वाराणसी: कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी में सोमवार को देव दीपावली का पर्व पूरे उल्लास के साथ मनाया जाएगा. मां जाह्नवी के अर्धचन्द्राकार घाटों पर शाम पांच बजकर 15 मिनट के बाद 10 लाख दीप जलाकर योगी सरकार दिव्य और भव्य देव दीपावली महोत्सव का शुभारंभ करेगी. इसके साथ ही पूरे बनारस में जनसहभागिता से तकरीबन 21 लाख दीये जलाए जाने की संभावना है. देव दीपावली महोत्सव को देखते हुए वाराणसी में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया गया है. श्रीकाशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के बाद ये पहली देव दीपावली है. जी हां देव दीपावली के अवसर पर जल, थल और नभ से काशी नगरी की सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं. ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए पुलिस प्रशासन की ओर से रूट डायवर्जन भी लागू किया गया है.
साल दर साल भव्य से भव्यतम रूप प्रदान कर रही योगी सरकार: देव दीपावली पर जब लाखों दीपों की माला पहने हुए मां गंगा का शृंगार होता है, तो ऐसा लगता है मानो आसमान के सितारे जमीन पर उतर आए हैं. ये नजारा सोमवार को काशी में देखने को मिलेगा, जब देवाधिदेव महादेव की नगरी में आकाश के देवता अपनी दीपावली मनाने आएंगे. इस अलौकिक देव दीपावली को साल दर साल भव्य से भव्यतम रूप प्रदान कर रही. योगी सरकार इस बार वाराणसी में गंगा के दोनों तटों को कुल 10 लाख दीयों की रोशनी से जगमग करेगी. इसके अलावा काशी के घाटों पर सोमवार को अमृत महोत्सव की झलक भी देखने को मिलगी.
अमर सपूतों को दी जाएगी श्रद्धांजलि: आध्यात्मिकता के साथ राष्ट्रवाद और सामाजिकता की भी झलक देव दीपावली में देखने को मिलती है. काशी नरेश ने देश के लिए वीरगति प्राप्त होने वाले सैनिकों के लिए घाटों पर दीप प्रज्ज्वलन की प्रथा शुरू की थी, जो आज भी जारी है. दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि द्वारा अमर जवान ज्योति की अनुकृति बनाई गई है. हर साल यहां भारत के अमर वीर योद्धाओं को ‘‘भगीरथ शौर्य सम्मान‘‘ से सम्मानित भी किया जाता है.इसके साथ ही एक संकल्प गंगा किनारे’ के माध्यम से माँ गंगा को स्वच्छ एवं निर्मल बनाने, पर्यावरण व जल संरक्षण संकल्प दिलाया जाएगा. 51 कन्याओं द्वारा दशाश्वमेध घाट पर महाआरती होगी जो नारी शक्ति का भी संदेश देगी.
देव दीपावली का धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व, जाने काशी से क्या है संबंध: मान्यता है की देवोत्थान एकादशी पर भगवान श्रीहरि विष्णु निद्रा से जागते हैं, इसके बाद महादेव की नगरी काशी में वे समस्त आकाशीय देवताओं के साथ दीपावली का पर्व मनाने आते हैं. इस पर्व को मनाने के लिए देवतागण काशी के पावन गंगा घाटों पर अदृश्य रूप में अवतरित होते हैं और महाआरती में शामिल श्रद्धालुओं के मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं.देव दीपावली का वर्णन शिव पुराण में मिलता है, जब कार्तिक मास में त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध भगवान विष्णु ने इसी दिन किया था। इसके बाद देवताओं ने दीपावली मनाई थी. देव दीपावली के अवसर पर सुबह से ही काशी के घाटों पर लोग आस्था की डुबकी लगाते हैं. मान्यता ये भी है कि कार्तिक मास के इस दिन दीप दान करने से पूर्वजों को तो मुक्ति मिलती है और साथ में दीपदान करने वाले श्रद्धालु को भी मोक्ष का मार्ग मिलता है.
शहर के अंदर का डायवर्जन प्लान :-
1 - सोनारपुरा चौराहों से किसी भी प्रकार के चार / तीन पहिया वाहनों को गोदौलिया की तरफ नहीं जाने दिया जायेगा. इन वाहनों को भेलूपुर की तरफ डायवर्ट कर दिया जायेगा।
2- बेनिया तिराहे से किसी भी प्रकार के चार / तीन पहिया वाहनों को रामापुरा की तरफ नहीं जाने दिया जायेगा.इन वाहनों में से 4 पहिया प्राइवेट वाहनों को बेनिया टाउन हॉल पार्किंग में पार्क कराया जायेगा. 3 पहिया वाहन को पियरी की तरफ डायवर्ट कर दिया जायेगा।
3- रामापुरा चौराहे से गौदोलिया की तरफ किसी दशा में 4 पहिया वाहन को नहीं जाने दिया जायेगा.इन वाहनों को लक्सा की तरफ डायवर्ट कर दिया जायेगा।
4- गौदोलिया चौराहा से किसी भी प्रकार के वाहन को किसी भी दशा में मैदागिन व दशाश्वमेध घाट की तरफ नहीं जाने दिया जायेगा.इन वाहनों रामापुरा की तरफ डायवर्ट कर दिया जायेगा.2 पहिया वाहनों को गौदोंलिया स्थित मल्टीलेवेल पार्किंग में ही पार्क कराया जायेगा ।
5- मैदागिन चौराहें से किसी भी प्रकार के वाहनों को थाना चौक होते हुये गौदोलिया की तरफ नहीं जाने दिया जायेगा. जिनमें 4 पहिया / 3 पहिया / पैडल रिक्सा शामिल हैं को कबीरचौरा की तरफ डायवर्ट कर दिया जायेगा.4 पहिया वाहन मैदागिन स्थित टाउनहॉल पार्किंग में पार्क कराये जायेंगे.तीन पहिया वाहन नगर निगम पार्किंग तक ही आयेंगे।
6- सूजाबाद चौकी से चार पहिया व तीन पहिया वाहनों को राजघाट की तरफ नहीं आने दिया जायेगा. इन वाहनों को रामनगर की तरफ डायवर्ट कर दिया जायेगा जो लंका मैदान रामनगर में ही पार्क कराये जायेगें. सामने घाट (रामनगर की तरफ से सामने घाट पुल के रास्ते 3 पहिया वाहनों को जिनमें पैदल रिक्सा,इ-रिक्सा, ऑटो आते हैं पुल ले रास्ते से लंका की तरफ नहीं जाएंगे.
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