प्रयागराज : महाकुंभ 2025 कीर्तिमानों का भी कुंभ बनता जा रहा है. महाकुंभ शुरू होने से पहले ही प्रयागराज की अनामिका शर्मा ने देश-दुनिया का ध्यान महाकुंभ की ओर खींचा है. अनामिका ने बीते 8 जनवरी को बैंकॉक में दिव्य कुंभ-भव्य कुंभ के झंडे के साथ 13000 फीट की ऊंचाई से छलांग लगाई है. ऐसा करके अनामिका ने पूरी दुनिया को कुंभ में आने का न्यौता दिया है.
पहले राम मंदिर के लिए लगाई थी छलांग: अनामिका ने इससे पूर्व 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के भव्य उद्घाटन को स्मरणीय बनाने के लिए 'जय श्रीराम' एवं 'श्री राम मंदिर के ध्वज' के साथ भी 13000 फीट की ऊंचाई से छलांग लगाई थी. यह छलांग भी अनामिका ने बैंकॉक में ही लगाई थी. अपने देश में इन सुविधाओं का अभाव होने के कारण अनामिका को अपने अभ्यास के लिए रूस, दुबई और बैंकॉक जाना पड़ता है.
बोलीं- महाकुंभ मानव कल्याण का आयोजन: अनामिका ने बताया कि मैंने जब भी आसमान में उड़ान भरी और ऊंचाई से छलांग लगाई तो यह भाव हमेशा रहा कि 'मेरा भारत महान'. हमारी परंपरा रही है कि जब भी विश्व कल्याण के लिए कोई आयोजन होता है तब भारत के सभी प्राणी यहां तक कि गिलहरी भी अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान करती है. मैं तो गर्व से कहती हूं कि मैं भारत की बेटी हूं. महाकुंभ-2025 विश्व का सबसे बड़ा मानव कल्याण का आयोजन है.
कुंभ की महिमा बखानी: अनामिका ने कहा कि यह आयोजन भारत की शास्त्रार्थ परंपरा का ही वृहद रूप है. ऋषियों, मुनियों, तपस्वी जनों, धर्माचार्यों आदि के संगमनगरी में प्रवास करने से ही संपूर्ण परिवेश दिव्य हो जाता है. शास्त्रों की चर्चा, परंपराओं का मूल्यांकन और उनमें समय अनुकूल परिवर्तन का सुझाव ऋषियों मुनियों से प्राप्त होता है. वसुधैव कुटुंबकम का साक्षात प्रदर्शन भी यहां हो जाता है. सर्वे भवंतु सुखिन, सर्वे संतु निरामया की धुन यहां के कण- कण में व्याप्त रहती है. मानव जीवन के विविध रंगों का साक्षात्कार कुंभ में हो जाता है.
अपनी इस छलांग के बारे में पूछने पर अनामिका शर्मा कहती हैं कि मैं अपनी संस्कृति और अपने शहर की सेवा जिस किसी भी रूप में कर सकती हूं, वह मेरे लिए गौरव का विषय रहेगा. मैं ऐसा करती ही रहूंगी. मुझे गर्व है कि मैं विश्व के प्रथम कुलपति, विमान शास्त्र के रचयिता और प्रयागराज के मूल पुरुष महर्षि भारद्वाज के गुरुकुल के प्रांगण में पली- बढ़ी.
8 मार्च को महिला दिवस पर देंगी संदेश: अनामिका शर्मा बैंकाक से लौटकर महिला सशक्तिकरण के प्रतीक के रूप में महिला दिवस 8 मार्च से पहले गंगा-जमुना-सरस्वती के संगम पर पानी पर लैंडिंग कर प्रदर्शन करेंगी. बताते चलें कि अनामिका एक प्रशिक्षित स्काई डाइवर हैं. वह स्काई डाइविंग करते हुए जल पर लैंडिंग कर सकती है. इसका भी प्रशिक्षण अनामिका ने ले रखा है. अनामिका ने अपने पिता पूर्व वायु सैनिक अजय कुमार शर्मा से स्काई डाइविंग सीखी है. उन्होंने अपनी पहली छलांग 13 वर्ष की उम्र में ही 13 हजार फीट से लगाई थी. अनामिका शर्मा आज 24 वर्ष की हो गई है और अमेरिका के यूनाइटेड स्टेट्स पैराशूट संगठन (USPA) में C लाइसेंस प्राप्त भारतीय महिला स्काई ड्राइविंग प्रशिक्षक हैं.