सुलतानपुर: जनपद में कुछ संगठित गिरोह ने कछुओं की तस्करी का ढांचा खड़ा कर दिया है. लोग जलाशय, तालाब, नहर, पोखर, झीलों से कछुओं को पकड़ते हैं, इन्हें एकत्र करते हैं और छोटे-छोटे पैमाने पर इन्हें रेल गाड़ियों के रास्ते पश्चिम बंगाल भेज रहे हैं.
सुलतानपुर कछुआ तस्करी का प्रमुख रास्ता माना जा रहा है. लंबे समय से अमेठी और प्रतापगढ़ के अवैध कारोबारी सुलतानपुर के रास्ते का इस्तेमाल करते रहे हैं. खासकर उन गाड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है, जो वाराणसी के रास्ते पश्चिम बंगाल को जाती हैं. इन कछुओं से बड़े पैमाने पर दवाएं बनाने और इनकी बड़ी कीमत मिलने की वजह तस्करी के पीछे सामने आ रही है. रेलवे पुलिस का कहना है कि कछुओं की पश्चिम बंगाल को होने वाली तस्करी में लगातार कमी आ रही है. इसकी प्रमुख वजह है कि जीआरपी, आरपीएफ और वन विभाग की टीम की संयुक्त अभियान चलाने की कार्रवाई है, जो अभियुक्त पकड़े जाते हैं वह किस गिरोह से जुड़े हुए हैं, किस तरीके से ऑपरेशन चलता है और क्या रणनीति है? इसकी विस्तृत रिपोर्ट पुलिस की तरफ से तैयार की जाती है.
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वन विभाग स्थानीय पुलिस से मिलकर कछुआ तस्करी में प्रभावी कार्रवाई करता है. कछुआ तस्करी एक केंद्र से नहीं हो रही है. यह छोटे-छोटे स्तर से की जा रही है. कोई ऑर्गेनाइज गैंग अभी तक सामने नहीं आया है. छोटे स्तर पर होने के नाते प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पाई है, लेकिन लगातार प्रयास किया जा रहा है.
-अरूण कुमार सिंह,क्षेत्राधिकारी,राजकीय रेलवे पुलिस