सोनभद्र: चोपन विकासखंड के ग्राम पंचायत कोटा में विकास कार्यों में धांधली करने, बिना कार्य किए ही कागजों पर कार्य पूर्ति दिखाकर 1.78 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है. कोटा ग्राम पंचायत के सदस्यों ने शपथ पत्र देकर जिलाधिकारी से जांच कराने के लिए कहा था, जिसके बाद जिलाधिकारी ने इस मामले में जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई थी. इस समिति की ओर से जांच के बाद आई रिपोर्ट में बताया गया कि 1.78 करोड़ से अधिक की धनराशि का कार्य केवल कागजों में सिमट कर रह गया. इसके बाद जिलाधिकारी के आदेश पर एडीओ पंचायत चोपन कोटा की ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सचिव व लघु सिंचाई विभाग के अवर अभियंता के खिलाफ चोपन थाने में सरकारी धन के गबन सहित कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है.
जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत कोटा में सड़क निर्माण सहित अन्य विकास कार्यों में वित्तीय अनियमितता का बड़ा मामला प्रकाश में आया है. दरअसल कोटा ग्राम पंचायत के सदस्यों ने जिलाधिकारी से ग्राम में हुए विकास कार्यों की जांच कराने के लिए शपथ पत्र देते हुए मांग की थी. इसके बाद जिलाधिकारी के निर्देश पर परियोजना निदेशक ग्राम विकास अभिकरण की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई. कमेटी ने वहां पर हुए कार्यों की जांच की तो जांच में प्रथम दृष्टया 1.78 करोड़ रुपए की वित्तीय अनियमितता करते हुए बिना विकास कार्य कराए कागज पर काम करके भुगतान करा लिया गया.
परियोजना निदेशक की रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी के निर्देश पर कोटा की ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सचिव व लघु सिंचाई विभाग के अवर अभियंता के खिलाफ चोपन थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है. हालांकि जांच के दौरान आनन-फानन में ग्राम पंचायत में कुछ कार्य कराए गए, जिसके मद्देनजर रिकवरी की जाने वाली धनराशि आंकड़ा तैयार किया जा रहा है और इस मामले में संबंधित लोगों से रिकवरी की भी कार्रवाई होगी.
जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने बताया कि कोटा ग्राम पंचायत के संबंध में शिकायत मिली थी. इसमें जांच के लिए टीम गठित की गई थी. टीम ने जो जांच रिपोर्ट सौंपी है, उस जांच रिपोर्ट के आधार पर हमने दूसरे पक्ष का जवाब मांगा था. जवाब आया और उसका जब परीक्षण किया गया तो कुछ गड़बड़ियां मिली हैं, जिसमें कार्रवाई के लिए आदेश दिए गए हैं. इसमें जो गबन हुआ है उसमें एफआईआर का आदेश हुआ है. इसमें जो लोग शामिल थे उनके खिलाफ विभागीय कार्रव ई प्रारंभ कर दी गई है.
उन्होंने बताया कि इसमें प्रथम दृष्टया 1.78 करोड़ रूपए का मामला प्रकाश में आया है. उसमें कुछ कमियां हैं, जैसे वहां पर कुछ काम हुआ है उसको उन्होंने डिटेक्ट नहीं किया. यानी नियम से हटके उसमें कुछ प्रक्रियात्मक त्रुटि थी. उसको अलग टीम द्वारा अभी आकलन कराया जाएगा. उसके बाद उसकी रिकवरी होगी. कितनी रिकवरी होगी आकलन के बाद पता चलेगा.