लखनऊ: यूपी में हुए 69000 शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में सीबीआई जांच और परीक्षा रद्द करने संबंधी याचिका पर अब 7 जुलाई को सुनवाई होगी. हाई कोर्ट में सरकार का पक्ष रखने के लिए प्रदेश सरकार के महाधिवक्ता ने अदालत से गुजारिश की है.
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद में 69000 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को रोकने के लिए हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में 2 अभ्यर्थियों अजय कुमार ओझा और उदय भान चौधरी की ओर से याचिका दाखिल की गई है. याचिका गण की अधिवक्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने बताया कि मामले की सुनवाई 24 जून को होनी थी, लेकिन सरकारी अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में प्रदेश सरकार तथा परीक्षा नियामक प्राधिकरण की ओर से प्रदेश के महाधिवक्ता खुद बहस करेंगे. बहस के लिए बुधवार वह अदालत में उपलब्ध नहीं हो सके हैं. इसलिए सुनवाई की नई तारीख दी जाए.
याचीगण के अधिवक्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने इस पर आपत्ति जाहिर की और कोर्ट में कहा कि इस मामले में सरकार अनुचित तेजी दिखा रही है. अदालत से मिलने वाले समय का उपयोग भर्ती प्रक्रिया को पूरी करने में किया जाएगा. इसलिए 7 जुलाई तक समय न दिया जाए. इस पर कोर्ट में सरकारी अधिवक्ता ने कहा कि इतनी जल्दी कुछ नहीं होगा. सरकारी अधिवक्ता एवं याचीगण का पक्ष सुनने के बाद जस्टिस आलोक माथुर की बेंच ने मामले की सुनवाई के लिए 7 जुलाई की तिथि नियत की है.
हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में दाखिल इस याचिका में कहा गया है कि 6 जनवरी 2019 को इस परीक्षा के आयोजन के साथ ही प्रश्न पत्र की गोपनीयता खंडित हुई है. इसके प्रमाण पुलिस की शुरुआती जांच में मिले हैं. एसटीएफ ने केंद्र अधीक्षकों और प्रदेश के कई स्थानों पर मुकदमे दर्ज किए हैं. इससे व्यापक स्तर पर पर्चा लीक होने की बात साबित होती है. आज भी एसटीएफ इस मामले में विवेचना कर रही है. ऐसे में 69000 शिक्षक भर्ती परीक्षा को निरस्त कर पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने के लिए अदालत निर्देशित करे.
आपको बता दें कि यूपी सरकार ने पिछले साल सहायक शिक्षकों के 69,000 पदों पर भर्ती का ऐलान किया था. यूपी 69000 शिक्षक भर्ती परीक्षा 6 जनवरी को आयोजित की गई थी. इस परीक्षा में बीटीसी, बीएड और यूपी टेट पास उम्मीदवारों ने भाग लिया था.