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सहारनपुर में दशहरा के लिए बनाया गया रावण का पुतला बोलता भी है और हंसता भी है, जानें वजह.. - Saharanpur latest news

कस्बा चरथावल निवासी इंतजार का परिवार तीन पीढ़ियों से लगातार रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले बना रहा है. इन पुतलों को मुस्लिम समाज एक महीने की मेहनत से मूल रूप से तैयार करते हैं.

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कस्बा चरथावल निवासी इंतजार का परिवार तीन पीढ़ियों से लगातार रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले बना रहा है
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Published : Oct 4, 2022, 11:00 PM IST

सहारनपुर : मुजफ्फरनगर के कस्बा चरथावल (Kasba Charthawal) निवासी इंतजार अली कई पीढ़ियों से रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले बनाकर हिंदू मुस्लिम भाई चारे की मिशाल कायम कर रहे हैं. यहां पर रावण का पुतला बोलता और हंसता भी है. जो दशहरा मेले का आकर्षण का केंद्र बना रहता है. इन पुतलों को मुस्लिम समाज एक महीने की मेहनत से मूल रूप से तैयार करते हैं.

बता दें कि दशहरे के पावन पर्व पर हिंदू समाज जिन पुतलों का दहन कर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाता है. मुजफ्फरनगर जिले के चरथावल निवासी इंतजार अली का परिवार हिंदुओं के त्यौहार दशहरे पर जलाये जाने वाले रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों को बनाकर अनोखी मिशाल कायम कर रहे हैं. इंतजार अली करीब दस कारीगरों की मदद से शहर की कई रामलीलाओं के लिए दर्जन भर पुतले बनाकर हिंदू मुस्लिम भाई चारे का संदेश देते आ रहे हैं. दशहरे के मौके पर भगवान राम इन पुतलों का दहन कर "बुराई पर अच्छाई की जीत" दर्ज कर हिंदू समाज को नई सीख देते हैं. एक ओर जहां हिंदू समाज रावण के पुतलों का दहन कर धर्म का लाभ उठाता है. वहीं पुतले बनाने वाले मुस्लिम कारीगर इन पुतलों को बनाकर पुण्य लाभ कमाते हैं.

इंतजार अली के मुताबिक उनका परिवार पिछले 35 सालों से इन पुतलों को बनाकर न केवल अपने को धन्य समझते हैं. बल्कि धर्म का लाभ भी उठाते हैं. रावण के पुतले बनाने के साथ ही परिवार के लिए आमदनी भी हो जाती है. इस मामले में इंतजार के पिता तीन पीढ़ियों से लगातार अपने परिवार को रावण के पुतले बनाना सीखाते आ रहे हैं. इंतजार अली ने बताया कि वे एक महीने पहले इन पुतलों को बनाना शुरू करते हैं. 8 कारीगरों का उनका यह ग्रुप अपनी मेहनत और लगन से सुंदर और बड़े-बड़े पुतलों को बनाते हैं.

यह भी पढ़ें-कल मिशन हिमाचल पर पीएम मोदी: कुल्लू में मनाएंगे दशहरा, बिलासपुर से देंगे 3650 करोड़ की सौगात

इंतजार अली द्वारा बनाये गए रावण के पुतले की एक खास बात यह है की यह बोलता भी है और हंसता भी है. जो दशहरे का मेला देखने आये लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है. मुजफ्फरनगर के कस्बा चरथावल का रहने वाला मुस्लिम परिवार हर साल सहारनपुर में रामलीलाओं के लिए रावण के पुतले बना रहा है. इस मुस्लिम परिवार द्वारा हिंदुओं के पर्व पर रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले बनाये जाना जहां सभी धर्मो के लोगों को भाई चारे का संदेश दे रहे हैं. वहीं धर्म के नाम पर राजनीति करने वाले नेताओं और धर्म के ठेकेदारों के लिए एक नशियत पेश कर रहा है.

यह भी पढ़ें-आदिपुरुष फिल्म में बजरंगबली के आपत्तिजनक लुक पर डिप्टी सीएम नाराज, जानिये क्या कहा

सहारनपुर : मुजफ्फरनगर के कस्बा चरथावल (Kasba Charthawal) निवासी इंतजार अली कई पीढ़ियों से रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले बनाकर हिंदू मुस्लिम भाई चारे की मिशाल कायम कर रहे हैं. यहां पर रावण का पुतला बोलता और हंसता भी है. जो दशहरा मेले का आकर्षण का केंद्र बना रहता है. इन पुतलों को मुस्लिम समाज एक महीने की मेहनत से मूल रूप से तैयार करते हैं.

बता दें कि दशहरे के पावन पर्व पर हिंदू समाज जिन पुतलों का दहन कर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाता है. मुजफ्फरनगर जिले के चरथावल निवासी इंतजार अली का परिवार हिंदुओं के त्यौहार दशहरे पर जलाये जाने वाले रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों को बनाकर अनोखी मिशाल कायम कर रहे हैं. इंतजार अली करीब दस कारीगरों की मदद से शहर की कई रामलीलाओं के लिए दर्जन भर पुतले बनाकर हिंदू मुस्लिम भाई चारे का संदेश देते आ रहे हैं. दशहरे के मौके पर भगवान राम इन पुतलों का दहन कर "बुराई पर अच्छाई की जीत" दर्ज कर हिंदू समाज को नई सीख देते हैं. एक ओर जहां हिंदू समाज रावण के पुतलों का दहन कर धर्म का लाभ उठाता है. वहीं पुतले बनाने वाले मुस्लिम कारीगर इन पुतलों को बनाकर पुण्य लाभ कमाते हैं.

इंतजार अली के मुताबिक उनका परिवार पिछले 35 सालों से इन पुतलों को बनाकर न केवल अपने को धन्य समझते हैं. बल्कि धर्म का लाभ भी उठाते हैं. रावण के पुतले बनाने के साथ ही परिवार के लिए आमदनी भी हो जाती है. इस मामले में इंतजार के पिता तीन पीढ़ियों से लगातार अपने परिवार को रावण के पुतले बनाना सीखाते आ रहे हैं. इंतजार अली ने बताया कि वे एक महीने पहले इन पुतलों को बनाना शुरू करते हैं. 8 कारीगरों का उनका यह ग्रुप अपनी मेहनत और लगन से सुंदर और बड़े-बड़े पुतलों को बनाते हैं.

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इंतजार अली द्वारा बनाये गए रावण के पुतले की एक खास बात यह है की यह बोलता भी है और हंसता भी है. जो दशहरे का मेला देखने आये लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है. मुजफ्फरनगर के कस्बा चरथावल का रहने वाला मुस्लिम परिवार हर साल सहारनपुर में रामलीलाओं के लिए रावण के पुतले बना रहा है. इस मुस्लिम परिवार द्वारा हिंदुओं के पर्व पर रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले बनाये जाना जहां सभी धर्मो के लोगों को भाई चारे का संदेश दे रहे हैं. वहीं धर्म के नाम पर राजनीति करने वाले नेताओं और धर्म के ठेकेदारों के लिए एक नशियत पेश कर रहा है.

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