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सिद्धार्थनगर: भाकियू के कार्यकर्ताओं ने नए कृषि कानूनों का किया विरोध

सिद्धार्थनगर में नए कृषि कानूनों के विरोध में भारतीय किसान यूनियन के कायकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया. कायकर्ताओं ने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा.

bharatiya kisan union
प्रदर्शन करते भाकियू के कार्यकर्ता
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Published : Sep 30, 2020, 1:59 PM IST

सिद्धार्थनगर: जिले में नए कृषि कानूनों के विरोध में जिला मुख्यालय पर भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन कर राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा. बुधवार को यूनियन के कार्यकर्ता भारी संख्या में कलेक्ट्रेट के सामने इकट्ठा हुए और जमकर नारेबाजी की. प्रशासन ने पहले से ही सुरक्षा के मद्देनजर भारी पुलिस बल तैनात कर रखा था.

भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष मोहम्मद चौधरी ने कहा कि किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों को वापस ले. अनाज का न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी स्वरूप प्रदान किया जाए. कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को कृषि से न जोड़ा जाए.

संसद से पास हुए कृषि बिलों पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हस्ताक्षर कर दिए हैं. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद से ही ये कृषि बिल अब कानून बन गए हैं. किसान और राजनीतिक दल कृषि बिल को वापस लेने की मांग कर रहे थे, लेकिन उनकी अपील काम नहीं आई. सरकार अपने फैसले पर कायम है.

कृषि बिल को लेकर देश के कई हिस्सों में किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. एक और केंद्र सरकार में मंत्री रही हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दे दिया वहीं विपक्ष भी लगातार इस बिल का विरोध कर रहा है. राहुल गांधी समेत विपक्ष के तमाम नेता इस बिल को काला कानून बता रहे हैं.

सिद्धार्थनगर: जिले में नए कृषि कानूनों के विरोध में जिला मुख्यालय पर भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन कर राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा. बुधवार को यूनियन के कार्यकर्ता भारी संख्या में कलेक्ट्रेट के सामने इकट्ठा हुए और जमकर नारेबाजी की. प्रशासन ने पहले से ही सुरक्षा के मद्देनजर भारी पुलिस बल तैनात कर रखा था.

भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष मोहम्मद चौधरी ने कहा कि किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों को वापस ले. अनाज का न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी स्वरूप प्रदान किया जाए. कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को कृषि से न जोड़ा जाए.

संसद से पास हुए कृषि बिलों पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हस्ताक्षर कर दिए हैं. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद से ही ये कृषि बिल अब कानून बन गए हैं. किसान और राजनीतिक दल कृषि बिल को वापस लेने की मांग कर रहे थे, लेकिन उनकी अपील काम नहीं आई. सरकार अपने फैसले पर कायम है.

कृषि बिल को लेकर देश के कई हिस्सों में किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. एक और केंद्र सरकार में मंत्री रही हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दे दिया वहीं विपक्ष भी लगातार इस बिल का विरोध कर रहा है. राहुल गांधी समेत विपक्ष के तमाम नेता इस बिल को काला कानून बता रहे हैं.

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