सुलतानपुर: अंग्रेजों से भारत को मुक्ति दिलाने में महात्मा गांधी की दांडी यात्रा बेहद अहम यात्रा मानी जाती है. 1929 में महात्मा गांधी और उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी सुलतानपुर आए. उन्होंने यहां नमक बेचकर व्यापक जन समर्थन जुटाया था, जो नमक यात्रा की सफलता में अभूतपूर्व आधार साबित हुआ. यहां के लोगों ने रेलवे की नौकरियां छोड़कर नमक यात्रा में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था.
नौकरी छोड़ अभियान में शामिल हुए लोग
इतिहासकार डॉ. प्रभात श्रीवास्तव ने कहा कि 1929 में जब महात्मा गांधी की नमक यात्रा शुरू हुई थी. वह सुलतानपुर आए थे. उस समय सुलतानपुर पूर्वी अवध क्षेत्र में शामिल किया जाता था. उन्होंने बताया कि 1930 में महात्मा गांधी के साथ विद्याधर बाजपेई आए. पहले रेलवे में नौकरी किया करते थे, लेकिन सत्याग्रह यानि सत्य के आग्रह को देखते हुए इस अभियान में शामिल हुए. उस समय किसान आंदोलन भी चरमोत्कर्ष पर था.
नमक यात्रा को व्यापक जनसमर्थन मिला
इतिहासकार डॉ. प्रभात श्रीवास्तव ने बताया कि 12 मार्च 1920 की बात करें तो दांडी यात्रा जो गुजरात से निकली थी, सुलतानपुर पहुंची और इस दौरान बड़े पैमाने पर नमक बनाया गया, जो हाथों-हाथ बिक गया. इसकी वजह से नमक यात्रा को व्यापक जनसमर्थन मिला. वहीं आज भी जिले का सीता कुंड घाट सत्य और सत्याग्रह अहिंसा पर चलने के लिए तत्पर हैं.
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