सुलतानपुर: कोरोना संकटकाल में आर्थिक तंगी से जूझ रहे हजारों गरीबों के मुंह का निवाला बनने वाला अन्न संवेदनहीनता और लापरवाही के अभाव में सरकारी गोदाम में ही सड़ गया. वहीं जब मामले की जानकारी अधिकारियों को हुई तो वे कमियां दूर करने के बजाय अपनी खामियों पर ही पर्दा डालने में जुट गए. मामला जिला मुख्यालय से सटे कुड़वार विपणन गोदाम का है, जहां पर भारतीय खाद्य निगम की तरफ से पात्र गृहस्थी और अंत्योदय योजना का चावल भेजा गया था.
केंद्र सरकार के निर्देश पर केंद्रीय इकाई भारतीय खाद्य निगम की तरफ से गेहूं और चावल का 96 हजार कुंतल आवंटन जिला खाद्य एवं विपणन विभाग को किया गया था. जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी विनीता मिश्रा के निर्देश पर कुड़वार विपणन गोदाम में चावल का भंडारण कराया गया, जहां पर अधिकारियों के सत्यापन के बाद ये चावल कोटेदारों को दिया जाना था.
सस्ते गल्ले की दुकानों से चावल को पात्र गृहस्थी और अंत्योदय परिवारों को वितरण किया जाना था, लेकिन अब चावल सड़ने की वजह से वितरण प्रभावित हो गया है. ऐसे में लोग अब मजबूरी में बाजार से अनाज खरीदने को बाध्य हो रहे हैं.
जब नया चावल आता है तो उसमें मॉइस्चराइजर होता है. यदि वह गोदाम में डंप कर दिया गया और काफी समय तक पड़ा रहा तो उसमें सीलन आ जाती है. इसकी वजह से चावल में गट्ठर बन जाते हैं.
-शिशिर कांत गर्ग , क्षेत्रीय विपणन अधिकारी
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत अति निर्धन परिवारों की दो श्रेणियां बनाई गई हैं- पात्र गृहस्थी और अंत्योदय. पात्र गृहस्थी में गरीबी रेखा के परिवारों को शामिल किया गया है, जिन्हें हर माह 2 रुपये प्रति किलो के हिसाब से गेहूं और 3 रुपये प्रति किलो के हिसाब में चावल सरकारी दुकानों से मुहैया कराया जाता है. इसी कवायद को सफल करने के लिए भारतीय खाद्य निगम की गोदाम से जिला खाद्य विपणन के 12 गोदामों में ये चावल भेजा गया था.
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जिले में पात्र गृहस्थी के कुल 3 लाख 59 हजार 300 और अंत्योदय के 80 हजार 405 परिवार शामिल हैं. प्रत्येक अंत्योदय कार्ड पर 20 किलो गेहूं और 15 किलो चावल प्रतिमाह देने की व्यवस्था है. अब जबकि सरकारी गोदाम में रखा चावल सड़ गया है तो ऐसे परिवारों के सामने राशन का संकट खड़ा हो गया है. ये लोग अब सरकार की तरफ आशा भरी नजरों से देख रहे हैं कि काश कुछ सरकारी मदद मिल जाए तो पेट की क्षुदा शांत हो सके.