प्रयागराज : संगम नगरी प्रयागराज में आस्था के महापर्व महाकुंभ का भव्य आयोजन हो रहा है. महाकुंभ में आने वाले अखाड़ों और साधु संतों पर हर किसी की नजर टिकी है. हर कोई इन अखाड़ों के बारे में जानना चाहता है. आज हम आपको श्री पंच दसनाम गोदड़ अखाड़े के बारे में बताएंगे. बताया जाता है कि यह अखाड़ा शैव अखाड़ों से दान में मिले साधुओं से बना है. इस अनोखे अखाड़े के संन्यासियों का काम देह त्याग चुके संतों को समाधि दिलाना है. महाकुंभ में विदेशी भक्त इस अखाड़े से जुड़ रहे हैं.
गोदड़ अखाड़ा के प्रमुख सोमनाथ गिरी ने बताया कि गोदड़ अखाड़े की स्थापना ब्रह्मपुरी महाराज ने की थी. यह अखाड़ा शैव संप्रदाय के सातों अखाड़ों से संबंधित है. शैव संप्रदाय के अखाड़े जहां भी हैं, वहां गोदड़ अखाड़ा भी है. गोदड़ अखाड़े के संत शैव संप्रदाय के सातों अखाड़ों (अग्नि को छोड़कर) के मृतक साधुओं को समाधि दिलाते हैं. संतों के अंतिम संस्कार में भी गोदड़ अखाड़े की खास भूमिका होती है. इसका मुख्य केंद्र जूनागढ़ है. इस अखाड़े में सभी अखाड़ों से अधिक विदेशी शिष्य हैं. रूस, जापान से उच्च शिक्षित युवाओं की इसमें भीड़ दिखती है.
उन्होंने कहा कि हमारा अखाड़ा स्नान नहीं करता है, हम लोग जनसेवा, महाकल्याण यही करने आते हैं. उन्होंने बताया कि गोदाड़ा अखाड़े का काम जगतगुरु ब्राह्मण, ब्राह्मण गुरु संन्यासी, संन्यासी के गुरु परंपरा में जो काम होता है, वह गोधरा अखाड़ा प्रबंधित करता था. उन्होंने कहा कि दुनिया बदल गई, संस्कार बदल गए तो हम लोग क्यों नहीं बदलेंगे. हम लोगों का बहुत सारा काम है. शिष्यों को शिक्षा देने के बाद वापस अपने स्थान चला जाता है.
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