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हाईकोर्ट ने झूठी शिकायत पर शिक्षकों का वेतन रोकने का आदेश रद्द किया, शिकायतकर्ता के खिलाफ कार्रवाई का आदेश - ALLAHABAD HIGH COURT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने झूठी ​शिकायत पर तीन ​शिक्षकों के वेतन रोकने के आदेश को रद्द कर दिया.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश (Photo Credit- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 6, 2025, 8:19 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने झूठी ​शिकायत पर तीन ​शिक्षकों के वेतन रोकने के आदेश को रद्द कर दिया. साथ ही झूठी शिकायत करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने निर्देश दिया कि नोटिस जारी कर जवाब मांगा जाए कि क्यों ने उनपर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाए. कोर्ट ने कहा उनकी ​शिकायत पर दो दशकों से अधिक समय से शांतिपूर्वक अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे ​शिक्षक परेशान हुए. ​झूठी शिकायत के कारण शिक्षकों को हाईकोर्ट का चक्कर लगाना पड़ा. न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने दुर्गेश मिश्रा और 2 अन्य की याचिका पर यह आदेश दिया.

आगरा के रकाबगंज ​स्थित एंग्लो बंगाली बालिका इंटर कॉलेज में सरोज अग्रवाल, दुर्गेश मिश्रा और इंदूबाला कोहली की ​शिक्षक के रूप में 1998 नियु​क्ति हुई. लगभग दो दशक की नौकरी करने के बाद ग्राम सूरोठी अछनेरा निवासी भूपेंद्र सिंह की ​शिकायत पर डीआईओएस ने 31 दिसंबर 2024 के एक आदेश से याचियों का वेतन रोक दिया गया. इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी.

याची के अ​धिवक्ता ने दलील दी कि याचियों की नियु​क्ति वैध थी. उन्हें पदोन्नत भी किया गया था. दो दशकों के बाद भूपेंद्र सिंह ने याचिकाकर्ताओं में से एक की नियुक्ति के संबंध में शिकायत की, जिस पर संज्ञान लिया गया था. हालांकि 21 नवंबर 2023 के आदेश से ​शिकायत खारिज कर दी गई थी. ऐसे व्यक्ति की शिकायत खारिज होने के बावजूद, फिर उसी शिकायत के आधार पर सभी याचिकाकर्ताओं के खिलाफ संबंधित डीआईओएस को संबोधित 15 अप्रैल 2023 को संयुक्त निदेशक शिक्षा के स्तर पर एक जांच स्थापित की गई थी. याचिकाकर्ताओं ने अपने-अपने उत्तर प्रस्तुत किए. संबंधित डीआईओएस ने 31 दिसंबर 2024 के एक आदेश से याचिकाकर्ताओं का वेतन रोक दिया.

न्यायालय ने पक्षों को सुनने के बाद कहा कि अदालत के पारित पूर्व के आदेश की गलत व्याख्या की गई है. याचियों की नियु​क्ति उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर की गई है. कोर्ट ने डीआईओएस के आदेश को रद्द कर दिया. साथ ही कहा कि ऐसा लगता है कि शिकायतकर्ता की शिक्षा विभाग के अधिकारियों से अच्छी सांठगांठ है. क्योंकि पहले की शिकायत को खारिज कर दिया गया था. बाद में दो दशकों के बाद जांच शुरू की गई और विवादित आदेश पारित किया गया. कोर्ट ने ​शिकायतकर्ता पर आपरा​धिक कार्रवाई करने का निर्देश दिया.

ये भी पढ़ें- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- ट्रैफिक मैनजमेंट फेल, बड़े अधिकारियों से जवाब तलब किया

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने झूठी ​शिकायत पर तीन ​शिक्षकों के वेतन रोकने के आदेश को रद्द कर दिया. साथ ही झूठी शिकायत करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने निर्देश दिया कि नोटिस जारी कर जवाब मांगा जाए कि क्यों ने उनपर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाए. कोर्ट ने कहा उनकी ​शिकायत पर दो दशकों से अधिक समय से शांतिपूर्वक अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे ​शिक्षक परेशान हुए. ​झूठी शिकायत के कारण शिक्षकों को हाईकोर्ट का चक्कर लगाना पड़ा. न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने दुर्गेश मिश्रा और 2 अन्य की याचिका पर यह आदेश दिया.

आगरा के रकाबगंज ​स्थित एंग्लो बंगाली बालिका इंटर कॉलेज में सरोज अग्रवाल, दुर्गेश मिश्रा और इंदूबाला कोहली की ​शिक्षक के रूप में 1998 नियु​क्ति हुई. लगभग दो दशक की नौकरी करने के बाद ग्राम सूरोठी अछनेरा निवासी भूपेंद्र सिंह की ​शिकायत पर डीआईओएस ने 31 दिसंबर 2024 के एक आदेश से याचियों का वेतन रोक दिया गया. इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी.

याची के अ​धिवक्ता ने दलील दी कि याचियों की नियु​क्ति वैध थी. उन्हें पदोन्नत भी किया गया था. दो दशकों के बाद भूपेंद्र सिंह ने याचिकाकर्ताओं में से एक की नियुक्ति के संबंध में शिकायत की, जिस पर संज्ञान लिया गया था. हालांकि 21 नवंबर 2023 के आदेश से ​शिकायत खारिज कर दी गई थी. ऐसे व्यक्ति की शिकायत खारिज होने के बावजूद, फिर उसी शिकायत के आधार पर सभी याचिकाकर्ताओं के खिलाफ संबंधित डीआईओएस को संबोधित 15 अप्रैल 2023 को संयुक्त निदेशक शिक्षा के स्तर पर एक जांच स्थापित की गई थी. याचिकाकर्ताओं ने अपने-अपने उत्तर प्रस्तुत किए. संबंधित डीआईओएस ने 31 दिसंबर 2024 के एक आदेश से याचिकाकर्ताओं का वेतन रोक दिया.

न्यायालय ने पक्षों को सुनने के बाद कहा कि अदालत के पारित पूर्व के आदेश की गलत व्याख्या की गई है. याचियों की नियु​क्ति उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर की गई है. कोर्ट ने डीआईओएस के आदेश को रद्द कर दिया. साथ ही कहा कि ऐसा लगता है कि शिकायतकर्ता की शिक्षा विभाग के अधिकारियों से अच्छी सांठगांठ है. क्योंकि पहले की शिकायत को खारिज कर दिया गया था. बाद में दो दशकों के बाद जांच शुरू की गई और विवादित आदेश पारित किया गया. कोर्ट ने ​शिकायतकर्ता पर आपरा​धिक कार्रवाई करने का निर्देश दिया.

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