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सुलतानपुर: संगठित गिरोह कर रहा कछुओं की तस्करी, रेलवे कस रहा शिकंजा - सुलतानपुर से कछुओं की तस्करी

उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर से कछुओं का तस्करी संगठित गिरोह द्वारा की जा रही है. कछुओं को पकड़कर ट्रेनों के माध्यम से पश्चिम बंगाल भेजा जा रहा है.

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संगठित गिरोह छोटे स्तर से कर रहा कछुओं की तस्करी.
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Published : Jan 30, 2020, 5:32 AM IST

सुलतानपुर: जनपद में कुछ संगठित गिरोह ने कछुओं की तस्करी का ढांचा खड़ा कर दिया है. लोग जलाशय, तालाब, नहर, पोखर, झीलों से कछुओं को पकड़ते हैं, इन्हें एकत्र करते हैं और छोटे-छोटे पैमाने पर इन्हें रेल गाड़ियों के रास्ते पश्चिम बंगाल भेज रहे हैं.

जानकारी देते सीओ जीआरपी.

सुलतानपुर कछुआ तस्करी का प्रमुख रास्ता माना जा रहा है. लंबे समय से अमेठी और प्रतापगढ़ के अवैध कारोबारी सुलतानपुर के रास्ते का इस्तेमाल करते रहे हैं. खासकर उन गाड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है, जो वाराणसी के रास्ते पश्चिम बंगाल को जाती हैं. इन कछुओं से बड़े पैमाने पर दवाएं बनाने और इनकी बड़ी कीमत मिलने की वजह तस्करी के पीछे सामने आ रही है. रेलवे पुलिस का कहना है कि कछुओं की पश्चिम बंगाल को होने वाली तस्करी में लगातार कमी आ रही है. इसकी प्रमुख वजह है कि जीआरपी, आरपीएफ और वन विभाग की टीम की संयुक्त अभियान चलाने की कार्रवाई है, जो अभियुक्त पकड़े जाते हैं वह किस गिरोह से जुड़े हुए हैं, किस तरीके से ऑपरेशन चलता है और क्या रणनीति है? इसकी विस्तृत रिपोर्ट पुलिस की तरफ से तैयार की जाती है.

इसे भी पढ़ें:- कोरोना वायरस को लेकर सीएमओ ने लखनऊ एयरपोर्ट का किया निरीक्षण

वन विभाग स्थानीय पुलिस से मिलकर कछुआ तस्करी में प्रभावी कार्रवाई करता है. कछुआ तस्करी एक केंद्र से नहीं हो रही है. यह छोटे-छोटे स्तर से की जा रही है. कोई ऑर्गेनाइज गैंग अभी तक सामने नहीं आया है. छोटे स्तर पर होने के नाते प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पाई है, लेकिन लगातार प्रयास किया जा रहा है.
-अरूण कुमार सिंह,क्षेत्राधिकारी,राजकीय रेलवे पुलिस

सुलतानपुर: जनपद में कुछ संगठित गिरोह ने कछुओं की तस्करी का ढांचा खड़ा कर दिया है. लोग जलाशय, तालाब, नहर, पोखर, झीलों से कछुओं को पकड़ते हैं, इन्हें एकत्र करते हैं और छोटे-छोटे पैमाने पर इन्हें रेल गाड़ियों के रास्ते पश्चिम बंगाल भेज रहे हैं.

जानकारी देते सीओ जीआरपी.

सुलतानपुर कछुआ तस्करी का प्रमुख रास्ता माना जा रहा है. लंबे समय से अमेठी और प्रतापगढ़ के अवैध कारोबारी सुलतानपुर के रास्ते का इस्तेमाल करते रहे हैं. खासकर उन गाड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है, जो वाराणसी के रास्ते पश्चिम बंगाल को जाती हैं. इन कछुओं से बड़े पैमाने पर दवाएं बनाने और इनकी बड़ी कीमत मिलने की वजह तस्करी के पीछे सामने आ रही है. रेलवे पुलिस का कहना है कि कछुओं की पश्चिम बंगाल को होने वाली तस्करी में लगातार कमी आ रही है. इसकी प्रमुख वजह है कि जीआरपी, आरपीएफ और वन विभाग की टीम की संयुक्त अभियान चलाने की कार्रवाई है, जो अभियुक्त पकड़े जाते हैं वह किस गिरोह से जुड़े हुए हैं, किस तरीके से ऑपरेशन चलता है और क्या रणनीति है? इसकी विस्तृत रिपोर्ट पुलिस की तरफ से तैयार की जाती है.

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वन विभाग स्थानीय पुलिस से मिलकर कछुआ तस्करी में प्रभावी कार्रवाई करता है. कछुआ तस्करी एक केंद्र से नहीं हो रही है. यह छोटे-छोटे स्तर से की जा रही है. कोई ऑर्गेनाइज गैंग अभी तक सामने नहीं आया है. छोटे स्तर पर होने के नाते प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पाई है, लेकिन लगातार प्रयास किया जा रहा है.
-अरूण कुमार सिंह,क्षेत्राधिकारी,राजकीय रेलवे पुलिस

Intro:ईटीवी भारत से विशेष बातचीत
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शीर्षक : संगठित गिरोह छोटे स्तर से कर रहा कछुओं की तस्करी।


एंकर : पर्यावरण मित्र कछुओं की तस्करी अब छोटे छोटे स्तर से होने लगी है। संगठित गिरोह ने छोटे-छोटे गांव स्तर पर इसका ढांचा खड़ा कर दिया है। लोग जलाशय, तालाब, नहर, पोखर, झीलों से कछुआ को पकड़ते हैं। इन्हें एकत्र करते हैं और छोटे छोटे पैमाने पर इन्हें रेलगाड़ियों के रास्ते पश्चिम बंगाल भेजा जा रहा है। ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान जीआरपी क्षेत्राधिकारी ने इस बात का खुलासा किया।


Body:वीओ : सुल्तानपुर कछुआ तस्करी का प्रमुख रास्ता देखा जा रहा है । लंबे समय से अमेठी और प्रतापगढ़ के अवैध कारोबारी सुल्तानपुर के रास्ते का इस्तेमाल करते रहे हैं। खासकर उन गाड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है । जो वाराणसी के रास्ते पश्चिम बंगाल को जाती हैं। इन कछुओं से बड़े पैमाने पर दवाएं बनने और इनकी बड़ी कीमत मिलने की वजह तस्करी के पीछे सामने आ रही है।


बाइट : क्षेत्राधिकारी राजकीय रेलवे पुलिस अरुण सिंह कहते हैं कि कछुओं की पश्चिम बंगाल को होने वाली तस्करी में लगातार कमी आ रही है । इसकी प्रमुख वजह है कि जीआरपी, आरपीएफ और वन विभाग की टीम की संयुक्त अभियान चलाने की कार्रवाई। जो अभियुक्त पकड़े जाते हैं। वह किस गिरोह से जुड़े हुए हैं । किस तरीके से ऑपरेशन चलता है और क्या रणनीति है। इसकी विस्तृत रिपोर्ट पुलिस की तरफ से तैयार की जाती है। वन विभाग स्थानीय पुलिस से मिलकर कछुआ तस्करी में प्रभावी कार्रवाई करता है। कछुआ तस्करी एक केंद्र से नहीं हो रही है। यह छोटे छोटे स्तर से की जा रही है । कोई ऑर्गेनाइज गैंग अभी तक सामने नहीं आया है। छोटे स्तर पर होने के नाते प्रभावी कार्यवाही नहीं हो पाई है। लेकिन लगातार प्रयास किया जा रहा है।


Conclusion:वीओ : सुल्तानपुर के रास्ते होने वाली और कछुआ तस्करी में रेलगाड़ियों प्रमुख परिवहन के तौर पर सामने आई हैं। इसमें बेगमपुरा एक्सप्रेस, उपासना एक्सप्रेस, कुंभ एक्सप्रेस से कई बार सुल्तानपुर , जगदीशपुर और वाराणसी में कछुए पकड़े जा चुके हैं। लेकिन इनके स्रोत पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है । जिससे इस अवैध कारनामे को खत्म किया जा सके।



आशुतोष मिश्रा, सुल्तानपुर, 94 15049 256
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