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सहारनपुर: रेलवे से नाराज किसान यूनियन ने दी सामूहिक आत्मदाह की चेतावनी

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजीव तोमर ने किसानों की समस्याओं को लेकर सरकार पर हमला बोला. उन्होंने किसानों के गन्ना का भुगतान न किए जाने की बात को प्रमुखता से कहा. वहीं मुजफ्फरनगर में भी रेलवे की ओर से भूमि अधिग्रहण पर उन्होंने सरकार को सामूहिक आत्मदाह की चेतावनी दी.

मुजफ्फरनगर
सामूहिक आत्मदाह की चेतावनी
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Published : Jun 26, 2020, 2:08 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST

सहारनपुर: एक ओर जहां उत्तर प्रदेश सरकार ने 14 दिन में किसानों के बकाया गन्ना भुगतान के निर्देश दिए हुए हैं. वहीं चीनी मिलों की मनमानी न सिर्फ किसानों का भुगतान रोके है बल्कि सीएम योगी के दावों की भी पोल खोल रही है. आलम यह है कि गन्ने का भुगतान न होने पर किसान भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं. आरोप है कि रेलवे विभाग ने भी जमीन अधिग्रहण के नाम पर किसानों को ठगने का काम किया है. इसके चलते भारतीय किसान यूनियन ने हजारों किसानों के साथ सामूहिक आत्मदाह की चेतावनी दी है.

भारतीय किसान यूनियन (तोमर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी संजीव तोमर ने बताया कि गन्ना किसानों के गन्ने का बकाया भुगतान के लिए सीएम योगी के सभी दावे खोखले साबित हो रहे हैं. गन्ने का भुगतान नहीं हो पाने की वजह से किसान न सिर्फ परेशान है, बल्कि आर्थिक संकट से जूझ रहा है. किसानों को गन्ने का सही दाम नहीं मिल पा रहा है. किसानों को कम से कम 400 रुपये प्रति क्विंटल गन्ने का दाम मिलना चाहिए. किसानों को 14 दिन तो दूर कई महीनों से बकाया भुगतान नहीं हो पाया है, जिसके चलते किसान आये दिन आत्महत्या कर रहे हैं.

पेट्रोल डीजल के बढ़ते दामों से किसान परेशान
पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों पर उन्होंने कहा है कि डीजल किसान के लिए बहुत जरूरी है. डीजल से जहां किसान का ट्रैक्टर चलता है, वहीं सिंचाई के लिए इंजन आदि उपकरणों में भी इस्तेमाल किया जाता है. डीजल-पेट्रोल के बढ़ते दामों को लेकर किसानों में आक्रोश बना हुआ है, जबकि डीजल पर किसानों को सब्सिडी मिलनी चाहिए और डीजल के दाम कम से कम 30 रुपये प्रति लीटर होने चाहिए. बढ़ती महंगाई से किसानों की आत्महत्या का सिलसिला कम होने की बजाए और ज्यादा बढ़ेगा.

किसानों ने की मदद, लेकिन अब खुद झेल रहे संकट
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में किसानों ने अपनी परवाह किये बगैर सब्जी, दूध, दही, गेहूं आदि की लगातार आपूर्ति की है, जबकि बड़े-बड़े व्यापारियों ने हाथ खड़े कर दिए थे. इस दौरान किसानों ने लागत से भी कम कीमत पर ये सब चीजें बाजार में उपलब्ध कराई हैं. हालांकि बकाया भुगतान नहीं हो पाने पर किसानों में भारी आक्रोश बना हुआ है. पैसे की किल्लत से जूझ रहा किसान न तो बच्चों की फीस जमा कर पा रहा है और न ही उनकी शादी कर पा रहा है.

सामूहिक आत्मदाह की चेतावनी
मुजफ्फरनगर जिले में 26 गांव के किसानों का रेलवे विभाग ने जमीन अधिग्रहण का भुगतान नहीं किया है, जिसके चलते किसानों में खासा आक्रोश बना हुआ है. सरकार ने सबसे पहले 340 रुपये मीटर के हिसाब से आर्बिटेशन पास किया गया था. भारतीय किसान यूनियन के आंदोलन बाद डीएम मुजफ्फरनगर ने 550 रुपये देने की बात कही है, जो कि ऊंट के मुह में जीरा है. जबकि इस जगह के दाम 2200 रुपये किसान को मिलना चाहिए और रेलवे कानून के हिसाब से भी 2200 रुपये तय किया हुआ है, लेकिन किसानों के साथ ज्यादती हो रही है. इससे किसानों में रोष बना हुआ है और 29 जून को खतौली के पास रेलवे लाइन पर आकर हजारों किसान न सिर्फ सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे बल्कि पेट्रोल मिट्टी का तेल छिड़ककर सामूहिक आत्मदाह करेंगे, जिसकी जिम्मेदारी रेलवे विभाग की होगी.

सहारनपुर: एक ओर जहां उत्तर प्रदेश सरकार ने 14 दिन में किसानों के बकाया गन्ना भुगतान के निर्देश दिए हुए हैं. वहीं चीनी मिलों की मनमानी न सिर्फ किसानों का भुगतान रोके है बल्कि सीएम योगी के दावों की भी पोल खोल रही है. आलम यह है कि गन्ने का भुगतान न होने पर किसान भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं. आरोप है कि रेलवे विभाग ने भी जमीन अधिग्रहण के नाम पर किसानों को ठगने का काम किया है. इसके चलते भारतीय किसान यूनियन ने हजारों किसानों के साथ सामूहिक आत्मदाह की चेतावनी दी है.

भारतीय किसान यूनियन (तोमर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी संजीव तोमर ने बताया कि गन्ना किसानों के गन्ने का बकाया भुगतान के लिए सीएम योगी के सभी दावे खोखले साबित हो रहे हैं. गन्ने का भुगतान नहीं हो पाने की वजह से किसान न सिर्फ परेशान है, बल्कि आर्थिक संकट से जूझ रहा है. किसानों को गन्ने का सही दाम नहीं मिल पा रहा है. किसानों को कम से कम 400 रुपये प्रति क्विंटल गन्ने का दाम मिलना चाहिए. किसानों को 14 दिन तो दूर कई महीनों से बकाया भुगतान नहीं हो पाया है, जिसके चलते किसान आये दिन आत्महत्या कर रहे हैं.

पेट्रोल डीजल के बढ़ते दामों से किसान परेशान
पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों पर उन्होंने कहा है कि डीजल किसान के लिए बहुत जरूरी है. डीजल से जहां किसान का ट्रैक्टर चलता है, वहीं सिंचाई के लिए इंजन आदि उपकरणों में भी इस्तेमाल किया जाता है. डीजल-पेट्रोल के बढ़ते दामों को लेकर किसानों में आक्रोश बना हुआ है, जबकि डीजल पर किसानों को सब्सिडी मिलनी चाहिए और डीजल के दाम कम से कम 30 रुपये प्रति लीटर होने चाहिए. बढ़ती महंगाई से किसानों की आत्महत्या का सिलसिला कम होने की बजाए और ज्यादा बढ़ेगा.

किसानों ने की मदद, लेकिन अब खुद झेल रहे संकट
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में किसानों ने अपनी परवाह किये बगैर सब्जी, दूध, दही, गेहूं आदि की लगातार आपूर्ति की है, जबकि बड़े-बड़े व्यापारियों ने हाथ खड़े कर दिए थे. इस दौरान किसानों ने लागत से भी कम कीमत पर ये सब चीजें बाजार में उपलब्ध कराई हैं. हालांकि बकाया भुगतान नहीं हो पाने पर किसानों में भारी आक्रोश बना हुआ है. पैसे की किल्लत से जूझ रहा किसान न तो बच्चों की फीस जमा कर पा रहा है और न ही उनकी शादी कर पा रहा है.

सामूहिक आत्मदाह की चेतावनी
मुजफ्फरनगर जिले में 26 गांव के किसानों का रेलवे विभाग ने जमीन अधिग्रहण का भुगतान नहीं किया है, जिसके चलते किसानों में खासा आक्रोश बना हुआ है. सरकार ने सबसे पहले 340 रुपये मीटर के हिसाब से आर्बिटेशन पास किया गया था. भारतीय किसान यूनियन के आंदोलन बाद डीएम मुजफ्फरनगर ने 550 रुपये देने की बात कही है, जो कि ऊंट के मुह में जीरा है. जबकि इस जगह के दाम 2200 रुपये किसान को मिलना चाहिए और रेलवे कानून के हिसाब से भी 2200 रुपये तय किया हुआ है, लेकिन किसानों के साथ ज्यादती हो रही है. इससे किसानों में रोष बना हुआ है और 29 जून को खतौली के पास रेलवे लाइन पर आकर हजारों किसान न सिर्फ सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे बल्कि पेट्रोल मिट्टी का तेल छिड़ककर सामूहिक आत्मदाह करेंगे, जिसकी जिम्मेदारी रेलवे विभाग की होगी.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST
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