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एक ऐसा मंदिर जिसका पश्चिम में है मुख्य द्वार, जानिए पूरी कहानी

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Published : Jan 10, 2020, 3:21 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में दुनिया का एक मात्र मंदिर स्थित है, जिसका मुख्य द्वार पश्चिम दिशा की ओर खुलता है. इस मंदिर को भीम ने अपने गदे से घुमाकर पूर्व से पश्चिम की ओर कर दिया था.

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बरसी का शिव मंदिर

सहारनपुर: यूं तो दुनिया मे बहुत सारे मंदिर हैं, लेकिन सहारनपुर के बरसी गांव का शिवमंदिर दुनिया का एक मात्र ऐसा मंदिर है, जिसका मुख्य द्वार पश्चिम दिशा में खुलता है. जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर तीतरो इलाके के बरसी गांव में यह शिव मंदिर स्थित है. यह मंदिर न सिर्फ महाभारत की याद दिलाता है, बल्कि यहां महाशिवरात्रि पर लाखों शिव भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए यहां आते हैं. यहां हर सोमवार को भोले नाथ का जलाभिषेक करने के लिए श्रदालुओं का तांता लगा रहता है. भक्त शिवलिंग का जलाभिषेक कर भगवान भोले नाथ को भांग धतुरा के साथ ही कद्दू-भेली भी प्रसाद के रूप चढ़ाते हैं.

पश्चिम की ओर है मंदिर का मुख्य द्वार.

इस मन्दिर की खास बात यह है कि इसका मुख्य द्वार पूर्व दिशा में न होकर पश्चिम दिशा में है. मान्यता है कि हिंदू धर्म में सभी मंदिरों के द्वार पूर्व दिशा में खुलते हैं, जबकि यह एक मात्र मन्दिर है जो पश्चिम की ओर खुलता है. मान्यता है कि इस शिव मंदिर को महभारत काल में दुर्योधन ने बनवाया था. अज्ञातवास के दौरान पांडव पुत्र इस मन्दिर में आकर रुके थे. जब पांडवों को इस बात का पता चला कि कौरवों ने इस मंदिर का निर्माण कराया है, तो भीम ने शिव मंदिर के द्वार में गदा फंसाकर उसका मुंह पूर्व से पश्चिम दिशा में कर दिया था. तभी से इस मंदिर का मुख पश्चिम की ओर है.

इसे भी पढ़ें- गोरखपुर में सीएम योगी ने लगाया जनता दरबार, लोगों की सुनी फरियाद

मान्यता यह भी है कि लड़ाई के लिए कुरुक्षेत्र जाते समय भगवान श्री कृष्ण भी यहां रुके थे. उस समय यहां का नजारा कृष्ण नगरी बृज जैसा था. इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने इस जगह का नाम बरसी रख दिया. बरसी में एक खुदाई के दौरान मिले ईंट और पत्थर भी महाभारत काल की गवाही देते है. जानकारों के मुताबिक यह पत्थर इस तरह का बना हुआ है जैसे महाभारत के रथों के पहियों में लगे लॉक होते थे. अब इस मंदिर को भव्य रूप दिया गया है. यह शिव मंदिर वर्तमान में शिद्दपीठ मंदिरो में आता है, जिसके चलते यहां फाल्गुन महीने की शिवरात्रि पर एक भव्य मेले जाता है.

सहारनपुर: यूं तो दुनिया मे बहुत सारे मंदिर हैं, लेकिन सहारनपुर के बरसी गांव का शिवमंदिर दुनिया का एक मात्र ऐसा मंदिर है, जिसका मुख्य द्वार पश्चिम दिशा में खुलता है. जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर तीतरो इलाके के बरसी गांव में यह शिव मंदिर स्थित है. यह मंदिर न सिर्फ महाभारत की याद दिलाता है, बल्कि यहां महाशिवरात्रि पर लाखों शिव भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए यहां आते हैं. यहां हर सोमवार को भोले नाथ का जलाभिषेक करने के लिए श्रदालुओं का तांता लगा रहता है. भक्त शिवलिंग का जलाभिषेक कर भगवान भोले नाथ को भांग धतुरा के साथ ही कद्दू-भेली भी प्रसाद के रूप चढ़ाते हैं.

पश्चिम की ओर है मंदिर का मुख्य द्वार.

इस मन्दिर की खास बात यह है कि इसका मुख्य द्वार पूर्व दिशा में न होकर पश्चिम दिशा में है. मान्यता है कि हिंदू धर्म में सभी मंदिरों के द्वार पूर्व दिशा में खुलते हैं, जबकि यह एक मात्र मन्दिर है जो पश्चिम की ओर खुलता है. मान्यता है कि इस शिव मंदिर को महभारत काल में दुर्योधन ने बनवाया था. अज्ञातवास के दौरान पांडव पुत्र इस मन्दिर में आकर रुके थे. जब पांडवों को इस बात का पता चला कि कौरवों ने इस मंदिर का निर्माण कराया है, तो भीम ने शिव मंदिर के द्वार में गदा फंसाकर उसका मुंह पूर्व से पश्चिम दिशा में कर दिया था. तभी से इस मंदिर का मुख पश्चिम की ओर है.

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मान्यता यह भी है कि लड़ाई के लिए कुरुक्षेत्र जाते समय भगवान श्री कृष्ण भी यहां रुके थे. उस समय यहां का नजारा कृष्ण नगरी बृज जैसा था. इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने इस जगह का नाम बरसी रख दिया. बरसी में एक खुदाई के दौरान मिले ईंट और पत्थर भी महाभारत काल की गवाही देते है. जानकारों के मुताबिक यह पत्थर इस तरह का बना हुआ है जैसे महाभारत के रथों के पहियों में लगे लॉक होते थे. अब इस मंदिर को भव्य रूप दिया गया है. यह शिव मंदिर वर्तमान में शिद्दपीठ मंदिरो में आता है, जिसके चलते यहां फाल्गुन महीने की शिवरात्रि पर एक भव्य मेले जाता है.

Intro:सहारनपुर : यु तो दुनिया मे बहुत सारे मंदिर है लेकिन सहारनपुर के बरसी गांव का यह शिवमंदिर दुनिया का एक मात्र ऐसा मंदिर है। जिसका मुख्य द्वार पूर्व में नही बल्कि पश्चिम दिशा मे खुलता है। बताया जाता है कि यह मंदिर महाभारत काल मे कौरवों ने बनवाया था और अज्ञातवास के दौरान पांडव बरसी ग़ांव मे रुके थे। जब गदाधारी भीम को पता चला कि यह मंदिर कोरवो ने बनवाया है तो उन्होंने अपनी गदा के बल से मंदिर के मुख्य द्वार को पूर्व से पश्चिम दिशा में घुमा दिया था। जानकार बताते है कि यह एक मात्र ऐसा मंदिर है जिसका मुख्य द्वार पश्चिम दिशा में खुलता है जबकि दुनिया के तमाम मंदिरो के मुख्य द्वार पूर्व दिशा में खुलते हैं। मान्यता इस शिव मंदिर में पश्चिम उत्तर प्रदेश और हरियाणा समेत दूर दराज से हजारों श्रदालु भोले बाबा का जलाभिषेक करने आते है जहां भोले बाबा अपने भगतो की मनोकामनाएं पूरी करते है।



Body:VO 1 - सहारनपुर जिला मुख्यालय से करीब 55 किलोमीटर दूर थाना तीतरो इलाके में बरसी गांव है। बरसी गांव में यह शिव मंदिर न सिर्फ महाभारत की याद दिलाता है बल्कि फाल्गुन महीने की महाशिवरात्रि को लगने वाले मेले में लाखो शिव भगतो की मनोकामना पूरी करता है। इस मन्दिर की ख़ास बात ये है कि इसका मुख्य द्वार पूर्व दिशा में न होकर पश्चिम दिशा में है। जिसके चलते यह शिव मंदिर दुनिया के सभी शिवालयों एवं मंदिरो से अनोखा मंदिर माना जाता है। हालांकि बाकी मंदिरो के द्वार पूर्व दिखा में खुलते हैं। बताया जाता है कि यह एक मात्र पश्चिम मुखी मंदिर है। जहां हर सोमवार को अपने आराध्य भोले नाथ का जलाभषेक करने के लिए श्रदालुओ का तांता लगा रहता है। हरियाणा और उत्तराखंड समेत आसपास के जनपदो से हजारो श्रदालु नाथों के नाथ भोले नाथ के दर्शन करने आते है। भोले के भगत शिव लिंग का जलाभिषेक कर भांग दतुरा तो चढ़ाते ही है लेकिन कद्दू-भेली को भी प्रसाद के रूप चढ़ाया जाता है। इस मंदिर में आकर असीम शांति मिलती है। 

बाईट - कुंती देवी ( श्रदालु )
बाईट - अनुज प्रताप ( श्रदालु )
बाईट - सुशील शर्मा ( श्रदालु )
बाईट - भोलू राणा ( श्रदालु हरियाणा )


VO 2 - आपको बता दें कि यह शिवमंदिर महभारत काल में दुर्योधन ने बनवाया था। अज्ञातवास के दौरान पांडव पुत्र यहां आकर रुके थे। लेकिन जब पांडवो को यह पता चला कि इस मंदिर का निर्माण कोरवो ने कराया है तो गदाधारी भीम ने शिव मंदिर के द्वार में गदा फंसाकर उसका मुँह पूर्व से पश्चिम दिशा में कर दिया था। तभी से इस मंदिर का मुख पश्चिम की ओर है। बताया तो ये भी जाता है कि लड़ाई के लिए कुरुक्षेत्र जाते समय भगवान् श्री कृष्ण भी यहां रुके थे। उस वक़्त यहां का नजारा कृष्ण नगरी बृज जैसा था। जिसके बाद इस जगह का नाम बरसी पड़ गया। इतना ही नहीं एक खुदाई में मिले ईंट और पत्थर भी महाभारत काल की गवाही देते है। जानकारों के मुताबिक़ यह पत्थर इस तरह का बना हुआ है जैसे महाभारत के रथो के पहियों में लगे लॉक होते थे। अब इस मंदिर को भव्य रूप दिया गया है। यह शिव मंदिर वर्तमान में शिद्ध्पीठ मंदिरो में आता है। जिसके चलते यहां फाल्गुन महीने की शिवरात्रि पर एक भव्य मेले  जाता है। इस मेले में न सिर्फ पश्चमी उत्तर प्रदेश के श्रदालु शिवलिंग का जलाभिषेक करने आते है बल्कि देश के कई राज्यों से भी शिव भगत आकर मन्नते मांगते हैं। सहारनपुर के बरसी गांव में स्थित यह महाभारत कालीन शिव मंदिर पश्चिम में द्वार होने के चलते आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। 

बाइट - मांगेराम गिरी ( पुजारी )



Conclusion:रोशन लाल सैनी 
सहारनपुर 
9759945153
9121293042 
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST
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