सहारनपुर: कोरोना वायरस के चलते एक ओर जहां पूरा देश डर के साए में रहने को मजबूर है. वहीं लगातार बढ़ रहे पॉजिटिव मामलों को लेकर मरकज जमातियों की भी मुश्किलें बढ़ गई हैं. लॉकडाउन लगने से सिर्फ दिहाड़ी मजदूर ही नहीं, बल्कि हजारों मील दूर इस्लामिक तालीम हासिल करने आये मदरसों में पढ़ने वाले छात्र भी जहां-तहां फंस गए थे. विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान समेत सभी बड़े मदरसों के छात्रों को मंगलवार को स्पेशल ट्रेन के जरिए उनके गृह जनपद भेजा जा रहा है. जिला प्रशासन ने मणिपुर, आसाम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश समेत कई राज्यों के छात्रों को ट्रेन में बैठाकर रवाना किया है.
लॉकडाउन लागू होने से न सिर्फ पूरा देश थम गया, बल्कि हवाई सेवाएं, रोडवेज बसें, टैक्सी, कार सर्विस सबका पहिया जाम हो गया. इससे जो जहां था वहीं फंसकर रह गया. देश मे लॉकडाउन लागू हुए 2 महीने हो चुके हैं. 18 मई से लॉकडाउन पार्ट 4 चल रहा है. इस दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित दिहाड़ी मजदूर ही नहीं अपने घरों से हजारों मील दूर रहकर पढ़ाई करने वाले छात्र भी फंस गए थे.
फतवों की नगरी दारुल उलूम समेत कई बड़े मदरसों के हजारों फंसे हुए थे. इसी बीच मरकज जमातियों में कोरोना पॉजिटिव मामले आने से मदरसा छात्रों की परेशानी ओर ज्यादा बढ़ गई थी. जिला प्रशासन ने जहां पूर्वांचल, बिहार, बंगाल के प्रवासी मजदूरों के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई. वहीं मणिपुर, आसाम, अरुणाचल प्रदेश के इन छात्रों के लिए भी स्पेशल ट्रेन चलाने का निर्णय लिया है.
500 से ज्यादा मदरसा छात्रों का पंजीकरण के बाद सभी औपचारिकतायें पूरी की गईं. नाम पते, फोन नम्बर की एंट्री के बाद सभी छात्रों के लिए स्पेशल ट्रेन प्रस्तावित हुई है. इस ट्रेन में इन छात्रों को बैठाकर इनके गृह जनपद के लिए रवाना किया जा रहा है.
खास बात ये है कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए ट्रेन के सभी कोच में केवल मदरसा छात्र ही बैठाए जा रहे हैं. पूरी ट्रेन को पहले ही सैनिटाइज किया गया है. सभी के खाने-पीने की व्यवस्था जिला प्रशासन और रेलवे विभाग की ओर से की गई है. लॉकडाउन में फंसे रहने के बाद अपनों के बीच लौटने की खुशी सभी छात्रों के चेहरों पर साफ देखी जा रही है.