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रजिस्ट्रेशन के बाद भी धान क्रय केंद्रों पर किसान महीनों लगा रहे चक्कर

भदोही में धान क्रय केंद्रों पर सरकारी व्यवस्थाएं हवा-हवाई साबित हो रही हैं. ऐसे में किसानों को अपने धान को बेचने के लिए महीनों क्रय केंद्र के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.

धान क्रय केंद्रों पर किसान महीनों लगा रहे चक्कर.
धान क्रय केंद्रों पर किसान महीनों लगा रहे चक्कर.
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Published : Jan 2, 2021, 12:06 PM IST

भदोही : योगी सरकार भले ही दावा करे कि किसानों को क्रय केंद्रों पर कोई परेशानी नहीं हो रही है लेकिन स्थिति इसके ठीक विपरीत है. किसानों की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि रजिस्ट्रेशन कराने के एक महीने बाद तक का धान बेचने का डेट मिल रहा है. कई छोटे किसान ऐसे हैं कि जिनके पास गोडाउन की व्यवस्था नहीं है. ऐसी स्थिति में वह बिचौलियों और लोकल मार्केट में अपने धान को औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर हैं.

धान क्रय केंद्रों पर किसान महीनों लगा रहे चक्कर.

जिले में विपणन विभाग और अन्य संस्थानों को मिलाकर कुल 50 धान क्रय केंद्र बनाए गए हैं. यहां 90 मिलियन टन धान खरीद का लक्ष्य रखा गया है. अब तक 50 प्रतिशत लक्ष्य पूरा हो चुका है. इतना ही नहीं क्रय केंद्रों पर बड़े किसानों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. एक क्रय केंद्र पर 50 कुंटल से अधिक धान नहीं लिए जाने की वजह से बड़े किसानों को क्रय केंद्रों के बार-बार चक्कर काटने पड़ रहे हैं. जो किसान बड़ी पैदावार कर रहे हैं, उनको टोकन के लिए कई बार आवेदन करना पड़ रहा है.

रमईपुर के किसान सिद्धार्थ ने बताया कि रजिस्ट्रेशन के एक महीने बाद उनके धान की खरीद हुई. ऐसी स्थिति में जितना धान गोडाउन में रखने की व्यवस्था थी उतना रखा. इसके अलावा जो भी धान बचे थे, उन्हें लोकल मार्केट में बेच दिया. भदोही के सबसे बड़े धान क्रय केंद्र गोपीगंज की क्रय केंद्र संचालक आरती शुक्ला ने बताया कि शुरुआत में रोकने की व्यवस्था कम थी, इसकी वजह से किसानों को परेशानी हो रही थी. अब व्यवस्थाएं दुरुस्त कर ली गई हैं और प्रतिदिन 25 से 30 किसानों का धान खोला जा रहा है. अब तक हमारे सेंटर पर 30 हजार कुंटल धान की खरीद हो चुकी है. छोटे किसानों को प्राथमिकता दी जा रही है लेकिन हम ऐसी व्यवस्था बना रहे हैं, जिससे बड़े किसानों को भी परेशानी न हो.

भदोही : योगी सरकार भले ही दावा करे कि किसानों को क्रय केंद्रों पर कोई परेशानी नहीं हो रही है लेकिन स्थिति इसके ठीक विपरीत है. किसानों की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि रजिस्ट्रेशन कराने के एक महीने बाद तक का धान बेचने का डेट मिल रहा है. कई छोटे किसान ऐसे हैं कि जिनके पास गोडाउन की व्यवस्था नहीं है. ऐसी स्थिति में वह बिचौलियों और लोकल मार्केट में अपने धान को औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर हैं.

धान क्रय केंद्रों पर किसान महीनों लगा रहे चक्कर.

जिले में विपणन विभाग और अन्य संस्थानों को मिलाकर कुल 50 धान क्रय केंद्र बनाए गए हैं. यहां 90 मिलियन टन धान खरीद का लक्ष्य रखा गया है. अब तक 50 प्रतिशत लक्ष्य पूरा हो चुका है. इतना ही नहीं क्रय केंद्रों पर बड़े किसानों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. एक क्रय केंद्र पर 50 कुंटल से अधिक धान नहीं लिए जाने की वजह से बड़े किसानों को क्रय केंद्रों के बार-बार चक्कर काटने पड़ रहे हैं. जो किसान बड़ी पैदावार कर रहे हैं, उनको टोकन के लिए कई बार आवेदन करना पड़ रहा है.

रमईपुर के किसान सिद्धार्थ ने बताया कि रजिस्ट्रेशन के एक महीने बाद उनके धान की खरीद हुई. ऐसी स्थिति में जितना धान गोडाउन में रखने की व्यवस्था थी उतना रखा. इसके अलावा जो भी धान बचे थे, उन्हें लोकल मार्केट में बेच दिया. भदोही के सबसे बड़े धान क्रय केंद्र गोपीगंज की क्रय केंद्र संचालक आरती शुक्ला ने बताया कि शुरुआत में रोकने की व्यवस्था कम थी, इसकी वजह से किसानों को परेशानी हो रही थी. अब व्यवस्थाएं दुरुस्त कर ली गई हैं और प्रतिदिन 25 से 30 किसानों का धान खोला जा रहा है. अब तक हमारे सेंटर पर 30 हजार कुंटल धान की खरीद हो चुकी है. छोटे किसानों को प्राथमिकता दी जा रही है लेकिन हम ऐसी व्यवस्था बना रहे हैं, जिससे बड़े किसानों को भी परेशानी न हो.

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