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दारोगा सहित अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज कर एफआईआर कॉपी कोर्ट भेजने का आदेश

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Published : Apr 4, 2023, 8:23 AM IST

सुलतानपुर में गिरफ्तारी पर रोक लगे होने पर भी पुलिस ने महिला आरोपी को कोर्ट में पेश कर दिया. इसकी जानकारी होने पर कोर्ट ने शख्त रुख अपनाते हुए आरोपा दारोगा और और अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज कर एफआईआर की कॉपी कोर्ट भेजने का आदेश दिया.

सुलतानपुर
सुलतानपुर

सुलतानपुर: जमीन विवाद को लेकर करीब ढाई साल पहले हुए हमले के मामले में अखंड नगर थाने की पुलिस का अजीबोगरीब कारनामा सामने आया है. पुलिस ने कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए गिरफ्तारी पर रोक लगे होने के बावजूद महिला आरोपी को गिरफ्तार कर उसे कोर्ट में पेश कर दिया. इस मामले में पुलिस की लापरवाही की पुष्टि होने पर अपर न्यायिक मजिस्ट्रेट बटेश्वर प्रसाद की अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए आरोपी दारोगा और इस कार्रवाई में शामिल अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर अविलम्ब एफआईआर की प्रति कोर्ट को भेजने का आदेश पारित किया.

मामला अखंड नगर थाना क्षेत्र के बेलवाई माधोपुर गांव से जुड़ा है. यहां के रहने वाले विनय जायसवाल ने 11 अगस्त 2020 की घटना बताते हुए गांव के ही आरोपी चंदन, राहुल, कृष्णा, रोशन, साहिल, सोनू, रोहित, मोहन और गुंजा सोनी सहित अन्य के खिलाफ गंभीर आरोपों में मुकदमा दर्ज कराया था. इस मामले में आरोपियों के खिलाफ अभियोगी पक्ष ने तेजाब डालने और कुल्हाड़ी एवं अन्य हथियारों से जानलेवा हमला करने सहित अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज कराया था. इसी मामले में बीती 14 फरवरी को संबंधित मजिस्ट्रेट कोर्ट ने आरोपियों को मामले में तलब कराने को लेकर आदेश जारी किया था, जिसकी जानकारी मिलने पर आरोपी पक्ष की ओर से उर्मिला देवी ने जिला एवं सत्र न्यायालय में फौजदारी निगरानी अर्जी पेशकर तलबी आदेश को चुनौती दी थी.

मामले की सुनवाई इस समय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सप्तम की अदालत में चल रही है. मामले में सत्र न्यायालय ने बीते 16 मार्च को मामले में सुनवाई करते हुए बीते 14 फरवरी को मजिस्ट्रेट कोर्ट से आरोपियों के खिलाफ हुए तलबी आदेश को स्थगित करते हुए निगरानी अर्जी का निस्तारण न हो जाने तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी. इस आदेश की जानकारी अखंड नगर पुलिस को भी बकायदा थी. बावजूद इसके प्रकरण की तफ्तीश कर रहे दारोगा शैलेंद्र सिंह ने मामले में सह आरोपी गुंजा सोनी को गिरफ्तार कर वह भी रविवार को छुट्टी के दिन रिमांड मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश कर दिया. जब गुंजा सोनी के अधिवक्ता ने अपने तर्कों को प्रस्तुत करते हुए मामले में गिरफ्तारी पर रोक लगे होने के बावजूद दारोगा के जरिए अभियोगी के अनुचित प्रभाव में गिरफ्तारी करने का तर्क कोर्ट में रखा तो मामले में कोर्ट ने आरोपी गुंजा सोनी के साथ हुए इस कृत्य को अत्यंत गंभीर मानते हुए उसे अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दे दिया.

सोमवार सुबह 11 बजे आरोपी महिला गुंजा सोनी को पेश होने का आदेश दिया. गुंजा सोनी नियत समय पर पेश हुई और उनके अधिवक्ता ने जिम्मेदार पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोर्ट आदेश की अवहेलना कर पद का दुरुपयोग करने संबंधी अर्जी देते हुए मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग की. वहीं, अभियोजन पक्ष ने पुलिस के जरिए की गई कार्रवाई को जायज बताने का पूरा प्रयास किया. उभय पक्षों को सुनने के पश्चात न्यायाधीश बटेश्वर प्रसाद ने मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए पुलिस की बड़ी लापरवाही मानी और जानबूझकर गुंजा सोनी की गिरफ्तारी किया जाना मानते हुए मामले के विवेचक शैलेंद्र सिंह व इस कार्य में शामिल अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर एफआईआर की प्रति जल्द से जल्द कोर्ट को प्रेषित करने का आदेश थानाध्यक्ष अखंडनगर संतोष सिंह को दिया. वहीं, अदालत ने पुलिसकर्मियों की इस करतूत के बारे में पुलिस अधीक्षक को भी सूचना प्रेषित करने का आदेश पारित किया है. कोर्ट के इस कड़े रुख से पुलिसकर्मियों की मुश्किलें बढ़ना लगभग तय मानी जा रही हैं और पुलिस विभाग की अपनी करनी की वजह से एक बार फिर किरकिरी हुई है.

यह भी पढ़ें: Umesh Pal Murder Case: अतीक अहमद का बी वारंट पहुंचा साबरमती जेल, पुलिस फिर ला सकती है प्रयागराज

सुलतानपुर: जमीन विवाद को लेकर करीब ढाई साल पहले हुए हमले के मामले में अखंड नगर थाने की पुलिस का अजीबोगरीब कारनामा सामने आया है. पुलिस ने कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए गिरफ्तारी पर रोक लगे होने के बावजूद महिला आरोपी को गिरफ्तार कर उसे कोर्ट में पेश कर दिया. इस मामले में पुलिस की लापरवाही की पुष्टि होने पर अपर न्यायिक मजिस्ट्रेट बटेश्वर प्रसाद की अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए आरोपी दारोगा और इस कार्रवाई में शामिल अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर अविलम्ब एफआईआर की प्रति कोर्ट को भेजने का आदेश पारित किया.

मामला अखंड नगर थाना क्षेत्र के बेलवाई माधोपुर गांव से जुड़ा है. यहां के रहने वाले विनय जायसवाल ने 11 अगस्त 2020 की घटना बताते हुए गांव के ही आरोपी चंदन, राहुल, कृष्णा, रोशन, साहिल, सोनू, रोहित, मोहन और गुंजा सोनी सहित अन्य के खिलाफ गंभीर आरोपों में मुकदमा दर्ज कराया था. इस मामले में आरोपियों के खिलाफ अभियोगी पक्ष ने तेजाब डालने और कुल्हाड़ी एवं अन्य हथियारों से जानलेवा हमला करने सहित अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज कराया था. इसी मामले में बीती 14 फरवरी को संबंधित मजिस्ट्रेट कोर्ट ने आरोपियों को मामले में तलब कराने को लेकर आदेश जारी किया था, जिसकी जानकारी मिलने पर आरोपी पक्ष की ओर से उर्मिला देवी ने जिला एवं सत्र न्यायालय में फौजदारी निगरानी अर्जी पेशकर तलबी आदेश को चुनौती दी थी.

मामले की सुनवाई इस समय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सप्तम की अदालत में चल रही है. मामले में सत्र न्यायालय ने बीते 16 मार्च को मामले में सुनवाई करते हुए बीते 14 फरवरी को मजिस्ट्रेट कोर्ट से आरोपियों के खिलाफ हुए तलबी आदेश को स्थगित करते हुए निगरानी अर्जी का निस्तारण न हो जाने तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी. इस आदेश की जानकारी अखंड नगर पुलिस को भी बकायदा थी. बावजूद इसके प्रकरण की तफ्तीश कर रहे दारोगा शैलेंद्र सिंह ने मामले में सह आरोपी गुंजा सोनी को गिरफ्तार कर वह भी रविवार को छुट्टी के दिन रिमांड मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश कर दिया. जब गुंजा सोनी के अधिवक्ता ने अपने तर्कों को प्रस्तुत करते हुए मामले में गिरफ्तारी पर रोक लगे होने के बावजूद दारोगा के जरिए अभियोगी के अनुचित प्रभाव में गिरफ्तारी करने का तर्क कोर्ट में रखा तो मामले में कोर्ट ने आरोपी गुंजा सोनी के साथ हुए इस कृत्य को अत्यंत गंभीर मानते हुए उसे अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दे दिया.

सोमवार सुबह 11 बजे आरोपी महिला गुंजा सोनी को पेश होने का आदेश दिया. गुंजा सोनी नियत समय पर पेश हुई और उनके अधिवक्ता ने जिम्मेदार पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोर्ट आदेश की अवहेलना कर पद का दुरुपयोग करने संबंधी अर्जी देते हुए मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग की. वहीं, अभियोजन पक्ष ने पुलिस के जरिए की गई कार्रवाई को जायज बताने का पूरा प्रयास किया. उभय पक्षों को सुनने के पश्चात न्यायाधीश बटेश्वर प्रसाद ने मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए पुलिस की बड़ी लापरवाही मानी और जानबूझकर गुंजा सोनी की गिरफ्तारी किया जाना मानते हुए मामले के विवेचक शैलेंद्र सिंह व इस कार्य में शामिल अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर एफआईआर की प्रति जल्द से जल्द कोर्ट को प्रेषित करने का आदेश थानाध्यक्ष अखंडनगर संतोष सिंह को दिया. वहीं, अदालत ने पुलिसकर्मियों की इस करतूत के बारे में पुलिस अधीक्षक को भी सूचना प्रेषित करने का आदेश पारित किया है. कोर्ट के इस कड़े रुख से पुलिसकर्मियों की मुश्किलें बढ़ना लगभग तय मानी जा रही हैं और पुलिस विभाग की अपनी करनी की वजह से एक बार फिर किरकिरी हुई है.

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