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सऊदी अरब में फंसे बेटे की घर वापसी के लिए PM मोदी से गुहार लगा रहे बूढे़ मां-बाप - उन्नाव की ताजा खबर

यूपी के उन्नाव में एक परिवार अपने बेटे की सुरक्षित वतन वापसी के लिए विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार लगा रहा है. नौकरी के लिए सऊदी अरब के लिए निकला उनका बेटा पांच महीन से लापता है. युवक ने बंधक होने की जानकारी परिवार वालों को दी थी.

बेटे की वतन वापसी के इंतजार में बूढ़े मां-बाप.
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Published : Aug 8, 2019, 7:19 PM IST

उन्नाव: गरीबी एक ऐसा अभिशाप होती है जो इंसान को इस कदर लाचार और मजबूर बना देती है कि जिंदगी उसे बोझ लगने लगती है. उन्नाव के पिण्डोखा गांव के रहने वाले रामसहाय के परिवार के भी कुछ ऐसे ही हाल हैं. गरीबी नाम के इस अभिशाप ने रामसहाय से उसके इकलौते बेटे को दूर कर दिया है. बूढ़े पिता का सहारा बनने के लिए पैसा कमाने की उम्मीद में प्रमोद सऊदी अरब चला गया. बेटे को पैरों पर खड़ा होते देख पूरा परिवार बेहद खुश था लेकिन ये खुशियां उस समय मातम में बदल गईं जब एक दिन बेटे ने फोन करके खुद के बंधक होने की बात कही. तब से अब तक पांच महीन गुजर चुके हैं. बूढ़ा पिता अपने बेटे की रिहाई के लिए जन प्रतिनिधियों के चक्कर काट रहा है. रामसहाय पीएम मोदी से बेटे की वापसी के लिये गुहार लगा चुके हैं लेकिन उन्हें अभी कोई जबाव नहीं मिला है.

बेटे की वतन वापसी के इंतजार में बूढ़े मां-बाप.
etv bharat
बेटे की वतन वापसी के इंतजार में बूढ़े मां-बाप.
रोजी-रोटी की चाह में तय किया सऊदी अरब का रास्ता
  • उन्नाव के पिण्डोखा गांव के रहने वाले रामसहाय का बेटा प्रमोद पैसा कमाने के लिए नौकरी की तलाश करने लगा.
  • इस दौरान मुंबई के एक दलाल से प्रमोद का संपर्क हुआ, जिसने इंडियन ओवरसीज सर्विसेज कंपनी के जरिये सऊदी अरब में नौकरी दिलाने की बात कही.
  • इसके बदले में 40 हजार रुपये मांगे. विदेश जाने के नाम पर प्रमोद के दोस्त राहुल और सचिन भी नौकरी के लिए तैयार हो गए.
  • इसके बाद तीनों दोस्तों ने दलाल को 1 लाख 20 हज़ार रुपये दिए और मार्च 2019 में सऊदी अरब के लिए रवाना हो गए.
  • बेटे की नौकरी लगने से पूरे परिवार में खुशी की लहर थी.
  • 2 जून को प्रमोद ने फोन करके अपने और दोस्तों के बंधक बनाए जाने की सूचना परिवार वालों को दी.
  • खबर सुनते ही पूरे परिवार में कोहराम मच गया.
    etv bharat
    बेटे की वतन वापसी के इंतजार में बूढ़े मां-बाप.

हम लगातार बेटे की रिहाई के लिए चक्कर लगा रहे हैं. विदेश मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर मदद मांगी गई लेकिन वहां से भी कोई जबाव नहीं मिला. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक भी अपनी बात पहुंचा चुके हैं लेकिन किसी तरह की कोई मदद मिलती नहीं दिख रही है. करीब पांच महीन से हम अपने बेटे की घर वापसी के इंतजार में हैं.
-रामसहाय, पीड़ित पिता

विदेश मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर सऊदी अरब सरकार से बात करके रिहाई की मांग की गई है. यही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी अपील करने के साथ ही ट्विटर के जरिये भी घटना से अवगत कराया गया है लेकिन अभी तक विदेश मंत्रालय की तरफ से किसी भी तरह का जवाब नहीं आया है.
-पंकज गुप्ता, सदर विधायक

उन्नाव: गरीबी एक ऐसा अभिशाप होती है जो इंसान को इस कदर लाचार और मजबूर बना देती है कि जिंदगी उसे बोझ लगने लगती है. उन्नाव के पिण्डोखा गांव के रहने वाले रामसहाय के परिवार के भी कुछ ऐसे ही हाल हैं. गरीबी नाम के इस अभिशाप ने रामसहाय से उसके इकलौते बेटे को दूर कर दिया है. बूढ़े पिता का सहारा बनने के लिए पैसा कमाने की उम्मीद में प्रमोद सऊदी अरब चला गया. बेटे को पैरों पर खड़ा होते देख पूरा परिवार बेहद खुश था लेकिन ये खुशियां उस समय मातम में बदल गईं जब एक दिन बेटे ने फोन करके खुद के बंधक होने की बात कही. तब से अब तक पांच महीन गुजर चुके हैं. बूढ़ा पिता अपने बेटे की रिहाई के लिए जन प्रतिनिधियों के चक्कर काट रहा है. रामसहाय पीएम मोदी से बेटे की वापसी के लिये गुहार लगा चुके हैं लेकिन उन्हें अभी कोई जबाव नहीं मिला है.

बेटे की वतन वापसी के इंतजार में बूढ़े मां-बाप.
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बेटे की वतन वापसी के इंतजार में बूढ़े मां-बाप.
रोजी-रोटी की चाह में तय किया सऊदी अरब का रास्ता
  • उन्नाव के पिण्डोखा गांव के रहने वाले रामसहाय का बेटा प्रमोद पैसा कमाने के लिए नौकरी की तलाश करने लगा.
  • इस दौरान मुंबई के एक दलाल से प्रमोद का संपर्क हुआ, जिसने इंडियन ओवरसीज सर्विसेज कंपनी के जरिये सऊदी अरब में नौकरी दिलाने की बात कही.
  • इसके बदले में 40 हजार रुपये मांगे. विदेश जाने के नाम पर प्रमोद के दोस्त राहुल और सचिन भी नौकरी के लिए तैयार हो गए.
  • इसके बाद तीनों दोस्तों ने दलाल को 1 लाख 20 हज़ार रुपये दिए और मार्च 2019 में सऊदी अरब के लिए रवाना हो गए.
  • बेटे की नौकरी लगने से पूरे परिवार में खुशी की लहर थी.
  • 2 जून को प्रमोद ने फोन करके अपने और दोस्तों के बंधक बनाए जाने की सूचना परिवार वालों को दी.
  • खबर सुनते ही पूरे परिवार में कोहराम मच गया.
    etv bharat
    बेटे की वतन वापसी के इंतजार में बूढ़े मां-बाप.

हम लगातार बेटे की रिहाई के लिए चक्कर लगा रहे हैं. विदेश मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर मदद मांगी गई लेकिन वहां से भी कोई जबाव नहीं मिला. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक भी अपनी बात पहुंचा चुके हैं लेकिन किसी तरह की कोई मदद मिलती नहीं दिख रही है. करीब पांच महीन से हम अपने बेटे की घर वापसी के इंतजार में हैं.
-रामसहाय, पीड़ित पिता

विदेश मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर सऊदी अरब सरकार से बात करके रिहाई की मांग की गई है. यही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी अपील करने के साथ ही ट्विटर के जरिये भी घटना से अवगत कराया गया है लेकिन अभी तक विदेश मंत्रालय की तरफ से किसी भी तरह का जवाब नहीं आया है.
-पंकज गुप्ता, सदर विधायक

Intro:उन्नाव:--कहते है गरीबी एक ऐसा अभिशाप होती है जो इंसान को इस कदर लाचार और मजबूर बना देती है कि जिंदगी उसे बोझ लगने लगती है कुछ ऐसे ही हालात इस समय है उन्नाव के पिण्डोखा गांव के रहने वाले रामसहाय की क्योकि गरीबी नाम के इस अभिशाप ने रामसहाय से उसके इकलौते बेटे को दूर कर दिया है मुफलिसी में जीवन काट रहे रामसहाय ने कभी भी गरीबी का दंश अपने बेटे को महसूस नही होने दिया वही बेटा जब जवान हुआ तो परिवार की बदहाली दूर करने और बूढ़े पिता का सहारा बनने के लिए पैसा कमाने विदेश निकला तो पूरा परिवार बेहद खुश था लेकिन परिवार की ये खुशियां उस समय मातम में बदल गयी जब एक दिन बेटे ने फोन करके खुद के बंधक होने की बात कही।फिर क्या था तब से एक बूढ़ा पिता लगातार बेटे की रिहाई के लिए जन प्रतिनिधियों के चक्कर काट रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक पिता अपने बेटे ही रिहाई की भीख मांग रहा है।परिवार के लोग आज भी घर के बाहर टकटकी लगाए अपने बेटे की राह देख रहे है वही बदहवास हो चुकी मा आंखों में आंसू लिए अपने बेटे की फ़ोटो ही निहारती रहती है








Body:उन्नाव के पिण्डोखा गांव के रहने वाले रामसहाय का बेटा प्रमोद अपने परिवार की आर्थिक हालात सुधारने के लिए पैसा कमाने के लिए नौकरी की तलाश करने लगा तभी मुम्बई के एक दलाल से प्रमोद का संपर्क हुआ जिसने इंडियन ओवरसीज सर्विसेज कंपनी के जरिये सऊदी अरब में नौकरी दिलाने की बात कही और उसके बदले 40 हज़ार रुपये मांगे वही इस दौरान प्रमोद के दोस्त राहुल और सचिन भी नौकरी के लिए तैयार हो गए फिर क्या था तीनो लड़को ने दलाल को 1 लाख 20 हज़ार रुपये दिए और मार्च 2019 में सऊदी अरब के लिए रवाना हो गए वही बेटे की नौकरी लगने से पूरे परिवार में खुशी की लहर थी बूढ़े पिता को उम्मीद जगी की बेटा गरीबी नाम के अभिशाप को मिटा देगा लेकिन ये खुशियां उस दिन मातम में बदल गयी जब 2 जून को बेटे प्रमोद ने फोन करके अपने और दोस्तो को बंधक बनाए जाने की बात कही फिर क्या था खबर सुनते ही पूरे परिवार में कोहराम मच गया।प्रमोद के पिता रामसहाय परेशान होकर तबसे लगातार जन प्रतिनिधियों से बेटे ही रिहाय के लिए चक्कर लगाने लगा और विदेश मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर बेटे की रिहाई की भी मांग की वही प्रमोद के साथ गए अन्य दो दोस्तों के परिवार भी बेटों की रिहाई के लिए दर दर भटक रहे है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बेटे की रिहाई की गुहार लगा रहा परिवार घर के बाहर टकटकी लगाए बेटे की राह देख रहा है वही बेटे की बंधक होने की खबर सुन बेसुध हो चुकी माँ आंखों में आंसू लिए सिर्फ बेटे की फ़ोटो ही निहारती रहती है।

बाईट--रामसहाय (पिता)



Conclusion:वही सदर विधायक पंकज गुप्ता की माने तो विदेश मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर सऊदी अरब सरकार से बात करके रिहाई की मांग की गई है यही नही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी अपील करने के साथ ही ट्विटर के जरिये भी घटना से अवगत कराने की बात कह रहे है लेकिन अभी तक विदेश मंत्रालय की तरफ से किसी भी तरह का जवाब नही आया है।

बाईट-पंकज गुप्ता (सदर विधायक उन्नाव)

वीरेंद्र यादव
उन्नाव
मो-9839757000
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