सोनभद्र : प्रदेश सरकार ने ऋण मोचन का जो चुनावी वादा किया था, उसे सरकार बनते ही पूरा करना था, जिसमें वह पूरी तरह से सफल नहीं हो पाई है. दो वर्ष बीत जाने के बाद भी ऋण मोचन का लाभ लक्ष्य के हिसाब से अभी तक किसानों के पास नहीं पहुंच पाया है. यही कारण है कि आज भी किसान ऋण मोचन की उम्मीद में भटक रहे हैं.
इस मामले मेंकिसान राजेश कुमार मौर्यसे बात की गई तो उनका कहना था किमेरा एक लाख में 80 हजार, पत्नी के 45 हजार में से चार हजार पांच सौ रुपये माफ हुआ और मेरे भाई का 22 हजार में से केवल दो हजार दो सौ रुपये माफ हुआ है. इस बारे मेंजब बैंक में जाकर पूछा तो बताया गया कि जो पैसा सरकार ने भेजा है, वही खाते में भेजा जा रहा है. आगे पता करिए. जो आएगा, वही चढ़ेगा, बाकी जमा करना पड़ेगा. सरकारको वादा नही करना चाहिए. अगर वादे करें, तो उसको पूरा भी करना चाहिए.
इस संबंध में जिला कृषि अधिकारी पीयूष राय ने बताया कि फरवरी महीने तक ऋण मोचन योजना के तहत जनपद में 86 हजार पांच सौ एक किसानों के डाटा में से 45 हजार किसानों को दो सौ 45 करोड रुपए का ऋण मोचन किया जा चुका है. इसके साथ ही एक हजार 954 ऑफलाइन शिकायतें भी लंबित है, जिस पर निदेशालय के निर्देशानुसार कार्य चल रहा है.वहीं, 86 हजार किसानों में से मात्र 45 हजार को ही लाभ मिल पाने के सवाल पर उन्होंने बताया कि बैंक से डाटा लिए गए थे. इस योजना के तहत उनके नामों पर विचार किया जाना था. इसके बाद तहसील व बैंकों से इसका सत्यापन कराया गया, सत्यापन में कुछ किसान पात्र पाए गए और कुछ अपात्र पाए गए, शेष किसान बैंक अथवा तहसील स्तर से अपात्रता की श्रेणी में आने की वजह से इस लाभ से वंचित रह गए.
उन्होंने बताया कि इसमें एक लाख की सीमा तक ही ऋण मोचन किया गया है. दूसरा, इसमें यह नियम था कि 31 मार्च 2016 का कट ऑफ डेट है. इसके पूर्व किसान का केसीसी फसली ऋण रहना चाहिए था और 31 मार्च 2016 को जो बकाया धनराशि है और अगले एक वर्ष में जितना भी पैसा जमा किया गया है, उसको घटाने के उपरांत देनदारी निकाली गई है. इसी कारण से किसी का कम और किसी का अधिक राशिबैंक में पहुंचा है.जो विभिन्नता दिखाई दे रहा है, इसका मूल कारण यही है कि किसान उस दौरान अगले एक साल में जो जमा किया था, खाते में उसको घटाते हुए बकाया धन राशि को ऋण मोचन किया गया है.