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भदोही: प्रकृति के आगे किसान लाचार, बारिश से बर्बाद हुई 30 हजार हेक्टेयर फसल - rain in bhadohi

यूपी के भदोही में प्रकृति के आगे किसान लाचार हैं. पिछले कुछ दिनों में हुई बारिश की वजह से दलहन और धान की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है. ऐसे में किसानों को सिर्फ फसल बीमा योजना के तहत मिलने वाले मुआवजे से आस बची है.

बारिश से बर्बाद हुईं 30 हजार हेक्टेयर से अधिक फसल.
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Published : Oct 29, 2019, 2:50 PM IST

भदोही: जिले में पिछले कुछ दिनों हुई भारी बारिश की वजह से किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ा है. बारिश की वजह से जिले की दलहनी फसल लगभग पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. इसके साथ ही धान की फसल को भी भारी नुकसान हुआ है. पानी की वजह से जहां जिले के 90 से 95% दलहन, बाजरा, ज्वार के पौधे सड़ गए हैं. वहीं दूसरी तरफ धान की फसलों में कई दिनों तक लगातार पानी लगने की वजह से फसल को कंडुवा रोग बर्बाद कर रहा है. जिले में लगभग 50 प्रतिशत धान की फसल पानी लगने की वजह से बर्बाद हो चुकी है.

बारिश से बर्बाद हुईं 30 हजार हेक्टेयर से अधिक फसल.
फसल बीमा योजना बची आखिरी आसहर साल जिले को सूखे की मार झेलनी पड़ती थी, जिसकी वजह से किसान दलहनी फसलों की तरफ आकर्षित हो रहे थे और हर बार से 20 परसेंट ज्यादा इस बार दलहनी फसलों को जिले के किसानों ने लगाया था, जबकि इस बार बारिश ज्यादा होने से किसानों की दलहनी फसलें लगभग पूरी तरीके से बर्बाद हो चुकी हैं. अब किसानों को सिर्फ फसल बीमा योजना के तहत मिलने वाले मुआवजे का इंतजार है. किसान इस बात से भी परेशान हैं कि बीमा योजना के तहत जो रुपये मिलने वाले हैं, वो दलहनी फसलों के रेट से काफी कम हैं.

दवा के छिड़काव से फसल को बचाने की कोशिश कर रहे किसान

  • जिले में 4,500 हेक्टेयर दलहनी फसल, जबकि 29,315 हेक्टेयर धान की फसल बर्बाद हुई है.
  • बर्बाद हुई फसल में बासमती, संकर धान और अन्य धान है.
  • इसके साथ ही दलहन, तिलहन और ज्वार की खेती भी की गई थी, जो बर्बाद हुई है.
  • धान की खेती के लिए नीची तलहटी के खेत उपयुक्त माने जाते हैं.
  • जिसकी वजह से नीचे तलहटी में पानी भर जाने पर पानी निकाले जाने की स्थिति नामुमकिन होती है.
  • ऐसी स्थिति में किसान धान की फसल में पानी भर जाने से असहाय महसूस कर रहे हैं.
  • धान की फसलों में कई दिनों तक लगातार पानी लगने की वजह से फसल में कंडुवा रोग भी लग गया है.
  • किसान दवा के छिड़काव के भरोसे अपनी धान की फसल को बचाने की कोशिश कर रहे हैं.

जिला कृषि अधिकारी ने बताया ऐसी स्थिति से फसल को बचाने के लिए सबसे जरूरी होता है कि पानी लगने वाले रोग कंडुवा से बचाने के लिए हेक्सा कोना जोन का छिड़काव किया जाए. फसल से पानी निकालकर भी इसे कंट्रोल किया जा सकता है, इसके लिए बैलेंस फर्टिलाइजर विधि काफी उपयुक्त मानी जाती है.

भदोही: जिले में पिछले कुछ दिनों हुई भारी बारिश की वजह से किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ा है. बारिश की वजह से जिले की दलहनी फसल लगभग पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. इसके साथ ही धान की फसल को भी भारी नुकसान हुआ है. पानी की वजह से जहां जिले के 90 से 95% दलहन, बाजरा, ज्वार के पौधे सड़ गए हैं. वहीं दूसरी तरफ धान की फसलों में कई दिनों तक लगातार पानी लगने की वजह से फसल को कंडुवा रोग बर्बाद कर रहा है. जिले में लगभग 50 प्रतिशत धान की फसल पानी लगने की वजह से बर्बाद हो चुकी है.

बारिश से बर्बाद हुईं 30 हजार हेक्टेयर से अधिक फसल.
फसल बीमा योजना बची आखिरी आसहर साल जिले को सूखे की मार झेलनी पड़ती थी, जिसकी वजह से किसान दलहनी फसलों की तरफ आकर्षित हो रहे थे और हर बार से 20 परसेंट ज्यादा इस बार दलहनी फसलों को जिले के किसानों ने लगाया था, जबकि इस बार बारिश ज्यादा होने से किसानों की दलहनी फसलें लगभग पूरी तरीके से बर्बाद हो चुकी हैं. अब किसानों को सिर्फ फसल बीमा योजना के तहत मिलने वाले मुआवजे का इंतजार है. किसान इस बात से भी परेशान हैं कि बीमा योजना के तहत जो रुपये मिलने वाले हैं, वो दलहनी फसलों के रेट से काफी कम हैं.

दवा के छिड़काव से फसल को बचाने की कोशिश कर रहे किसान

  • जिले में 4,500 हेक्टेयर दलहनी फसल, जबकि 29,315 हेक्टेयर धान की फसल बर्बाद हुई है.
  • बर्बाद हुई फसल में बासमती, संकर धान और अन्य धान है.
  • इसके साथ ही दलहन, तिलहन और ज्वार की खेती भी की गई थी, जो बर्बाद हुई है.
  • धान की खेती के लिए नीची तलहटी के खेत उपयुक्त माने जाते हैं.
  • जिसकी वजह से नीचे तलहटी में पानी भर जाने पर पानी निकाले जाने की स्थिति नामुमकिन होती है.
  • ऐसी स्थिति में किसान धान की फसल में पानी भर जाने से असहाय महसूस कर रहे हैं.
  • धान की फसलों में कई दिनों तक लगातार पानी लगने की वजह से फसल में कंडुवा रोग भी लग गया है.
  • किसान दवा के छिड़काव के भरोसे अपनी धान की फसल को बचाने की कोशिश कर रहे हैं.

जिला कृषि अधिकारी ने बताया ऐसी स्थिति से फसल को बचाने के लिए सबसे जरूरी होता है कि पानी लगने वाले रोग कंडुवा से बचाने के लिए हेक्सा कोना जोन का छिड़काव किया जाए. फसल से पानी निकालकर भी इसे कंट्रोल किया जा सकता है, इसके लिए बैलेंस फर्टिलाइजर विधि काफी उपयुक्त मानी जाती है.

Intro:जिले में पिछले कुछ दिनों हुई भारी बारिश की वजह से किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है बारिश की वजह से जिले की दलहनी फसल लगभग पूरी तरीके से बर्बाद हो गई है जबकि धान की फसल को भी भारी नुकसान हुआ है पानी की वजह से जहां जिले के 90 से 95% दलहन बाजरा ज्वार के पौधे सड़ गए वहीं दूसरी तरफ धान की फसलों में कई दिनों तक लगातार पानी लगने की वजह से हेक्सा कोना जोन नामक कीटाणु बर्बाद कर रहा है जिले में लगभग 50 परसेंट धान की फसल पानी लगने की वजह से बर्बाद हो चुकी है


Body:हर साल जिले को सूखे की मार झेलनी पड़ती थी जिसकी वजह से किसान दलहनी फसलों की तरफ आकर्षित हो रहे थे और हर बार से 20 परसेंट ज्यादा इस बार दलहनी फसलों को जिला के किसानों ने लगाया था जबकि इस बार बारिश ज्यादा हो गई इससे किसानों की दलहनी फसलें लगभग पूरी तरीके से बर्बाद हो चुकी हैं अब किसानों को सिर्फ फसल बीमा योजना के तहत मिलने वाले मुआवजे का इंतजार है उनको इस बात से भी परेशानी है कि जो बीमा योजना के तहत पैसे मिलने वाले हैं उनका रेट दलहनी फसलों पर काफी कम है


Conclusion:जिले में 45000 476 हेक्टेयर दलहनी फसल जबकि 29000 315 हेक्टेयर धान की फसल बर्बाद हुई है जिसमें कि बासमती संकर धान तथा अन्य धान की खेती की गई थी धान की खेती के लिए नीचे तलहटी की खेत उपयुक्त माना जाता है जिसकी वजह से नीचे तलहटी में पानी भर जाने पर पानी निकाले जाने की स्थिति नामुमकिन होती है ऐसे ही स्थिति में किसान असहाय महसूस कर रहे हैं और छिड़काव के भरोसे अपनी धान की फसल को बचाने की कोशिश कर रहे हैं ऐसी स्थिति को बचाने के लिए सबसे जरूरी होता है कि पानी लगने वाले रोग कंडुवा से बचाने के लिए hexa cona जोन का छिड़काव और उसमें से पानी निकालकर कंट्रोल किया जा सकता है इसके लिए बैलेंस फर्टिलाइजर काफी उपयुक्त मानी जाती है

जिला कृषि अधिकारी तथा किसान कुछ मेष पति त्रिपाठी की बाइट



दीपू पांडेय , भदोही ,
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