सीतापुर: हाईकोर्ट के आदेश के बाद जिला एवं सत्र न्यायालय में अधिवक्ताओं का आवागमन तो शुरू हो गया है, लेकिन मुकदमों से संबंधित कामकाज पूर्ववत न मिलने के कारण अधिवक्ताओं में असंतोष है. उन्होंने अदालत परिसर में कोरोना से सुरक्षा के मानकों का पालन न सुनिश्चित किए जाने पर भी नाराजगी जाहिर की है. ऑनलाइन व्यवस्था के कारण भी उनके कामकाज पर असर पड़ रहा है.
यूं तो बीती 8 मई को ही कोर्ट का कामकाज शुरू करने का आदेश आ गया था, किंतु उस दिन चंद वकील ही अदालत परिसर में पहुंचे थे, लेकिन सोमवार को इनकी संख्या में कुछ वृद्धि जरूर देखी गई. बावजूद इसके रोजमर्रा की अपेक्षा इनकी संख्या बहुत कम थी. ईटीवी भारत की टीम ने डेढ़ माह से ज्यादा समय से बंद चल रही अदालतों के कामकाज को लेकर जब अधिवक्ताओं से बातचीत की तो उन्होंने काफी असंतोष व्यक्त किया.
अधिवक्ता रजी अहमद खान ने कहा कि कोर्ट खुलने की औपचारिक घोषणा तो कर दी गई है, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं दिख रहा है. न तो यहां अभी तक सेनिटाइजेशन की कोई समुचित व्यवस्था की गई है और न ही कोर्ट में पूर्ववत काम करने के लिए कोई व्यवस्था की गयी है.
बार एसोसिएशन के महासचिव विमल मोहन मिश्रा ने कहा कि जिस व्यवस्था के अधीन कोर्ट खोली गई है, वो कारगर नहीं है. इससे बेहतर है कि कोर्ट को पुनः बंद कर दिया जाए.
अधिवक्ता मुकुल मिश्रा ने भी कोर्ट खुलने की व्यवस्था को असंगत करार दिया. उन्होंने कहा कि नये मुकदमे लिए नहीं जा रहे हैं. मुकदमें केवल ऑनलाइन ही दायर किए जा सकते हैं. ऐसे में पहले सायबर कैफे आदि के खोलने की व्यवस्था की जानी चाहिए थी.
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उन्होंने कहा कि कोर्ट परिसर में भी कोरोना से बचाव के समुचित प्रबंध नहीं किए गए हैं. उन्हें अपने रिस्क पर काम के लिए आना पड़ रहा है. ऐसी स्थिति में कोर्ट खोलने का कोई फायदा नहीं है.