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सहारनपुर: CMS बोले, डॉक्टरों की कमी और असुविधाओं से जूझ रहा सरकारी अस्पताल - सहारनपुर जिला अस्पाताल

प्रदेश सरकार के तमाम दावों के बावजूद भी सहारनपुर जिला अस्पताल डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है. ईटीवी से एक्सक्लूसिव बातचीत में सीएमएस डॉ. एसके वार्ष्णेय ने न सिर्फ बीमारियों से बचने के उपाय बताए बल्कि सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों और अन्य स्टाफ को लेकर बड़ा खुलासा किया है.

ईटीवी भारत संवाददाता से बात करते सीएमएस.
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Published : Aug 20, 2019, 5:41 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

सहारनपुर: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार प्रदेश वासियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने की लगातार दावे कर रही है, लेकिन हकीकत सच्चाई से कोसों दूर है. सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं का टोटा पड़ा है. ऐसा ही हाल कुछ सहारनपुर के जिला अस्पताल का है. करीब 25 लाख की आबादी की जिम्मेदारी का बोझ झेल रहे अस्पताल महज 30 डॉक्टरों पर है. इमरजेंसी वार्ड 13 की बजाए चार डॉक्टर संभाले हुए हैं. आलम यह है कि 320 बेड के अस्पताल में बरसात के बाद आई बीमारियों से एक बेड पर 2-2 मरीजों को लिटाना पड़ रहा है. ओपीडी के बाहर हजारों मरीजों की लंबी लाइने लगी हुई हैं.

ईटीवी भारत संवाददाता से बात करते सीएमएस.
इन दिनों बरसात का मौसम चल रहा है, जिसके चलते डायरिया और बुखार का कहर देखने को मिल रहा है. बरसात के बाद आई बीमारियों के चलते अस्पतालों में मरीजों की लंबी लाइने देखने को मिल रही हैं. सहारनपुर जिले की बात करें यहां भी डायरिया, टायफायड, बुखार समेत कई बीमारियां तेजी से फैल रही हैं. बरसाती बुखार बड़े-बूढ़े और बच्चों को अपनी चपेट में ले रहा है, जिसके चलते स्वास्थ्य विभाग सरकारी अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का राग अलाप रहा है, लेकिन अस्पताल खुद डॉक्टरों, नर्सों, फार्मासिस्ट डॉक्टरों और वार्ड ब्वॉय की कमियों से जूझ रहा है.
डॉक्टरों की भारी कमी

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसके वार्ष्णेय ने बताया कि अस्पताल में 62 डॉक्टरों की जगह केवल 30 डॉक्टर काम कर रहे हैं, जिसकी वजह से डॉक्टरों को दिन रात मरीजों का इलाज करना पड़ रहा है. अगर इमरजेंसी वार्ड की बात करें तो यहां 13 डॉक्टरों की जगह कुल 4 डॉक्टर मरीजों को देख रहे हैं.

एक बेड पर दो मरीज

मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते 2-2 मरीजों को एक बिस्तर पर लिटाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस समय स्टाफ की कमी और मरीजों की संख्या से जिला अस्पतालों में इलाज करना बड़ी चुनौती बनती जा रही है.

सहारनपुर: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार प्रदेश वासियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने की लगातार दावे कर रही है, लेकिन हकीकत सच्चाई से कोसों दूर है. सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं का टोटा पड़ा है. ऐसा ही हाल कुछ सहारनपुर के जिला अस्पताल का है. करीब 25 लाख की आबादी की जिम्मेदारी का बोझ झेल रहे अस्पताल महज 30 डॉक्टरों पर है. इमरजेंसी वार्ड 13 की बजाए चार डॉक्टर संभाले हुए हैं. आलम यह है कि 320 बेड के अस्पताल में बरसात के बाद आई बीमारियों से एक बेड पर 2-2 मरीजों को लिटाना पड़ रहा है. ओपीडी के बाहर हजारों मरीजों की लंबी लाइने लगी हुई हैं.

ईटीवी भारत संवाददाता से बात करते सीएमएस.
इन दिनों बरसात का मौसम चल रहा है, जिसके चलते डायरिया और बुखार का कहर देखने को मिल रहा है. बरसात के बाद आई बीमारियों के चलते अस्पतालों में मरीजों की लंबी लाइने देखने को मिल रही हैं. सहारनपुर जिले की बात करें यहां भी डायरिया, टायफायड, बुखार समेत कई बीमारियां तेजी से फैल रही हैं. बरसाती बुखार बड़े-बूढ़े और बच्चों को अपनी चपेट में ले रहा है, जिसके चलते स्वास्थ्य विभाग सरकारी अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का राग अलाप रहा है, लेकिन अस्पताल खुद डॉक्टरों, नर्सों, फार्मासिस्ट डॉक्टरों और वार्ड ब्वॉय की कमियों से जूझ रहा है.
डॉक्टरों की भारी कमी

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसके वार्ष्णेय ने बताया कि अस्पताल में 62 डॉक्टरों की जगह केवल 30 डॉक्टर काम कर रहे हैं, जिसकी वजह से डॉक्टरों को दिन रात मरीजों का इलाज करना पड़ रहा है. अगर इमरजेंसी वार्ड की बात करें तो यहां 13 डॉक्टरों की जगह कुल 4 डॉक्टर मरीजों को देख रहे हैं.

एक बेड पर दो मरीज

मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते 2-2 मरीजों को एक बिस्तर पर लिटाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस समय स्टाफ की कमी और मरीजों की संख्या से जिला अस्पतालों में इलाज करना बड़ी चुनौती बनती जा रही है.

Intro:सहारनपुर : यूं तो उत्तर प्रदेश की योगी सरकार प्रदेश वासियो को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के दावे कर रही है लेकिन हकीकत सच्चाई से कोसो दूर है। जहां सरकारी अस्पतालों में सुविधाओ का टोटा पड़ा है वहीं डॉक्टरों एवं अन्य स्टाफ की कमी से भी जूझ रहे है। ऐसा ही हाल कुछ सहारनपुर के जिला अस्पताल का है। करीब 25 लाख की आबादी की जिम्मेदारी का बोझ झेल रहे अस्पताल महज 30 डॉक्टरों के सहारे चल रहा है। जबकि इमरजेंसी वार्ड 13 की बजाए 4 डॉक्टर संभाले हुए है। आलम यह है कि 320 बेड के अस्पताल में बरसात के बाद आई बीमारियों से एक बेड पर 2-2 मरीजो को लिटाना पड़ रहा है और ओपीडी के बाहर हजारो मरीजो की लंबी लाइने लगी हुई है। ईटीवी पर एक्सक्लूसिव बातचीत में सीएमएस डॉ एस.के वार्ष्णेय ने न सिर्फ बरसाती बीमारियों से बचने के उपाय बताए बल्कि सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों और अन्य स्टाफ को लेकर बड़ा खुलासा किया है।


Body:VO 1 - आपको बता दें कि इन दिनों बरसात का मौसम चल रहा है जिसके चलते डायरिया और बुखार का कहर देखने को मिल रहा है। बरसात के बाद आई बीमारियों के चलते अस्पतालों में मरीजो की लंबी लाइने देखने को मिल रही है। सहारनपुर जिले की बात करे तो यहां भी डायरिया, टायफाइड, बुखार समेत कई बीमारियों ने पैर पसार लिए है। बरसाती बुखार बड़े-बूढ़े और बच्चो को अपनी झपेट में ले रहा है। जिसके चलते स्वास्थ्य विभाग सरकारी अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का राग अलाप रहा है। लेकिन अस्पताल खुद डॉक्टरों, नर्सों, फार्मासिस्ट डॉक्टरों और वार्ड ब्वॉय आदि की कमियों से जूझ रहा है। जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ एस.के. वार्ष्णेय ने ईटीवी से बातचीत में खुलासा किया है कि सहारनपुर का सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों और अन्य स्टाफ की कमी चल रही है। बड़ा जनपद होने की वजह से करीब 25 लाख की आबादी का की जिम्मेदारी अकेले जिला अस्पताल पर ही है। जबकि ग़ांव देहात और कस्बो में भी सीएचसी पीएचसी चल रही हैं बावजूद इसके मरीज सीधे सरकारी अस्पताल में पहुंच रहे है। इन दिनो बरसात की वजह से गंदगी और पानी भरने से दस्त, वायरल, डायरिया और बुखार की शिकायत सबसे ज्यादा आ रही है। जिससे बचने के लिए सबसे पहले अपने आसपास पानी नही भरने दें और साफ सफाई रखे। इसके साथ ही गले सड़े फल, कीड़े लगे अमरूद, बास्सी रोटी, बास्सी चावल आदि खाने से बचे। इसके लिए लोगो को जागरूक भी किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अस्पताल में 62 डॉक्टरों की जगह केवल 30 डॉक्टर काम कर रहे है। जिसकी वजह से डॉक्टरों को दिन रात मरीजो का इलाज करना पड़ रहा है। अगर इमरजेंसी वार्ड की बात करें तो यहां 13 डॉक्टरों की जगह कुल 4 डॉक्टर मरीजो को देख रहे है। मरीजो की लागातार बढ़ती तादात को देखते हुए 1 बिस्तर पर 2-2 मरीजो को लिटाना पड़ रहा है। जिला अस्पताल में मरीजो का अवर लोड चल रहा है जिस कारण इमरजेंसी वार्ड इमरजेंसी ना होकर ओपीडी बना हुआ है। आये दिन 3 हजार से ज्यादा मरीजो को इलाज दिया जा रहा है। अस्पताल में दवाइयो का पर्याप्त स्टॉक है लेकिन डॉक्टरों की कमी के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने ईटीवी पर बताया कि जनपद सहारनपुर की आबादी 25 लाख से ज्यादा है लेकिन सीएचसी और पीएचसी पर मरीज नही पहुंच रहे है। सभी मरीज सीधे सहारनपुर जिला अस्पताल में आ रहे है। उन्होंने वताया की 50 फीसदी डॉक्टरों की कमी है। स्टाफ नर्स बहुत कम है कुछ आउटसोर्स और टीएनएम से नर्सेस आई है। बावजूद इसके अस्पताल में स्टाफ पर्याप्त नही है। इतना ही नही फार्मासिस भी महज गिनती के ही बचे है। हाल ही में हुए तबादले के बाद जितने फार्मासिस गए है उनकी तुलना में बहुत कम आये है। एक बिस्तर पर 2-2 मरीजो को लिटाने के सवाल पर सीएमएस ने बताया कि नियमानुसार तो एक बिस्तर पर एक ही मरीज लिटाना चाहिए लेकिन मरीजो की बढ़ती संख्या के चलते मजबूरीवस 2-2 मरीजो को एक बिस्तर अपर लिटाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस समय स्टाफ की कमी और मरीजो की संख्या से जिला अस्पतालों में इलाज करना बड़ी चुनोती बनती जा रही है। हालांकि डॉक्टरों, नर्सेस और अन्य स्टाफ की मांग के लिए शासन को पत्र लिखे गए है।

बाईट - डॉ एस के वार्ष्णेय ( सीएमएस जिला अस्पताल )


Conclusion:
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST
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