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खलीलाबाद : जहां हर बार बदलते हैं विधायक, क्या कब्जा बरकरार रख पाएगी बीजेपी ! - चीनी मिल

यूपी को पहला महिला मुख्यमंत्री देने वाले संत कबीर नगर (Sant Kabir Nagar) में यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election) को लेकर लेकर सरगर्मियां बढ़ गई हैं. सभी राजनीतिक दल जोर आजमाइश में लग गए हैं. इस रिपोर्ट में संत कबीर नगर के खलीलाबाद विधानसभा क्षेत्र की बात करेंगे, जहां सबसे ज्यादा मतदाता मुस्लिम समुदाय से हैं.

खलीलाबाद
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Published : Sep 13, 2021, 1:04 PM IST

Updated : Sep 13, 2021, 1:44 PM IST

संत कबीर नगर : संत कबीर नगर जिले में 313 खलीलाबाद विधानसभा क्षेत्र है. खलीलाबाद विधानसभा क्षेत्र में ही विश्वविख्यात मगहर भी पड़ता है. मगहर ही संत कबीर की निर्वाणस्थली है. मगहर सूती मिल लंबे समय से बंद पड़ी है. हर बार चुनाव में बंद पड़ी मिल का मसला उठता है. हर चुनाव में मिल चालू करने का वादा किया जाता हैं, लेकिन वादा सिर्फ वादा ही रह जाता है. खलीलाबाद विधानसभा सीट पर इस समय भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. खलीलाबाद के वोटर हर चुनाव में विधायक बदलते रहते हैं. अब इस बार बीजेपी के सामने सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखने की चुनौती होगी.

खलीलाबाद विधानसभा सीट पर इस समय भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है

खलीलाबाद विधानसभा 25 किलोमीटर की परिधि में बसा है. 20 फीसदी हिस्से में बसावट है, जबकि 80 फीसदी हिस्से में खेती और अन्य उद्योग हैं. यहां मुख्य रूप से केले और सब्जी की खेती होती है. बरसात के दिन में आमी नदी की बाढ़ हर साल फसलों को नुकसान पहुंचाती है. खलीलाबाद विधानसभा क्षेत्र में समय माता मंदिर, कबीर निर्वाण स्थली, तामेश्वर नाथ धाम समेत कई प्रमुख स्थल हैं. शहर के पास ही कपड़े के लिए प्रसिद्ध बरदहिया बाजार भी है.

पिछले चुनाव का परिणाम

खलीलाबाद विधानसभा सीट से 2017 के विधानसभा चुनाव में 23 उम्मीदवार मैदान में थे. बीजेपी के दिग्विजय नारायण उर्फ जय चौबे 72061 वोट पाकर विजयी रहे वहीं, बहुजन समाज पार्टी के एमए चौधरी 56024 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे. पीस पार्टी के अध्यक्ष डॉक्टर मोहम्मद अयूब को 42041 वोट मिले और वे तीसरे स्थान पर रहे. समाजवादी पार्टी के जावेद अहमद 28274 वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे थे.

खलीलाबाद विधानसभा सीट से साल 2002 के चुनाव में बीजेपी के द्वारका प्रसाद, 2007 में बीएसपी के भगवान दास तो 2012 में पीस पार्टी के डॉक्टर मोहम्मद अयूब विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे. यहां 2002 से अब तक हर चुनाव में जनता ने विधानसभा में अपना प्रतिनिधि बदला है. 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सामने में अपना कब्जा बरकरार रखने की चुनौती है.

समस्या जस की तस

खलीलाबाद के श्रीराम चौहान, पूर्व सांसद केसी पांडेय, द्वारिका प्रसाद और पूर्व मंत्री रामाश्रय पासवान जैसे कई नेता बड़े पदों पर रह चुके हैं. इसके बावजूद इस विधानसभा क्षेत्र में बिजली, पानी, सड़क, शिक्षण संस्थान, स्वास्थ्य के क्षेत्र में समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं.

मतदाताओं का आकड़ा

संत कबीर नगर के खलीलाबाद विधानसभा में मुस्लिम वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है. दूसरे नंबर पर यहां दलित वोटर हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में करीब 4 लाख 97 हजार 500 मतदाता हैं, जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या करीब 2 लाख 42 हजार है. खलीलाबाद विधानसभा क्षेत्र में हर जाति के लोग निवास करते हैं.

जातिगत आकड़ा
जातिगत आकड़ा

विधायक का रिपोर्ट कार्ड

दिग्विजय नारायण जय चौबे ने बीएसपी से ब्लॉक प्रमुख का चुनाव लड़ सियासी सफर की शुरुआत की थी. दिग्विजय नारायण उर्फ जय चौबे संत कबीर नगर जिले के साथ ही बस्ती जिले में भी कई इंटर और डिग्री कॉलेज के प्रबंधक हैं. कोरोना काल में जय चौबे काफी एक्टिव नजर आए थे और लोगों तक राशन के साथ ही अन्य जरूरी चीजें पहुंचवाई थीं. जय चौबे के खिलाफ मामूली विवाद के करीब आधा दर्जन मामले भी दर्ज हैं.

बीजेपी विधायक दिग्विजय नारायण जय चौबे ने 25 साल से बंद मील का निरीक्षण करने के बाद कहा कि इस मिल को चालू कराने का मैं वादा तो नहीं करुंगा, लेकिन इसके लिए बहुत जल्द मुख्यमंत्री से मिलकर बैठक करेंगे. मील चालू होने में एक परसेंट का भी चांस होगा तो इस कताई मील को चालू करा कर रहूंगा. इस कताई मील के बंद होने से जो लोग बेरोजगार हुए हैं उनको एक सहारा मील जाएगा. इस कताई मिल की स्थापना वर्ष 1977 में हुई थी. मील में लगभग 1250 लोग काम करते थे. ये मील वर्ष 1997 में बंद हो गई. वहीं पिछली सरकार में खलीलाबाद की चीनी मिल बंद हो जाने की वजह से किसानों को अपना गन्ना दूसरे जिलों में लेकर जाना पड़ता है.

खलीलाबाद विधानसभा क्षेत्र की खास पहचान

संतकबीरनगर सुप्रसिद्ध संत कबीरदास की वजह से देश ही नहीं पूरी दुनिया में जाना जाता है. गोरखपुर से करीब 35 किलोमीटर दूर इस जिले के मगहर में संत कबीरदास ने आमी नदी के किनारे अंतिम सांसे ली थी. मगहर में अंतिम सांस लेने पर नर्क और काशी में जीवन की सांझ होने पर स्वर्ग मिलने के अंधविश्वास को तोड़ने के लिए संतकबीर अपने जीवन के अंतिम दिनों में मगहर आकर बस गए. हिंदू-मुस्लिम सौहार्द के प्रतीक कबीरदास की यहां समाधि और मजार दोनों हैं. जाति-धर्म और अंधविश्वास पर खुलकर कटाक्ष करने वाले कबीरदास ने इस धरती को दुनिया में पहचान दिलाई.

  • इंडस्ट्रीज एरिया एवम इंडस्ट्रीज स्टेट
  • संत कबीर निर्वाण स्थली, मगहर
  • समय माता मंदिर
  • ऐतिहासिक किला
  • बाबा तामेश्वरनाथ धाम
  • बंद पड़ी कताई मिल और चीनी मिल

इसे भी पढ़ें- इस सीट पर जीतती आई है सपा-बसपा और कांग्रेस, विधायक सिर्फ 'अग्रवाल'

संत कबीर नगर : संत कबीर नगर जिले में 313 खलीलाबाद विधानसभा क्षेत्र है. खलीलाबाद विधानसभा क्षेत्र में ही विश्वविख्यात मगहर भी पड़ता है. मगहर ही संत कबीर की निर्वाणस्थली है. मगहर सूती मिल लंबे समय से बंद पड़ी है. हर बार चुनाव में बंद पड़ी मिल का मसला उठता है. हर चुनाव में मिल चालू करने का वादा किया जाता हैं, लेकिन वादा सिर्फ वादा ही रह जाता है. खलीलाबाद विधानसभा सीट पर इस समय भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. खलीलाबाद के वोटर हर चुनाव में विधायक बदलते रहते हैं. अब इस बार बीजेपी के सामने सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखने की चुनौती होगी.

खलीलाबाद विधानसभा सीट पर इस समय भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है

खलीलाबाद विधानसभा 25 किलोमीटर की परिधि में बसा है. 20 फीसदी हिस्से में बसावट है, जबकि 80 फीसदी हिस्से में खेती और अन्य उद्योग हैं. यहां मुख्य रूप से केले और सब्जी की खेती होती है. बरसात के दिन में आमी नदी की बाढ़ हर साल फसलों को नुकसान पहुंचाती है. खलीलाबाद विधानसभा क्षेत्र में समय माता मंदिर, कबीर निर्वाण स्थली, तामेश्वर नाथ धाम समेत कई प्रमुख स्थल हैं. शहर के पास ही कपड़े के लिए प्रसिद्ध बरदहिया बाजार भी है.

पिछले चुनाव का परिणाम

खलीलाबाद विधानसभा सीट से 2017 के विधानसभा चुनाव में 23 उम्मीदवार मैदान में थे. बीजेपी के दिग्विजय नारायण उर्फ जय चौबे 72061 वोट पाकर विजयी रहे वहीं, बहुजन समाज पार्टी के एमए चौधरी 56024 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे. पीस पार्टी के अध्यक्ष डॉक्टर मोहम्मद अयूब को 42041 वोट मिले और वे तीसरे स्थान पर रहे. समाजवादी पार्टी के जावेद अहमद 28274 वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे थे.

खलीलाबाद विधानसभा सीट से साल 2002 के चुनाव में बीजेपी के द्वारका प्रसाद, 2007 में बीएसपी के भगवान दास तो 2012 में पीस पार्टी के डॉक्टर मोहम्मद अयूब विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे. यहां 2002 से अब तक हर चुनाव में जनता ने विधानसभा में अपना प्रतिनिधि बदला है. 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सामने में अपना कब्जा बरकरार रखने की चुनौती है.

समस्या जस की तस

खलीलाबाद के श्रीराम चौहान, पूर्व सांसद केसी पांडेय, द्वारिका प्रसाद और पूर्व मंत्री रामाश्रय पासवान जैसे कई नेता बड़े पदों पर रह चुके हैं. इसके बावजूद इस विधानसभा क्षेत्र में बिजली, पानी, सड़क, शिक्षण संस्थान, स्वास्थ्य के क्षेत्र में समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं.

मतदाताओं का आकड़ा

संत कबीर नगर के खलीलाबाद विधानसभा में मुस्लिम वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है. दूसरे नंबर पर यहां दलित वोटर हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में करीब 4 लाख 97 हजार 500 मतदाता हैं, जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या करीब 2 लाख 42 हजार है. खलीलाबाद विधानसभा क्षेत्र में हर जाति के लोग निवास करते हैं.

जातिगत आकड़ा
जातिगत आकड़ा

विधायक का रिपोर्ट कार्ड

दिग्विजय नारायण जय चौबे ने बीएसपी से ब्लॉक प्रमुख का चुनाव लड़ सियासी सफर की शुरुआत की थी. दिग्विजय नारायण उर्फ जय चौबे संत कबीर नगर जिले के साथ ही बस्ती जिले में भी कई इंटर और डिग्री कॉलेज के प्रबंधक हैं. कोरोना काल में जय चौबे काफी एक्टिव नजर आए थे और लोगों तक राशन के साथ ही अन्य जरूरी चीजें पहुंचवाई थीं. जय चौबे के खिलाफ मामूली विवाद के करीब आधा दर्जन मामले भी दर्ज हैं.

बीजेपी विधायक दिग्विजय नारायण जय चौबे ने 25 साल से बंद मील का निरीक्षण करने के बाद कहा कि इस मिल को चालू कराने का मैं वादा तो नहीं करुंगा, लेकिन इसके लिए बहुत जल्द मुख्यमंत्री से मिलकर बैठक करेंगे. मील चालू होने में एक परसेंट का भी चांस होगा तो इस कताई मील को चालू करा कर रहूंगा. इस कताई मील के बंद होने से जो लोग बेरोजगार हुए हैं उनको एक सहारा मील जाएगा. इस कताई मिल की स्थापना वर्ष 1977 में हुई थी. मील में लगभग 1250 लोग काम करते थे. ये मील वर्ष 1997 में बंद हो गई. वहीं पिछली सरकार में खलीलाबाद की चीनी मिल बंद हो जाने की वजह से किसानों को अपना गन्ना दूसरे जिलों में लेकर जाना पड़ता है.

खलीलाबाद विधानसभा क्षेत्र की खास पहचान

संतकबीरनगर सुप्रसिद्ध संत कबीरदास की वजह से देश ही नहीं पूरी दुनिया में जाना जाता है. गोरखपुर से करीब 35 किलोमीटर दूर इस जिले के मगहर में संत कबीरदास ने आमी नदी के किनारे अंतिम सांसे ली थी. मगहर में अंतिम सांस लेने पर नर्क और काशी में जीवन की सांझ होने पर स्वर्ग मिलने के अंधविश्वास को तोड़ने के लिए संतकबीर अपने जीवन के अंतिम दिनों में मगहर आकर बस गए. हिंदू-मुस्लिम सौहार्द के प्रतीक कबीरदास की यहां समाधि और मजार दोनों हैं. जाति-धर्म और अंधविश्वास पर खुलकर कटाक्ष करने वाले कबीरदास ने इस धरती को दुनिया में पहचान दिलाई.

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  • संत कबीर निर्वाण स्थली, मगहर
  • समय माता मंदिर
  • ऐतिहासिक किला
  • बाबा तामेश्वरनाथ धाम
  • बंद पड़ी कताई मिल और चीनी मिल

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Last Updated : Sep 13, 2021, 1:44 PM IST
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