वाराणसी: भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती 25 दिसंबर को है. उन्होंने अपनी कर्मभूमि में काशी हिंदू विश्वविद्यालय (Kashi Hindu University) की स्थापना की थी. महामना की जयंती से 1 दिन पहले ही विश्वविद्यालय के फाइन आर्ट्स के छात्रों ने गंगा किनारे रेत पर उनकी आकृति बनाई.
रेत पर छात्रों द्वारा उकेरी गई पंडित मदन मोहन मालवीय की आकृति (Bharat Ratna Pandit Madan Mohan Malaviya figure) लगभग 5 फीट ऊंची और 10 फीट चौड़ी है. उनकी यह 161वीं जयंती के पूर्व बीएचयू के छात्र-छात्राओं ने मिलकर इस आकृति को बनाया है. इस आकृति को बनाने में लगभग 4 से 5 घंटे का समय लगा. हर-हर महादेव और मालवीय जी अमर रहें के उद्घोष से क्षेत्र गूंज उठा. महामना की कामना सदभावना के नारे लगाए गए. कलाकार इंद्रपाल, शालिनी, प्रगति और मुस्कान ने इस आकृति को बनाया है.
सन् 1916 में पंडित मदन मोहन मालवीय (Bharat Ratna Pandit Madan Mohan Malviya) ने काशी की पवित्र भूमि पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी. अंग्रेजों के शासनकाल में इतने बड़े विश्वविद्यालय की स्थापना कर महामना ने देश को एक ऐसी संस्था दी, जो जीवन पर्यंत देश के प्रति उनकी श्रद्धा-निष्ठा और देशभक्ति की याद दिलाता रहेगा.
छात्रा (Sand art of students in varanasi) शालिनी ने बताया कि भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय की वजह से ही वह काशी हिंदू विश्वविद्यालय जैसे महान यूनिवर्सिटी में पढ़ रही हैं. सभी फाइन आर्ट्स के स्टूडेंट ने शनिवार को इनकी आकृति बनाई. सभी छात्रों उन्हें याद किया और श्रद्धांजलि अर्पित की. मालवीय जी की देन है कि फाइन आर्ट्स के क्षेत्र में हम लोग आगे बढ़ रहे हैं.
छात्रा अंजली गुप्ता ने बताया कि हमने मालवीय जी की विशाल आकृति रेत पर (Pandit Madan Mohan Malviya figure on sand) बनाई है. इसे बनाकर हमें बहुत ही अच्छा लगा. क्योंकि, उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की और यह हमारा सौभाग्य था कि हमें इनकी आकृति बनाने का मौका मिला. हम सब उनकी जयंती की पूर्व भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय को याद किया है.
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