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उन्नाव: अन्ना जानवरों से किसान परेशान, पहुंचे भुखमरी की कगार पर - farmer worried with stray animals

उन्नाव जिले में हसनगंज तहसील क्षेत्र के गोपीखेड़ा गांव में किसान अवारा जानवरों से परेशान हैं. जो भी फसल किसान बोते हैं उसको आवारा पशु नष्ट कर देते हैं ऐसे में किसान भुखमरी की कगार पर पहुंच रहे हैं. ऐसे में प्रशासन को इसपर पाबंदी लगाने की आवश्यकता है.

किसानों ने नहीं लगाई फसल.
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Published : Sep 3, 2019, 9:01 AM IST

उन्नाव: हसनगंज तहसील क्षेत्र में स्थित गोपीखेड़ा गांव में आवारा जानवरों से परेशान किसानों ने अपनी सैकड़ों बीघा जमीन बिना फसल लगाए ही छोड़ दी है. किसानों का कहना है कि वह लोग जो भी फसल लगाते हैं, उसको आवारा पशु नष्ट कर देते हैं. इसी वजह से किसान अब भुखमरी की कगार पर पहुंच रहे हैं. ऐसे में प्रशासन को इस पर पाबंदी लगाने की आवश्यकता है, लेकिन कोई अधिकारी और राजनेता किसानों की समस्या हल करने का जहमत नहीं उठा पा रहे हैं. किसानों ने अपनी समस्याओं को लेकर ईटीवी भारत से न्याय की मांग की है.

किसानों ने नहीं लगाई फसल.

खेती न करने पाने का किसानों को मलााल
किसानों में खेती न कर पाने का मलाल है. उनका कहना है कि खेत खाली रहने पर इस बार बच्चे मक्के का स्वाद नहीं ले सकेंगे, ज्वार और बाजरा भी नहीं होगा. किसानों का दर्द उनकी आंखों में छलक उठा. रोजी-रोजगार का सिर्फ एक सहारा खेती किसानी भी अन्ना पशुओं की वजह से बर्बाद हो रही है. पिछले साल खेतों में खड़ी फसल तबाह हो गई थी. नतीजा अन्नदाता के सामने अन्न का संकट खड़ा हो गया है. अब कमाई का कोई साधन न होने की वजह से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं.

किसानों की मुश्किलें बढ़ा रहे अन्ना पशु
रामकेवल बताते हैं हिम्मत करके थोड़े में उर्द बोया था. किसानों का कहना है कि एक तो गौशाला बनी नहीं और अगर अस्थाई बनवाई भी गई तो उसमें गिनती के जानवर आ पाएंगे. किसान कहते हैं कि जानवरों की संख्या हजारों में है, इसलिए बड़ी और स्थाई गोशाला से ही समस्या का समाधान होगा. खाद और बीज बहुत महंगे हैं. किसी तरह से रुपया जोड़कर खेती की जाती है. उम्मीद रहती है कि फसल होगी तो सारी मुसीबत दूर हो जाएगी, लेकिन अन्ना पशुओं की वजह से अरमानों पर पूरी तरह से पानी फिर गया. उन्नाव आए उत्तर प्रदेश सरकार के विधि एवं कानून मंत्री बृजेश पाठक से सवाल पूछा तो उन्होंने गोलमोल जवाब देकर पलड़ा झाड़ लिया.

मेरे पास नौ बीघा खेती है. जानवरों के आतंक से केवल एक बीघा धान लगाएं हैं. बाकी भूमि परती पड़ी है. कुछ किसानों ने बताया जो भी बोया जाता है. सब अन्ना मवेशी चर जाते हैं. हम लोग कैसे खेती करें. रात दिन तकवाही के बाद भी फसल नहीं बचती. अगर तकवाही के लिए जाते हैं तो आवारा पशु दौड़ा लेते हैं.
- लाला, पीड़ित किसान

आप हमें उन किसानों का नाम या ब्लॉक बता दें हम कार्रवाई करेंगे. किसी किसानों के बारे में या उनके क्षेत्र के बारे में हमें आप बता देंगे तो हम कार्रवाई करवाएंगे और किसानों की मदद करेंगे.
- ब्रजेश पाठक, विधि एवं कानून मंत्री

उन्नाव: हसनगंज तहसील क्षेत्र में स्थित गोपीखेड़ा गांव में आवारा जानवरों से परेशान किसानों ने अपनी सैकड़ों बीघा जमीन बिना फसल लगाए ही छोड़ दी है. किसानों का कहना है कि वह लोग जो भी फसल लगाते हैं, उसको आवारा पशु नष्ट कर देते हैं. इसी वजह से किसान अब भुखमरी की कगार पर पहुंच रहे हैं. ऐसे में प्रशासन को इस पर पाबंदी लगाने की आवश्यकता है, लेकिन कोई अधिकारी और राजनेता किसानों की समस्या हल करने का जहमत नहीं उठा पा रहे हैं. किसानों ने अपनी समस्याओं को लेकर ईटीवी भारत से न्याय की मांग की है.

किसानों ने नहीं लगाई फसल.

खेती न करने पाने का किसानों को मलााल
किसानों में खेती न कर पाने का मलाल है. उनका कहना है कि खेत खाली रहने पर इस बार बच्चे मक्के का स्वाद नहीं ले सकेंगे, ज्वार और बाजरा भी नहीं होगा. किसानों का दर्द उनकी आंखों में छलक उठा. रोजी-रोजगार का सिर्फ एक सहारा खेती किसानी भी अन्ना पशुओं की वजह से बर्बाद हो रही है. पिछले साल खेतों में खड़ी फसल तबाह हो गई थी. नतीजा अन्नदाता के सामने अन्न का संकट खड़ा हो गया है. अब कमाई का कोई साधन न होने की वजह से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं.

किसानों की मुश्किलें बढ़ा रहे अन्ना पशु
रामकेवल बताते हैं हिम्मत करके थोड़े में उर्द बोया था. किसानों का कहना है कि एक तो गौशाला बनी नहीं और अगर अस्थाई बनवाई भी गई तो उसमें गिनती के जानवर आ पाएंगे. किसान कहते हैं कि जानवरों की संख्या हजारों में है, इसलिए बड़ी और स्थाई गोशाला से ही समस्या का समाधान होगा. खाद और बीज बहुत महंगे हैं. किसी तरह से रुपया जोड़कर खेती की जाती है. उम्मीद रहती है कि फसल होगी तो सारी मुसीबत दूर हो जाएगी, लेकिन अन्ना पशुओं की वजह से अरमानों पर पूरी तरह से पानी फिर गया. उन्नाव आए उत्तर प्रदेश सरकार के विधि एवं कानून मंत्री बृजेश पाठक से सवाल पूछा तो उन्होंने गोलमोल जवाब देकर पलड़ा झाड़ लिया.

मेरे पास नौ बीघा खेती है. जानवरों के आतंक से केवल एक बीघा धान लगाएं हैं. बाकी भूमि परती पड़ी है. कुछ किसानों ने बताया जो भी बोया जाता है. सब अन्ना मवेशी चर जाते हैं. हम लोग कैसे खेती करें. रात दिन तकवाही के बाद भी फसल नहीं बचती. अगर तकवाही के लिए जाते हैं तो आवारा पशु दौड़ा लेते हैं.
- लाला, पीड़ित किसान

आप हमें उन किसानों का नाम या ब्लॉक बता दें हम कार्रवाई करेंगे. किसी किसानों के बारे में या उनके क्षेत्र के बारे में हमें आप बता देंगे तो हम कार्रवाई करवाएंगे और किसानों की मदद करेंगे.
- ब्रजेश पाठक, विधि एवं कानून मंत्री

Intro:उन्नाव के हसनगंज तहसील क्षेत्र में स्थित गोपीखेड़ा गांव में आवारा जानवरों की वजह से किसान अपनी सैकड़ों बीघा जमीन बिना फसल के ही छोड़ दिया है । जो भी फसल किसान बोते हैं उसको आवारा गोवंश नष्ट कर देते हैं ऐसे में किसान भुखमरी की कगार पर पहुंच रहे हैं वहीं प्रशासनिक अनदेखी का शिकार हो रहे किसान खून के आंसू रोने को मजबूर हैं। लेकिन कोई अधिकारी व राजनेता इनके ये आंसू पोछने के लिए जहमत नहीं उठा पा रहा है। आज जब ईटीवी भारत की टीम ने इन किसानों से बात की तो किसान आंखों में आंसू लेकर जहां एक और सरकार और अधिकारियों के प्रति गुस्सा भरा हुआ था वही ईटीवी भारत को अपनी समस्याएं बताकर न्याय की मांग की।

किसानों में खेती न कर पाने का मलाल है खेत प्रति रहने पर अब कि बच्चे मक्के का साथ नहीं ले सकेंगे ज्वार और बाजरा भी नहीं होगा किसानों का दर्द उनकी आंखों में छलक उठा रोजी रोजगार का सिर्फ एक सहारा खेती किसानी भी अन्ना पशुओं की वजह से चीन की जा रही है पिछले साल खेतों में खड़ी फसल तबाह हो गई थी नतीजा अन्नदाता के सामने अन्य का संकट खड़ा हो गया है अब कमाई का कोई साधन ना होने की वजह से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं।



Body:किसानों का कहना है कि खाद और बीज बहुत महंगे हैं किसी तरह से रुपया जोड़कर खेती की जाती है उम्मीद रहती है कि फसल होगी तो सारी मुसीबत दूर हो जाएगी लेकिन अन्ना मुहांसों की वजह से अरमानों पर पूरी तरह से पानी फिर गया किसान हाड़ तोड़ मेहनत कर सभी के लिए अनाज उगाता है इसलिए किसान को अन्नदाता कहा जाता है मगर अन्नदाता के सामने अब खुद अनाज का संकट खड़ा हो गया है जिस जमीन से उन पलों ज्वार बाजरा उर्द होता था वह आज बंजर नजर आ रही है।

बेलसी निवासी राजबहादुर की पत्नी से जब ईटीवी भारत ने पूछा कि खेतों में बुआई क्यों नहीं की तो वह रोने लगती हैं सर पर हाथ रख बैठ जाती हैं कहा जानवर कुछ नहीं छोड़ रहे सब चरे डाल रहे हैं ।
रामकेवल बताते हैं हिम्मत करके थोड़े में उर्द बोया था मवेशियों ने सब उजाड़ दिया गौशाला पर सवाल करने से मौजूद किसानों का दर्द और बढ़ता है कहते हैं कि एक तो गौशाला बनी नहीं और अगर अस्थाई बनवाई भी गई तो उसमें गिनती के जानवर आ पाएंगे किसान कहते हैं कि जानवरों की संख्या हजारों में है इसलिए बड़ी और स्थाई गोशाला से ही समस्या का समाधान होगा।


Conclusion:वहीं जब ईटीवी भारत की टीम ने किसानों से बात की तो किसानों ने बताया कि मेरे घर के पीछे पड़ी जमीन में काफी उर्द मक्का होता था जब भी खेत देखता हूं दिल फट जाता है किससे कहें अब समझ नहीं आता कभी खेती होगी भी या नहीं। अन्य किसान ने बताया मेरे पास 9 बीघा खेती है जानवरों के आतंक से केवल 1 बीघा धान लगाएं हैं बाकी भूमि परती पड़ी है कुछ किसानों ने बताया जो भी बोया जाता है सब अन्ना मवेशी चर जाते हैं कैसे खेती करें रात दिन तकवाही के बाद भी फसल नहीं बचती।

बाइट:-- पीड़ित किसान

वहीं जब बदहाल किसानों के बारे में ईटीवी भारत ने उन्नाव आए उत्तर प्रदेश सरकार के विधि एवं कानून मंत्री बृजेश पाठक से सवाल पूछा तो उन्होंने गोलमोल जवाब देते हुए बताया कि यदि जानकारी दी जाए किसानों के बारे में तो हम दिखा कर कार्रवाई करवाएंगे और किसानों की मदद करेंगे अब मंत्री जी को यह कौन बताए कि वहां पर एक किसान नहीं है जो एक किसान का नाम बता दिया जाए वहां तो किसानों की संख्या हजारों में है।

बाइट:--ब्रजेश पाठक विधि एवम कानून मंत्री।

पीटीसी:--पंकज कुमार उन्नाव
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