वाराणसी: कहते हैं जब तक पान मुंह में घुला न हो और कुछ ज्ञानवर्धक बातें न मिल जाए. तब तक आप समझ नहीं सकते कि आप बनारस में हैं, क्योंकि मुंह में पान हर बनारसी की मिठास की पहचान है, लेकिन बाढ़ की वजह से इस मिठास में कमी आती जा रही है.
बाढ़ की चपेट में पान-सुपारी राज्य
देश के अधिकांश राज्य बाढ़ की चपेट में हैं. पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार और असम में जल प्रलय की स्थति है, जिससे यहां से देश के कोने-कोने में पहुंचने वाली पान-सुपारी की फसलें बर्बाद हो गई हैं.
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सप्लाई की कमी से बढ़ी पान की कीमत
बाढ़ में पान की फसल बर्बाद होने के बाद जो भी माल सप्लाई हो रहा है, उसकी कीमत बढ़ गई है, जिसके कारण रिटेल कारोबारियों को बेचना और खरीदना भी मुश्किल हो गया है. पहले जहां 200 से 250 रुपये में सैकड़ों पान के पत्ते आसानी से मिल जाते थे. अब उसी के लिए 400 से 450 रुपये रेट देना पड़ रहा है. वहीं असम से आने वाली सुपारी की कीमत भी लगभग दुगनी हो गई है.
सबसे बड़ी पान मंडी में ठप पड़ा काम
बनारस की पान दरीबा मंडी पूर्वांचल में ही नहीं देश की सबसे बड़ी पान मंडी मानी जाती है. जहां से पान के पत्तों को पकाने के बाद उसे बनारसी रूप देने का काम किया जाता है. बनारस की इस मंडी में बंगाल, बिहार और उड़ीसा से पान के पत्ते आते हैं. इन राज्यों से आने वाले पान के पत्तों को मगही, साची और जगन्नाथी के नाम से जाना जाता है. इन दिनों मंडी में इन तीनों पान के पत्तों की शॉर्टेज है.
परेशान हैं पान के शौकीन
पान की सप्लाई में कमी और बड़ती किमतों से पान के शौकीन भी परेशान हैं. यह कह सकते हैं कि राज्यों में आई बाढ़ का असर बनारस के पान के व्यापार पर जबरदस्त तरीके से पढ़ा है, जिसने पान के स्वाद को फीका कर दिया है.