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वाराणसी: बाढ़ ने छीनी बनारसी मिठास, ठप हुआ पान का कारोबार

देश में बाढ़ का कहर अपने चरम पर है. जहां एक तरफ इसका असर लोगों की जिंदगी पर पड़ रहा है. वहीं, पान के कारोबार के ठप होने से दुनिया भर में प्रसिद्ध बनारसी पान की मिठास को भी फीका कर दिया है.

बाढ़ की बजह से पान के कारोबार पर पड़ा असर.
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Published : Aug 17, 2019, 11:41 AM IST

वाराणसी: कहते हैं जब तक पान मुंह में घुला न हो और कुछ ज्ञानवर्धक बातें न मिल जाए. तब तक आप समझ नहीं सकते कि आप बनारस में हैं, क्योंकि मुंह में पान हर बनारसी की मिठास की पहचान है, लेकिन बाढ़ की वजह से इस मिठास में कमी आती जा रही है.

बाढ़ की बजह से पान के कारोबार पर पड़ा असर.

बाढ़ की चपेट में पान-सुपारी राज्य
देश के अधिकांश राज्य बाढ़ की चपेट में हैं. पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार और असम में जल प्रलय की स्थति है, जिससे यहां से देश के कोने-कोने में पहुंचने वाली पान-सुपारी की फसलें बर्बाद हो गई हैं.

इसे भी पढ़े: जल है तो कल है: गहरा सकता है वाराणसी में जल संकट

सप्लाई की कमी से बढ़ी पान की कीमत
बाढ़ में पान की फसल बर्बाद होने के बाद जो भी माल सप्लाई हो रहा है, उसकी कीमत बढ़ गई है, जिसके कारण रिटेल कारोबारियों को बेचना और खरीदना भी मुश्किल हो गया है. पहले जहां 200 से 250 रुपये में सैकड़ों पान के पत्ते आसानी से मिल जाते थे. अब उसी के लिए 400 से 450 रुपये रेट देना पड़ रहा है. वहीं असम से आने वाली सुपारी की कीमत भी लगभग दुगनी हो गई है.

सबसे बड़ी पान मंडी में ठप पड़ा काम
बनारस की पान दरीबा मंडी पूर्वांचल में ही नहीं देश की सबसे बड़ी पान मंडी मानी जाती है. जहां से पान के पत्तों को पकाने के बाद उसे बनारसी रूप देने का काम किया जाता है. बनारस की इस मंडी में बंगाल, बिहार और उड़ीसा से पान के पत्ते आते हैं. इन राज्यों से आने वाले पान के पत्तों को मगही, साची और जगन्नाथी के नाम से जाना जाता है. इन दिनों मंडी में इन तीनों पान के पत्तों की शॉर्टेज है.

परेशान हैं पान के शौकीन
पान की सप्लाई में कमी और बड़ती किमतों से पान के शौकीन भी परेशान हैं. यह कह सकते हैं कि राज्यों में आई बाढ़ का असर बनारस के पान के व्यापार पर जबरदस्त तरीके से पढ़ा है, जिसने पान के स्वाद को फीका कर दिया है.

वाराणसी: कहते हैं जब तक पान मुंह में घुला न हो और कुछ ज्ञानवर्धक बातें न मिल जाए. तब तक आप समझ नहीं सकते कि आप बनारस में हैं, क्योंकि मुंह में पान हर बनारसी की मिठास की पहचान है, लेकिन बाढ़ की वजह से इस मिठास में कमी आती जा रही है.

बाढ़ की बजह से पान के कारोबार पर पड़ा असर.

बाढ़ की चपेट में पान-सुपारी राज्य
देश के अधिकांश राज्य बाढ़ की चपेट में हैं. पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार और असम में जल प्रलय की स्थति है, जिससे यहां से देश के कोने-कोने में पहुंचने वाली पान-सुपारी की फसलें बर्बाद हो गई हैं.

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सप्लाई की कमी से बढ़ी पान की कीमत
बाढ़ में पान की फसल बर्बाद होने के बाद जो भी माल सप्लाई हो रहा है, उसकी कीमत बढ़ गई है, जिसके कारण रिटेल कारोबारियों को बेचना और खरीदना भी मुश्किल हो गया है. पहले जहां 200 से 250 रुपये में सैकड़ों पान के पत्ते आसानी से मिल जाते थे. अब उसी के लिए 400 से 450 रुपये रेट देना पड़ रहा है. वहीं असम से आने वाली सुपारी की कीमत भी लगभग दुगनी हो गई है.

सबसे बड़ी पान मंडी में ठप पड़ा काम
बनारस की पान दरीबा मंडी पूर्वांचल में ही नहीं देश की सबसे बड़ी पान मंडी मानी जाती है. जहां से पान के पत्तों को पकाने के बाद उसे बनारसी रूप देने का काम किया जाता है. बनारस की इस मंडी में बंगाल, बिहार और उड़ीसा से पान के पत्ते आते हैं. इन राज्यों से आने वाले पान के पत्तों को मगही, साची और जगन्नाथी के नाम से जाना जाता है. इन दिनों मंडी में इन तीनों पान के पत्तों की शॉर्टेज है.

परेशान हैं पान के शौकीन
पान की सप्लाई में कमी और बड़ती किमतों से पान के शौकीन भी परेशान हैं. यह कह सकते हैं कि राज्यों में आई बाढ़ का असर बनारस के पान के व्यापार पर जबरदस्त तरीके से पढ़ा है, जिसने पान के स्वाद को फीका कर दिया है.

Intro:स्पेशल स्टोरी

वाराणसी: कहते हैं जब तक पांच मुंह में भुला ना हो और कुछ ज्ञानवर्धक बातें ना मिल जाए तब तक आप मत समझ लेना कि आप बनारस हैं क्योंकि मुंह में पान बुलाकर कोई बनारसी ही अपने अंदाज में आपको ज्ञान की बातें बता सकता है लेकिन इन दिनों इस बनारसी पान का स्वाद कुछ सीखा हो गया है इसकी बड़ी वजह है अलग-अलग राज्यों में आने वाली बाढ़. भारत के अधिकांश हिस्से बाढ़ की चपेट में हैं, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार असम समेत कई हिस्सों में जल प्रलय की स्थिति है. तबाही इस कदर है कि बहुत से लोगों को अपना घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा है, अब तक सैकड़ों जानें जा चुकी हैं और किसानों की फसलें भी बर्बाद हो गई है. इसका असर एक तरफ जहां इन राज्यों में रहने वाले लोगों की जिंदगी में पड़ा है वहीं बनारस के पान का स्वाद भी फीका हो गया है. इसकी बड़ी वजह यह है कि बनारस में आने वाले पान के पत्ते सुपारी बाढ़ प्रभावित इन्हीं राज्यों से बनारस पहुंचते हैं.


Body:वीओ-01 दरअसल बनारस की पान दरीबा मंडी पूर्वांचल ही नहीं देश की सबसे बड़ी पान मंडी मानी जाती है यह होलसेल बाजार है जहां से पान के पत्तों को पकाने के बाद उसे बनारसी रूप देने का काम किया जाता है बनारस की इस मंडी में बंगाल बिहार उड़ीसा से पान के पत्ते आते हैं इन राज्यों से आने वाले पान के पत्तों को मगही, साची और जगन्नाथी के नाम से जाना जाता है, लेकिन इन दिनों इन तीनों पान के पत्तों की शॉर्टेज इस मंडी में है इसकी बड़ी वजह यह है कि उड़ीसा बिहार और बंगाल के अधिकांश हिस्से बाढ़ की चपेट में है बाढ़ की चपेट में होने की वजह से इन इलाकों से आने वाले पान के पत्ते आही नहीं पा रहे हैं फसलें बर्बाद होने की वजह से भी सप्लाई प्रभावित हुई है जिसके कारण जो माल आ रहा है उसकी कीमत काफी हाई है जिसे रिटेल कारोबारियों को बेचना और उनके लिए से खरीदना भी मुश्किल होता जा रहा है.

बाईट- विनोद गुप्ता, पान कारोबारी
बाईट- रिंकू साहू, मंत्री, वाराणसी पान मैटेरियल एसोसिएशन


Conclusion:वीओ-02 पान कारोबारियों की मानें तो जहां पहले जो समय में 200 से ढाई सौ रुपए सैकड़े पान के पत्ते आसानी से मिलते थे उन्हें इस समय 400 से 450 रुपये रेट देना पड़ रहा है, वहीं असम में बाढ़ का असर यहां आने वाली सुपारी पर देख रहा है सुपारी की कीमत भी लगभग दुगनी हो गई है जिसके कारण पान का स्वाद पूरी तरह से खराब हो रहा है बनारस में पान के शौकीन इससे बेहद खफा हैं. कुल मिलाकर बात की जाए तो बाढ़ का असर बनारस के पान पर जबरदस्त तरीके से पढ़ा है और बाढ़ ने इसका स्वाद फीका कर दिया है.

बाईट- ललित, पान प्रेमी

गोपाल मिश्र

9839809074
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