सीतापुर : पिसावां पुलिस की अभिरक्षा में हुई आरोपी की मौत की घटना को दबाने के लिए पूरा पुलिस महकमा जोर शोर से जुट गया है. कल तक पुलिस पर पीट पीट कर मार डालने का आरोप लगाने वाले परिजन अब पुलिस के सुर में बोल रहे हैं. पुलिस ने उन्हें पूरी तरह से समझा बुझा लिया है, लेकिन पुलिस के उलझे हुए बयान और परिस्थितियां यह इशारा जरूर कर रही हैं कि दाल में काला जरूर है. मामला किसी और से जुड़ा होता तो जांच पर भरोसा भी किया जा सकता था, लेकिन मामला पुलिस महकमे से ही जुड़ा होने के कारण जांच की विश्वसनीयता पर तो सन्देह लाजिमी है. पुलिस के एक बड़े अफसर के विरोधाभासी बयान भी पूरे मामले को सवालों के घेरे में खड़ा कर रहे हैं. इस घटना में एसपी का पक्ष जानने के लिए जब उनके सीयूजी पर सम्पर्क किया गया तो पीआरओ ने एसपी के मीटिंग में होने की बात कही. बहरहाल अब पुलिस अधिकारी इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखने से कन्नी काट रहे हैं.
पहले बसपा नेता की नृशंस हत्या और फिर हत्या के आरोप में पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए आरोपी की कस्टडी में मौत की घटना पिसावां थाना क्षेत्र से सम्बंधित है. यहां के जिगनियां गांव में बीते दिनों बसपा नेता रामलोटन की उस समय हत्या कर दी गई थी जब वह खेत देखने गए थे. इस मामले में रामलोटन के बेटे अखिलेश ने छह लोगों के खिलाफ हत्या के बाबत तहरीर दी थी. पुलिस ने इन्ही आरोपियों में से राजू पुत्र हरदयाल को हिरासत में लिया था. इसके बाद उसकी मौत की खबर आई. परिजनों ने पुलिस पर पिटाई कर मौत के घाट उतारने का आरोप लगाया. इसके बाद पुलिस की भूमिका पर सवाल उठने लगे. कस्टडी डेथ की घटना के कारण पहले से ही हैरान-परेशान पुलिस ने अपनी गर्दन बचाने के लिए मैनेजमेंट का सहारा लिया और इसमें उसे काफी हद तक कामयाबी भी मिली. पुलिस की पुश्तपनाही के बाद राजू (मृतक ) का पिता हरदयाल अपने ही परिजनों के आरोपों को झुठलाने लगा और बेटे की मौत का कारण बीमारी बताने लगा.
अब हम आपको रूबरू कराते हैं इस घटना के कुछ ऐसे पहलुओं से जो पुलिस की भूमिका को सवालों के घेरे में खड़ा करते हैं. जिला अस्पताल में राजू को मृत घोषित करने के बाद मीडिया से बातचीत में अपर पुलिस अधीक्षक दक्षिणी नरेन्द्र प्रताप सिंह (Additional Superintendent of Police Southern Narendra Pratap Singh) ने बताया था कि बसपा के सेक्टर प्रभारी रामलोटन की हत्या के मामले में अखिलेश ने जिन छह लोगों के खिलाफ थाने में तहरीर दी थी. उनमें राजू पुत्र हरदयाल को लेने के लिए पिसावां पुलिस उसके घर गई थी. जहां से पूछताछ के लिए थाने ले जाते समय राजू की हालत बिगड़ गई. जिसके बाद उसे उल्टी-खांसी और सीने में दर्द की शिकायत होने पर पहले उसे सीएचसी ले जाया गया. जहां से डॉक्टरों के रेफर करने पर उसे जिला अस्पताल पहुंचाया गया. यहां लाते समय रास्ते में ही राजू की मौत हो गई.
अपर पुलिस अधीक्षक ने यह बयान दिया था कि घटना की सूचना मृतक के परिजनों को दे दी गई है और वह अभी सीधे जिला अस्पताल पहुंचे हैं. इसलिए परिजनों से उनकी कोई बात भी नहीं हुई है. यह पूछने पर कि क्या उनकी परिजनों से कोई बात हुई है तो उन्होंने इनकार किया और कहा कि अब वह सीधे थाने जा रहे हैं. वहीं राजू की मौत की खबर जब जिगनियां गांव पहुंची तो वहां कोहराम मच गया. जिस राजू को ठीकठाक हालत में कुछ देर पहले पुलिस ले गई थी उसकी मौत की खबर से हर कोई हतप्रभ था. परिजनों ने पुलिस पर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल कर हत्या करने का आरोप लगाना शुरू कर दिया. इसके बाद पुलिस प्रशासन सकते में आ गया और बचाव के लिए परिजनों को मैनेज करने का खेल शुरू हो गया.
देर रात जब अपर पुलिस अधीक्षक का वक्तव्य सामने आया तो यह काफी चौंकाने वाला था. दूसरे बयान में उन्होंने कहा कि पुलिस जब पूछताछ के लिए राजू को घर लेने गई थी तब उनके साथ पिता उनके भाई सभी लोग जब पुलिस की गाड़ी में आ रहे थे. इसी दौरान राजू की तबीयत बिगड़ गई. जिस आननफानन सीएचसी ले जाया गया और वहां डॉक्टर ने कार्डियक अरेस्ट बताते हुए जिला अस्पताल रेफर कर दिया. जिला अस्पताल लाते समय राजू की मौत हो गई. चूंकि पिता और अन्य परिजन पुलिस के साथ थे. इसीलिए उन्हें पुलिस से कोई शिकायत नहीं है. ऐसे में यह पूरा मामला पुलिस की कार्यशैली पर कई गंभीर सवाल खड़े कर रहा है.
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