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बनारस में अग्निपथ भर्ती योजना, कन्फ्यूजन बाकी है मगर सेना की वर्दी युवाओं को एग्जाम सेंटर तक खींच लाई

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Published : Nov 16, 2022, 2:50 PM IST

जुलाई 2022 में अग्निपथ भर्ती योजना (agnipath recruitment scheme) के ऐलान के बाद अभ्यर्थियों ने पूरे देश में बवाल काटा था. हालांकि भर्ती की प्रक्रिया शुरू होने पर बड़ी संख्या में अभ्यर्थी एग्जाम में शामिल होने आ गए हैं. वाराणसी में अग्निपथ भर्ती योजना (agnipath recruitment scheme) के तहत सेना में भर्ती के इरादे से आए युवाओं से ईटीवी भारत ने पूछा कि जब अग्निवीर का इतना विरोध तो अब जोश और जज्बा क्यों. इस सवाल का जवाब काफी रोचक है..आप भी पढ़ें

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अग्निपथ भर्ती योजना

वाराणसी: सेना का नाम आते ही हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. यही वजह है कि जब सेना में भर्ती प्रक्रिया की बात आती है तो युवा बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. मगर जब केंद्र सरकार ने अग्निपथ भर्ती योजना (agnipath recruitment scheme) लागू की थी, तब इस फैसले के बाद जमकर हंगामा हुआ. हर तरफ तोड़फोड़ और आगजनी हुई. सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया. लेकिन जब अग्निपथ भर्ती योजना (agnipath recruitment scheme) के तहत सरकार ने भर्ती की प्रक्रिया शुरू की तो युवाओं ने इसके जरिये ही सपने को पूरा करने की प्लानिंग की. यही वजह है कि वाराणसी में बुधवार से शुरू हुई अग्निपथ भर्ती योजना के तहत अग्निवीर (agniveer) बनने के लिए बड़ी संख्या में युवा भर्ती प्रक्रिया में हिस्सा लेने पहुंच रहे हैं.

बुधवार को अग्निपथ भर्ती योजना (agnipath recruitment scheme) के तहत सेना भर्ती प्रक्रिया का पहला दिन था. पहले दिन गोरखपुर के चौरी चौरा और बांसगांव तहसील से लगभग 4000 अभ्यर्थियों को बुलाया गया था. मंगलवार रात से ही रिपोर्टिंग के बाद रणबांकुरे स्टेडियम में फिजिकल टेस्ट और दौड़ के लिए जुटे हुए हैं.

बता दें अग्निपथ भर्ती योजना (agnipath recruitment scheme) के तहत सेना में भर्ती किए गए अग्निवीर को शुरुआती तौर पर सिर्फ 4 साल की नौकरी का मौका मिलेगा. हालांकि सरकार ने साफ किया है कि 25 प्रतिशत अच्छे कैंडिडेट के सर्विस को विस्तार दिया जाएगा यानी उनकी नौकरी भी आगे बढ़ेगी. इसके अलावा सेना में 4 साल का वक्त पूरा करके निकलने वालों को उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य सरकारी विभागों की नौकरियों में तवज्जो दिया जाएगा.

बनारस में अग्निपथ भर्ती योजना को लेकर गोपाल मिश्रा की स्पेशल रिपोर्ट

वाराणसी आए अभ्यर्थियों का कहना है कि भले ही वह अग्निपथ योजना के तहत भर्ती के लिए आए हैं, मगर अभी भी उनके मन में इस स्कीम और नौकरी को लेकर काफी कन्फ्यूजन है. हालांकि उनका कहना है कि सेना की वर्दी का जुनून और जज्बा ही उन्हें भर्ती केंद्र तक खींच लाया है. गोरखपुर से आए शिवशांत यादव ने बताया कि युवा सेना में भर्ती के लिए एनसीसी में मेहनत की थी. इसके अलावा तैयारी में अलग समय दिया. कुल 5 से 6 साल तक मेहनत करने के बाद अगर परमानेंट नौकरी नहीं मिले तो बुरा तो लगता है. हालांकि शिवशांत ने कहा कि सरकार ने बताया कि वह 25 फीसदी अच्छे सैनिक को परमानेंट तौर पर रखेगी. इसका फायदा सेना को मिलेगा, क्योंकि परफेक्ट लोग ही सेवा में रहेंगे.

पढ़ें : 'अग्निवीर' बनने को बेताब युवा, कहा- टैंक देखकर मिलती है एनर्जी, सेना की वर्दी पहनना गर्व की बात

वाराणसी: सेना का नाम आते ही हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. यही वजह है कि जब सेना में भर्ती प्रक्रिया की बात आती है तो युवा बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. मगर जब केंद्र सरकार ने अग्निपथ भर्ती योजना (agnipath recruitment scheme) लागू की थी, तब इस फैसले के बाद जमकर हंगामा हुआ. हर तरफ तोड़फोड़ और आगजनी हुई. सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया. लेकिन जब अग्निपथ भर्ती योजना (agnipath recruitment scheme) के तहत सरकार ने भर्ती की प्रक्रिया शुरू की तो युवाओं ने इसके जरिये ही सपने को पूरा करने की प्लानिंग की. यही वजह है कि वाराणसी में बुधवार से शुरू हुई अग्निपथ भर्ती योजना के तहत अग्निवीर (agniveer) बनने के लिए बड़ी संख्या में युवा भर्ती प्रक्रिया में हिस्सा लेने पहुंच रहे हैं.

बुधवार को अग्निपथ भर्ती योजना (agnipath recruitment scheme) के तहत सेना भर्ती प्रक्रिया का पहला दिन था. पहले दिन गोरखपुर के चौरी चौरा और बांसगांव तहसील से लगभग 4000 अभ्यर्थियों को बुलाया गया था. मंगलवार रात से ही रिपोर्टिंग के बाद रणबांकुरे स्टेडियम में फिजिकल टेस्ट और दौड़ के लिए जुटे हुए हैं.

बता दें अग्निपथ भर्ती योजना (agnipath recruitment scheme) के तहत सेना में भर्ती किए गए अग्निवीर को शुरुआती तौर पर सिर्फ 4 साल की नौकरी का मौका मिलेगा. हालांकि सरकार ने साफ किया है कि 25 प्रतिशत अच्छे कैंडिडेट के सर्विस को विस्तार दिया जाएगा यानी उनकी नौकरी भी आगे बढ़ेगी. इसके अलावा सेना में 4 साल का वक्त पूरा करके निकलने वालों को उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य सरकारी विभागों की नौकरियों में तवज्जो दिया जाएगा.

बनारस में अग्निपथ भर्ती योजना को लेकर गोपाल मिश्रा की स्पेशल रिपोर्ट

वाराणसी आए अभ्यर्थियों का कहना है कि भले ही वह अग्निपथ योजना के तहत भर्ती के लिए आए हैं, मगर अभी भी उनके मन में इस स्कीम और नौकरी को लेकर काफी कन्फ्यूजन है. हालांकि उनका कहना है कि सेना की वर्दी का जुनून और जज्बा ही उन्हें भर्ती केंद्र तक खींच लाया है. गोरखपुर से आए शिवशांत यादव ने बताया कि युवा सेना में भर्ती के लिए एनसीसी में मेहनत की थी. इसके अलावा तैयारी में अलग समय दिया. कुल 5 से 6 साल तक मेहनत करने के बाद अगर परमानेंट नौकरी नहीं मिले तो बुरा तो लगता है. हालांकि शिवशांत ने कहा कि सरकार ने बताया कि वह 25 फीसदी अच्छे सैनिक को परमानेंट तौर पर रखेगी. इसका फायदा सेना को मिलेगा, क्योंकि परफेक्ट लोग ही सेवा में रहेंगे.

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