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सोनभद्र के किसानों को नहीं मिल रहा फसल ऋण मोचन योजना का लाभ

यूपी विधानसभा चुनाव के पहले बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में किसानों का एक लाख रुपये तक ऋण माफ करने का एलान किया था, मगर सरकार बनने के बाद सीमांत किसानों का ही ऋण माफ करने की बात की गई और वह भी पूरी नहीं हुई.

किसानों को नही मिल रहा फसल ऋण मोचन योजना का लाभ
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Published : Mar 30, 2019, 4:25 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST

सोनभद्र : प्रदेश सरकार ने ऋण मोचन का जो चुनावी वादा किया था, उसे सरकार बनते ही पूरा करना था, जिसमें वह पूरी तरह से सफल नहीं हो पाई है. दो वर्ष बीत जाने के बाद भी ऋण मोचन का लाभ लक्ष्य के हिसाब से अभी तक किसानों के पास नहीं पहुंच पाया है. यही कारण है कि आज भी किसान ऋण मोचन की उम्मीद में भटक रहे हैं.

किसानों को नही मिल रहा फसल ऋण मोचन योजना का लाभ

इस मामले मेंकिसान राजेश कुमार मौर्यसे बात की गई तो उनका कहना था किमेरा एक लाख में 80 हजार, पत्नी के 45 हजार में से चार हजार पांच सौ रुपये माफ हुआ और मेरे भाई का 22 हजार में से केवल दो हजार दो सौ रुपये माफ हुआ है. इस बारे मेंजब बैंक में जाकर पूछा तो बताया गया कि जो पैसा सरकार ने भेजा है, वही खाते में भेजा जा रहा है. आगे पता करिए. जो आएगा, वही चढ़ेगा, बाकी जमा करना पड़ेगा. सरकारको वादा नही करना चाहिए. अगर वादे करें, तो उसको पूरा भी करना चाहिए.

इस संबंध में जिला कृषि अधिकारी पीयूष राय ने बताया कि फरवरी महीने तक ऋण मोचन योजना के तहत जनपद में 86 हजार पांच सौ एक किसानों के डाटा में से 45 हजार किसानों को दो सौ 45 करोड रुपए का ऋण मोचन किया जा चुका है. इसके साथ ही एक हजार 954 ऑफलाइन शिकायतें भी लंबित है, जिस पर निदेशालय के निर्देशानुसार कार्य चल रहा है.वहीं, 86 हजार किसानों में से मात्र 45 हजार को ही लाभ मिल पाने के सवाल पर उन्होंने बताया कि बैंक से डाटा लिए गए थे. इस योजना के तहत उनके नामों पर विचार किया जाना था. इसके बाद तहसील व बैंकों से इसका सत्यापन कराया गया, सत्यापन में कुछ किसान पात्र पाए गए और कुछ अपात्र पाए गए, शेष किसान बैंक अथवा तहसील स्तर से अपात्रता की श्रेणी में आने की वजह से इस लाभ से वंचित रह गए.

उन्होंने बताया कि इसमें एक लाख की सीमा तक ही ऋण मोचन किया गया है. दूसरा, इसमें यह नियम था कि 31 मार्च 2016 का कट ऑफ डेट है. इसके पूर्व किसान का केसीसी फसली ऋण रहना चाहिए था और 31 मार्च 2016 को जो बकाया धनराशि है और अगले एक वर्ष में जितना भी पैसा जमा किया गया है, उसको घटाने के उपरांत देनदारी निकाली गई है. इसी कारण से किसी का कम और किसी का अधिक राशिबैंक में पहुंचा है.जो विभिन्नता दिखाई दे रहा है, इसका मूल कारण यही है कि किसान उस दौरान अगले एक साल में जो जमा किया था, खाते में उसको घटाते हुए बकाया धन राशि को ऋण मोचन किया गया है.

सोनभद्र : प्रदेश सरकार ने ऋण मोचन का जो चुनावी वादा किया था, उसे सरकार बनते ही पूरा करना था, जिसमें वह पूरी तरह से सफल नहीं हो पाई है. दो वर्ष बीत जाने के बाद भी ऋण मोचन का लाभ लक्ष्य के हिसाब से अभी तक किसानों के पास नहीं पहुंच पाया है. यही कारण है कि आज भी किसान ऋण मोचन की उम्मीद में भटक रहे हैं.

किसानों को नही मिल रहा फसल ऋण मोचन योजना का लाभ

इस मामले मेंकिसान राजेश कुमार मौर्यसे बात की गई तो उनका कहना था किमेरा एक लाख में 80 हजार, पत्नी के 45 हजार में से चार हजार पांच सौ रुपये माफ हुआ और मेरे भाई का 22 हजार में से केवल दो हजार दो सौ रुपये माफ हुआ है. इस बारे मेंजब बैंक में जाकर पूछा तो बताया गया कि जो पैसा सरकार ने भेजा है, वही खाते में भेजा जा रहा है. आगे पता करिए. जो आएगा, वही चढ़ेगा, बाकी जमा करना पड़ेगा. सरकारको वादा नही करना चाहिए. अगर वादे करें, तो उसको पूरा भी करना चाहिए.

इस संबंध में जिला कृषि अधिकारी पीयूष राय ने बताया कि फरवरी महीने तक ऋण मोचन योजना के तहत जनपद में 86 हजार पांच सौ एक किसानों के डाटा में से 45 हजार किसानों को दो सौ 45 करोड रुपए का ऋण मोचन किया जा चुका है. इसके साथ ही एक हजार 954 ऑफलाइन शिकायतें भी लंबित है, जिस पर निदेशालय के निर्देशानुसार कार्य चल रहा है.वहीं, 86 हजार किसानों में से मात्र 45 हजार को ही लाभ मिल पाने के सवाल पर उन्होंने बताया कि बैंक से डाटा लिए गए थे. इस योजना के तहत उनके नामों पर विचार किया जाना था. इसके बाद तहसील व बैंकों से इसका सत्यापन कराया गया, सत्यापन में कुछ किसान पात्र पाए गए और कुछ अपात्र पाए गए, शेष किसान बैंक अथवा तहसील स्तर से अपात्रता की श्रेणी में आने की वजह से इस लाभ से वंचित रह गए.

उन्होंने बताया कि इसमें एक लाख की सीमा तक ही ऋण मोचन किया गया है. दूसरा, इसमें यह नियम था कि 31 मार्च 2016 का कट ऑफ डेट है. इसके पूर्व किसान का केसीसी फसली ऋण रहना चाहिए था और 31 मार्च 2016 को जो बकाया धनराशि है और अगले एक वर्ष में जितना भी पैसा जमा किया गया है, उसको घटाने के उपरांत देनदारी निकाली गई है. इसी कारण से किसी का कम और किसी का अधिक राशिबैंक में पहुंचा है.जो विभिन्नता दिखाई दे रहा है, इसका मूल कारण यही है कि किसान उस दौरान अगले एक साल में जो जमा किया था, खाते में उसको घटाते हुए बकाया धन राशि को ऋण मोचन किया गया है.

Intro:Anchor- उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ऋण मोचन के चुनावी वादे को सरकार बनते ही पूरा करना था जिसमे सरकार पूरी तरह से सफल नहीं हो पाई है या यूं कहें कि दो वर्ष बीत जाने के बाद भी ऋण मोचन का लाभ लक्ष्य के हिसाब से अभी तक किसानों के पास नहीं पहुंच पाया है। यही कारण है कि आज भी किसान ऋण मोचन की उम्मीद में भटक रहे हैं। वही जब इस मामले में किसानों से बात किया गया तो उनका कहना था कि जब सरकार ने घोषणा किया कि एक लाख किसानों को ऋण माफी में लाभ मिलेगा तो उसमें मेरा एक लाख में 80 हजार,पत्नी का 45 हाजर में में 45 सौ रुपये माफ हुआ और मेरे भाई साहब का 22 हजार में 22 सौ माफ हुआ है कहा से सरकार कह रही है,जब बैंक में पूछा तो उसने बताया कि जो पैसा सरकार भेजी है वही कहते में भेजा जा रहा है आगे पता करिए जो आएगा वही चढ़ेगा बाकी जमा करना पड़ेगा।सरकारों को वादा नही करना चाहिए अगर वादे करे तो उसको पूरा करना चाहिए।वही जब इस संबंध में जिला कृषि अधिकारी सोनभद्र ने बताया कि गया तो उन्होंने बताया कि माह फरवरी 2019 तक ऋण मोचन योजना के तहत जनपद में 86,501 किसानों के डाटा में से 45,000 किसानों को 2 सौ 45 करोड रुपए का ऋण मोचन किया जा चुका है। इसके साथ ही 1954 ऑफलाइन शिकायतें भी लंबित है जिस पर निदेशालय के निर्देशानुसार कार्य चल रहा है। वहीं 86,000 किसानों को लाभान्वित होने थे जिसमें मात्र 45000 को ही लाभ मिल पाया के सवाल पर बताया कि बैंक से डाटा लिए गए थे इस योजना के तहत उनके नामों पर विचार किया जाना था ।इसके बाद तहसील व बैंकों से इसका सत्यापन कराया गया, सत्यापन में कुछ किसान पात्र पाए गए और कुछ अपात्र पाए गए, शेष किसान बैंक अथवा तहसील स्तर से अपात्रता की श्रेणी में आने की वजह से इस लाभ से वंचित रह गए। वहीं तमाम ऐसे भी किसान हैं जिनके खाते में 1 लाख या 90 हजार बकाया था लेकिन उनके खाते में 10 हजार या 5 हजार से कम ही भेजा गया है पर बताया कि इसमें एक लाख की सीमा तक ही ऋण मोचन किया गया है, दूसरा इसमें यह नियम था कि 31 मार्च 2016 का कट ऑफ डेट है इसके पूर्व किसान का केसीसी फसली ऋण रहना चाहिए था और 31 मार्च 16 को जो बकाया धनराशि है जो खाते में किसान की देनदारी है ।अगले 1 वर्ष में जितना भी पैसा जमा किया गया है उसको घटाने के उपरांत देनदारी निकाली गई है इसी कारण से किसी का कम किसी का अधिक बैंक में पहुंचा है ।जो विभिनता दिखाई दे रहा है इसका मूल कारण यही है कि किसान उस दौरान अगले 1 साल में जो जमा किया था खाते में उसको घटाते हुए बकाया धन राशि को ऋण मोचन किया गया है।




Body:Vo1-उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव के पहले भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में किसानों का एक लाख रुपये तक ऋण माफ करने की घोषणा किया गया था जिसके बाद भाजपा की यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी और अपने चुनावी घोषणा को पूरा कण्व का एलान भी किया गया लेकिन इस पूरे ऋण मोचन में किसानों के साथ केवल धोखा ही हुआ है क्योकि बाद में सरकार ने सीमांत किसानों का माफ करने की बात किया और वह भी पूरा नही हुआ किसी किसान 500 रुपया तो किसी का 50 हजार माफ हुआ।एक लाख तक के तमाम किसान बैंको का चक्कर लगाकर परेशान हो गए।वही जब इस मामले में किसानों से बात किया गया तो उनका कहना था कि जब सरकार ने घोषणा किया कि एक लाख किसानों को ऋण माफी में लाभ मिलेगा तो उसमें मेरा एक लाख में 80 हजार,पत्नी का 45 हाजर में में 45 सौ रुपये माफ हुआ और मेरे भाई साहब का 22 हजार में 22 सौ माफ हुआ है कहा से सरकार कह रही है,जब बैंक में पूछा तो उसने बताया कि जो पैसा सरकार भेजी है वही कहते में भेजा जा रहा है आगे पता करिए जो आएगा वही चढ़ेगा बाकी जमा करना पड़ेगा।सरकारों को वादा नही करना चाहिए अगर वादे करे तो उसको पूरा करना चाहिए।


Conclusion:Vo2-वही जब इस संबंध में जिला कृषि अधिकारी सोनभद्र ने बताया कि गया तो उन्होंने बताया कि माह फरवरी 2019 तक ऋण मोचन योजना के तहत जनपद में 86,501 किसानों के डाटा में से 45,000 किसानों को 2 सौ 45 करोड रुपए का ऋण मोचन किया जा चुका है। इसके साथ ही 1954 ऑफलाइन शिकायतें भी लंबित है जिस पर निदेशालय के निर्देशानुसार कार्य चल रहा है। वहीं 86,000 किसानों को लाभान्वित होने थे जिसमें मात्र 45000 को ही लाभ मिल पाया के सवाल पर बताया कि बैंक से डाटा लिए गए थे इस योजना के तहत उनके नामों पर विचार किया जाना था ।इसके बाद तहसील व बैंकों से इसका सत्यापन कराया गया, सत्यापन में कुछ किसान पात्र पाए गए और कुछ अपात्र पाए गए, शेष किसान बैंक अथवा तहसील स्तर से अपात्रता की श्रेणी में आने की वजह से इस लाभ से वंचित रह गए। वहीं तमाम ऐसे भी किसान हैं जिनके खाते में 1 लाख या 90 हजार बकाया था लेकिन उनके खाते में 10 हजार या 5 हजार से कम ही भेजा गया है पर बताया कि इसमें एक लाख की सीमा तक ही ऋण मोचन किया गया है, दूसरा इसमें यह नियम था कि 31 मार्च 2016 का कट ऑफ डेट है इसके पूर्व किसान का केसीसी फसली ऋण रहना चाहिए था और 31 मार्च 16 को जो बकाया धनराशि है जो खाते में किसान की देनदारी है ।अगले 1 वर्ष में जितना भी पैसा जमा किया गया है उसको घटाने के उपरांत देनदारी निकाली गई है इसी कारण से किसी का कम किसी का अधिक बैंक में पहुंचा है ।जो विभिनता दिखाई दे रहा है इसका मूल कारण यही है कि किसान उस दौरान अगले 1 साल में जो जमा किया था खाते में उसको घटाते हुए बकाया धन राशि को ऋण मोचन किया गया है।


Byte-पीयूष राय(जिला कृषि अधिकारी,सोनभद्र)



चन्द्रकान्त मिश्रा
सोनभद्र
मो0 9450323031
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST
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