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UP Budget 2025: मदरसों और अल्पसंख्यक समुदाय को बजट से बड़ी उम्मीदें - UP BUDGET 2025

अल्पसंख्यकों ने की मदरसा शिक्षकों के वेतन भुगतान, इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार, डिजिटल शिक्षा और छात्रवृत्ति जैसी योजनाओं को बजट में शामिल करने की मांग

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मदरसा शिक्षकों के बकाया वेतन भुगतान करने की मांग (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 19, 2025, 8:51 PM IST

Updated : Feb 19, 2025, 9:36 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा में गुरुवार को वित्त मंत्री सुरेश खन्ना योगी सरकार का बजट पेश करेंगे. इस बजट से प्रदेश के अल्पसंख्यक समुदाय, विशेष रूप से मदरसों से जुड़े लोगों को बड़ी उम्मीदें हैं. मदरसा आधुनिकीकरण की योजना के बंद होने और शिक्षकों के बकाया वेतन जैसे मुद्दों पर मदरसा शिक्षकों और प्रबंधकों में गहरी चिंताएं देखी जा रही है. साथ ही सभी इस बार सरकार की ओर से नजरें इनायत होने की उम्मीद जता रहे हैं.

मदरसों में आधुनिकीकरण की जरूरत
लखनऊ के गोमती नगर स्थित मदरसा वारसिया के प्रिंसिपल मौलाना जहीर अब्बास ने बजट को लेकर कहा कि योगी सरकार ने मदरसों में सुधार के लिए कई प्रयास किए हैं, जिससे छात्रों को दीनी तालीम के साथ-साथ मुख्यधारा की शिक्षा भी प्राप्त हो रही है. हालांकि, उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि मदरसों में विज्ञान और अन्य आधुनिक विषयों के शिक्षकों की नियुक्ति बंद हो चुकी है, जिससे छात्रों की शिक्षा अधूरी रह जा रही है.

बजट को लेकर क्या बोले अल्पसंख्यक? (Video Credit; ETV Bharat)

जहीर अब्बास ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि सरकार मदरसा शिक्षकों के बकाया वेतन का भुगतान करे और कंप्यूटर लैब, इंफ्रास्ट्रक्चर, छात्रवृत्ति और एनसीईआरटी की किताबों के वितरण के लिए बजट में विशेष प्रावधान करें. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस कथन का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था, "एक हाथ में लैपटॉप और एक हाथ में कुरान", और उम्मीद जताई कि सरकार इस दृष्टिकोण को हकीकत में बदलेगी.

बजट से बड़ी उम्मीदें
वहीं मदरसा वारसिया के शिक्षक मौलाना मुस्तफा फारूकी ने कहा कि, हर बार बजट से बड़ी उम्मीदें रहती हैं, लेकिन जब बजट पेश होता है, तो निराशा हाथ लगती है. उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि मदरसा शिक्षा और अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए विशेष बजट का प्रावधान किया जाए. फारूकी ने कहा कि मदरसों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को बेहतर सुविधाएं मिलनी चाहिए, उन्हें रोजगार के अवसर दिए जाएं, कंप्यूटर लैब और तकनीकी प्रशिक्षण की सुविधा दी जाए. इसके लिए सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे, जिससे मदरसा शिक्षा का स्तर बेहतर हो सके.

स्कॉलरशिप और मिड-डे मील जैसी सुविधाओं की मांग
मदरसा टीचर्स एसोसिएशन से जुड़े मौलाना जमील अहमद निजामी ने कहा कि सरकार ने एनसीईआरटी का सिलेबस तो लागू कर दिया है, लेकिन अब तक कई मदरसों में एनसीईआरटी की किताबें उपलब्ध नहीं हो सकी हैं. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि बजट में इसके लिए पर्याप्त धनराशि का प्रावधान किया जाए. उन्होंने सुझाव दिया कि मदरसा छात्रों की छात्रवृत्ति में वृद्धि की जाए, जिससे ड्रॉपआउट दर में कमी आएगी. साथ ही, उन्होंने सरकार से मिड-डे मील योजना को मदरसों में भी लागू करने की मांग की, जिससे गरीब और मजदूर तबके से आने वाले छात्रों को फायदा मिल सके.

यह भी पढ़ें: UP में सख्त निगरानी के बीच मदरसा बोर्ड परीक्षा जारी, प्रयागराज में छात्रों को मिली विशेष सुविधा


लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा में गुरुवार को वित्त मंत्री सुरेश खन्ना योगी सरकार का बजट पेश करेंगे. इस बजट से प्रदेश के अल्पसंख्यक समुदाय, विशेष रूप से मदरसों से जुड़े लोगों को बड़ी उम्मीदें हैं. मदरसा आधुनिकीकरण की योजना के बंद होने और शिक्षकों के बकाया वेतन जैसे मुद्दों पर मदरसा शिक्षकों और प्रबंधकों में गहरी चिंताएं देखी जा रही है. साथ ही सभी इस बार सरकार की ओर से नजरें इनायत होने की उम्मीद जता रहे हैं.

मदरसों में आधुनिकीकरण की जरूरत
लखनऊ के गोमती नगर स्थित मदरसा वारसिया के प्रिंसिपल मौलाना जहीर अब्बास ने बजट को लेकर कहा कि योगी सरकार ने मदरसों में सुधार के लिए कई प्रयास किए हैं, जिससे छात्रों को दीनी तालीम के साथ-साथ मुख्यधारा की शिक्षा भी प्राप्त हो रही है. हालांकि, उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि मदरसों में विज्ञान और अन्य आधुनिक विषयों के शिक्षकों की नियुक्ति बंद हो चुकी है, जिससे छात्रों की शिक्षा अधूरी रह जा रही है.

बजट को लेकर क्या बोले अल्पसंख्यक? (Video Credit; ETV Bharat)

जहीर अब्बास ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि सरकार मदरसा शिक्षकों के बकाया वेतन का भुगतान करे और कंप्यूटर लैब, इंफ्रास्ट्रक्चर, छात्रवृत्ति और एनसीईआरटी की किताबों के वितरण के लिए बजट में विशेष प्रावधान करें. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस कथन का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था, "एक हाथ में लैपटॉप और एक हाथ में कुरान", और उम्मीद जताई कि सरकार इस दृष्टिकोण को हकीकत में बदलेगी.

बजट से बड़ी उम्मीदें
वहीं मदरसा वारसिया के शिक्षक मौलाना मुस्तफा फारूकी ने कहा कि, हर बार बजट से बड़ी उम्मीदें रहती हैं, लेकिन जब बजट पेश होता है, तो निराशा हाथ लगती है. उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि मदरसा शिक्षा और अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए विशेष बजट का प्रावधान किया जाए. फारूकी ने कहा कि मदरसों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को बेहतर सुविधाएं मिलनी चाहिए, उन्हें रोजगार के अवसर दिए जाएं, कंप्यूटर लैब और तकनीकी प्रशिक्षण की सुविधा दी जाए. इसके लिए सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे, जिससे मदरसा शिक्षा का स्तर बेहतर हो सके.

स्कॉलरशिप और मिड-डे मील जैसी सुविधाओं की मांग
मदरसा टीचर्स एसोसिएशन से जुड़े मौलाना जमील अहमद निजामी ने कहा कि सरकार ने एनसीईआरटी का सिलेबस तो लागू कर दिया है, लेकिन अब तक कई मदरसों में एनसीईआरटी की किताबें उपलब्ध नहीं हो सकी हैं. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि बजट में इसके लिए पर्याप्त धनराशि का प्रावधान किया जाए. उन्होंने सुझाव दिया कि मदरसा छात्रों की छात्रवृत्ति में वृद्धि की जाए, जिससे ड्रॉपआउट दर में कमी आएगी. साथ ही, उन्होंने सरकार से मिड-डे मील योजना को मदरसों में भी लागू करने की मांग की, जिससे गरीब और मजदूर तबके से आने वाले छात्रों को फायदा मिल सके.

यह भी पढ़ें: UP में सख्त निगरानी के बीच मदरसा बोर्ड परीक्षा जारी, प्रयागराज में छात्रों को मिली विशेष सुविधा


Last Updated : Feb 19, 2025, 9:36 PM IST
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