्होंने अध्ययन का काम शुरू किया और यह उनकी कर्मभूमि बन गई. उस समय देश की स्थिति बेहद खराब थी. जिसकी वजह से उनकी शिक्षा सुचारू रूप से नहीं चल सकी और वह स्वतंत्रता संग्राम की आग में कूद पड़े. अपनी अंतिम सांस तक देश के स्वाभिमान के लिए लड़ते रहे.

वाराणसी: प्रदेश में 23 जून को हर्षोल्लास के साथ चंद्रशेखर जयंती मनाई जा रही है. लोग स्वतंत्रता सेनानी आजाद के पद चिन्हों को याद कर उस पर चलने की प्रेरणा ले रहे. इसी क्रम में वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के छात्र संघ भवन में स्थापित चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा पर विद्यार्थियों ने माल्यार्पण कर उनके आदर्शों को याद किया.

इस दौरान छात्रसंघ अध्यक्ष संदीप यादव ने कहा कि आजादी की लड़ाई में बहुत सारे क्रांतिकारियों ने अपना खून बहाया, तब जाकर हमारा देश आजाद हुआ है. इन्हीं स्वतंत्रता सेनानियों में से एक चंद्रशेखर आजाद थे. जिन्होंने अपने खून से देश के युवाओं को वह जुनून दिया. उन्होंने देश को अंग्रेजों से आजाद कराया. काशी विद्यापीठ से ही उन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ बिगुल फूंका था. यह उनकी कर्मभूमि है. हम सभी लोग उनके बताए आदर्श पर चलने की कोशिश करते हैं. यदि देश का हर युवा उनके आदर्शों पर चलना सीख जाए, तो हमारा भारत फिर से पुराना और मजबूत भारत बनेगा.

वहीं छात्रसंघ कोषाध्यक्ष प्रोफेसर सुरेश चंद्र चौबे ने बताया कि चंद्रशेखर आजाद गरम दल के नेता थे. वह संस्कृत की शिक्षा ग्रहण करने के लिए काशी आए थे. यहीं से उन्होंने अध्ययन का काम शुरू किया और यह उनकी कर्मभूमि बन गई. उस समय देश की स्थिति बेहद खराब थी. जिसकी वजह से उनकी शिक्षा सुचारू रूप से नहीं चल सकी और वह स्वतंत्रता संग्राम की आग में कूद पड़े. अपनी अंतिम सांस तक देश के स्वाभिमान के लिए लड़ते रहे.

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