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भदोही: टपकती छत के नीचे चल रहा आयुर्वेदिक चिकित्सालय, जान जोखिम में डालकर मरीज ले रहे दवा

उत्तर प्रदेश के भदोही के सुरियावां थाना क्षेत्र के पाली में स्थित सरकारी आयुर्वेदिक चिकित्सालय की स्थिति बेहद खराब है. इस आयुर्वेद चिकित्सालय का निर्माण 1961 में हुआ था. 50 वर्ष से अधिक हो जाने के बावजूद भी अभी तक एक भी बार रिपेयरिंग का काम नहीं हुआ है. इसलिए पूरा चिकित्सालय खंडहर में तब्दील हो गया है.

सरकारी आयुर्वेदिक चिकित्सालय की हालत बद से बदतर.
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Published : Aug 26, 2019, 2:31 PM IST

भदोही: जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था का बुरा हाल है. जिले के सुरियावां थाना क्षेत्र के पाली में सरकारी आयुर्वेदिक चिकित्सालय की स्थिति बद से बदतर है. यहां की बिल्डिंग पूरी तरीके से नष्ट हो चुकी है और पूरा चिकित्सालय खंडहर बन गया है. इसके बावजूद भी सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है.

सरकारी आयुर्वेदिक चिकित्सालय की हालत बद से बदतर.

इसे भी पढ़ें- आजमगढ़: आयुर्वेदिक चिकित्सालय में पसरा सन्नाटा, नहीं आ रहे मरीज

आयुर्वेदिक चिकित्सालय की हालत बद से बदतर

  • जिले के सुरियावां थाना क्षेत्र के पाली में आयुर्वेद चिकित्सालय की हालत बद से बदतर है.
  • इसके बावजूद भी वहां डॉक्टर बैठकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं, वहां कोई भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है.
  • दवाइयां रखने के लिए व्यवस्था तक भी नहीं है.
  • डॉक्टर किसी तरीके से प्लास्टिक से ढक कर दवाइयां रख रहे, ताकि छत से टपकते हुए पानी से दवाइयों को बचाया जा सके.
  • मरीज अपनी जान जोखिम में डालकर दवा लेने जाता है.
  • बरसात होने की वजह से वह बाहर भी बैठकर इलाज नहीं कर सकते हैं.
  • इस वजह से मजबूरन खंडहर बन चुके अस्पताल में डॉक्टर जान जोखिम में डालकर दवा दे रहे हैं.

मरीजों को जान जोखिम में डालकर करवाना पड़ता इलाज
प्रतिदिन वहां सौ से डेढ़ सौ मरीज इलाज के लिए आते हैं ऐसी स्थिति में मरीज भी डरते हैं कि कहीं कोई दुर्घटना ना हो जाए. इस वजह से वह बाहर ही पेड़ के नीचे अपना इलाज करवाना पसंद करते हैं. बरसात की वजह से इस समय यह मुमकिन नहीं है. जिसकी वजह से मरीजों को मजबूरन अपना जान जोखिम में डालकर इलाज करवाना पड़ रहा है.

1961 में इस आयुर्वेदिक चिकित्सालय का हुआ था निर्माण
सरकार ने अस्पताल के लिए जमीन तो आवंटित कर दिया है, लेकिन अभी तक उसके बनाए जाने की कोई व्यवस्था नहीं बन पाई है. ऐसी स्थिति में अगर कोई बड़ी घटना वहां घट जाती है, तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा. सन 1961 में इस आयुर्वेदिक चिकित्सालय का निर्माण कराया गया था, लेकिन 50 वर्ष से अधिक हो जाने के बावजूद भी अभी तक एक भी बार रिपेयरिंग का काम नहीं हुआ है. इस वजह से चिकित्सालय की पूरी बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है.

भदोही: जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था का बुरा हाल है. जिले के सुरियावां थाना क्षेत्र के पाली में सरकारी आयुर्वेदिक चिकित्सालय की स्थिति बद से बदतर है. यहां की बिल्डिंग पूरी तरीके से नष्ट हो चुकी है और पूरा चिकित्सालय खंडहर बन गया है. इसके बावजूद भी सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है.

सरकारी आयुर्वेदिक चिकित्सालय की हालत बद से बदतर.

इसे भी पढ़ें- आजमगढ़: आयुर्वेदिक चिकित्सालय में पसरा सन्नाटा, नहीं आ रहे मरीज

आयुर्वेदिक चिकित्सालय की हालत बद से बदतर

  • जिले के सुरियावां थाना क्षेत्र के पाली में आयुर्वेद चिकित्सालय की हालत बद से बदतर है.
  • इसके बावजूद भी वहां डॉक्टर बैठकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं, वहां कोई भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है.
  • दवाइयां रखने के लिए व्यवस्था तक भी नहीं है.
  • डॉक्टर किसी तरीके से प्लास्टिक से ढक कर दवाइयां रख रहे, ताकि छत से टपकते हुए पानी से दवाइयों को बचाया जा सके.
  • मरीज अपनी जान जोखिम में डालकर दवा लेने जाता है.
  • बरसात होने की वजह से वह बाहर भी बैठकर इलाज नहीं कर सकते हैं.
  • इस वजह से मजबूरन खंडहर बन चुके अस्पताल में डॉक्टर जान जोखिम में डालकर दवा दे रहे हैं.

मरीजों को जान जोखिम में डालकर करवाना पड़ता इलाज
प्रतिदिन वहां सौ से डेढ़ सौ मरीज इलाज के लिए आते हैं ऐसी स्थिति में मरीज भी डरते हैं कि कहीं कोई दुर्घटना ना हो जाए. इस वजह से वह बाहर ही पेड़ के नीचे अपना इलाज करवाना पसंद करते हैं. बरसात की वजह से इस समय यह मुमकिन नहीं है. जिसकी वजह से मरीजों को मजबूरन अपना जान जोखिम में डालकर इलाज करवाना पड़ रहा है.

1961 में इस आयुर्वेदिक चिकित्सालय का हुआ था निर्माण
सरकार ने अस्पताल के लिए जमीन तो आवंटित कर दिया है, लेकिन अभी तक उसके बनाए जाने की कोई व्यवस्था नहीं बन पाई है. ऐसी स्थिति में अगर कोई बड़ी घटना वहां घट जाती है, तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा. सन 1961 में इस आयुर्वेदिक चिकित्सालय का निर्माण कराया गया था, लेकिन 50 वर्ष से अधिक हो जाने के बावजूद भी अभी तक एक भी बार रिपेयरिंग का काम नहीं हुआ है. इस वजह से चिकित्सालय की पूरी बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है.

Intro:जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था का बुरा हाल है जिले में जहां जिला अस्पताल सरकारी डॉक्टरों की कमी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व्यवस्थाओं का अभाव यह बातें तो जिले के लिए आम बात है लेकिन जिले के सुरियावा थाना क्षेत्र में पाली में सरकारी आयुर्वेद चिकित्सालय की स्थिति बद से बदतर है यहां की बिल्डिंग पूरी तरीके से नष्ट हो चुकी है और पूरा चिकित्सालय खंडहर बन गया है इसके बावजूद भी सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है


Body:खंडहर बने आयुर्वेद चिकित्सालय में दीवानों से पापड़िया छूटती है छूते हैं तथा जगह-जगह टूट टूट कर गिर रहा है इसके बावजूद भी वहां डॉक्टर बैठकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं वहां कोई भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है दवाइयां रखने के लिए व्यवस्था तक भी नहीं है डॉक्टर किसी तरीके से प्लास्टिक से ढक कर दवाइयां रख रहे ताकि छत से टपकते हुए पानी से दवाइयों को बचाया जा सके वहां मरीज अपना जान जोखिम में डालकर दवा लेने जाता है बरसात होने की वजह से वह बाहर भी बैठकर इलाज नहीं कर सकते हैं इस वजह से मजबूरन खंडहर बन चुके अस्पताल में डॉक्टर जान जोखिम में डालकर दवा दे रहे हैं


Conclusion:प्रतिदिन वहां सौ से डेढ़ सौ मरीज इलाज के लिए आते हैं ऐसी स्थिति में मरीज भी डरते हैं कि कहीं कोई दुर्घटना ना हो जाए इस वजह से वह बाहर ही पेड़ के नीचे अपना इलाज करवाना पसंद करते हैं लेकिन बरसात की वजह से इस समय यह मुमकिन नहीं है जिसकी वजह से मरीजों को मजबूरन अपना जान जोखिम में डालकर इलाज करवाना पड़ रहा है हालांकि सरकार ने अस्पताल के लिए जमीन तो आमंत्रित कर दिया है लेकिन अभी आज तक उसके बनाए जाने की कोई व्यवस्था नहीं बन पाए ऐसी स्थिति में अगर कोई बड़ी घटना वहां घट जाती है तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा सन 1961 में इस आयुर्वेदिक चिकित्सालय का निर्माण कराया गया था लेकिन 50 वर्ष से अधिक हो जाने के बावजूद भी अभी आज तक एक भी बार रिपेयरिंग का काम नहीं हुआ है इस वजह से चिकित्सालय की पूरी बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है और वह चिकित्सालय की पूरी बिल्डिंग कब गिर जाए इसका भी कोई ठिकाना नहीं है


डॉ जयप्रकाश की बाइट और वहां इलाज कराने आए मरीज सुनील कुमार की वाइट
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