श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में कमी और सुरक्षा में सुधार को रेखांकित करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली जम्मू-कश्मीर सरकार नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने और नए आपराधिक कानूनों का उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित करने को कहा.
जम्मू-कश्मीर में नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन की प्रक्रिया की समीक्षा करते हुए शाह ने कहा, "जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में कमी और सुरक्षा में सुधार के जरिए पुलिस को अब अपने नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा को भी प्राथमिकता देनी चाहिए."
शाह ने कहा कि नए कानूनों के पूर्ण क्रियान्वयन के लिए पुलिस कर्मियों और प्रशासन के रवैये में बदलाव लाना और नागरिकों में नए कानूनों के बारे में जागरूकता पैदा करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि नए कानूनों के प्रावधानों के संबंध में जांच अधिकारियों को शत-प्रतिशत प्रशिक्षण जल्द से जल्द सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
'अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने की जरूरत'
शाह ने आरोप पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए पुलिस अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने कहा, "जम्मू-कश्मीर के हर पुलिस थाने को नेशनल ऑटोमैटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (NAFIS) का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए."
बैठक में कौन-कौन हुआ शामिल
नॉर्थ ब्लॉक में हुई इस बैठक में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी शामिल हुए. इनके अलावा बैठक में जम्मू-कश्मीर में पुलिस, जेल, अदालतों, अभियोजन और फोरेंसिक से संबंधित विभिन्न नए प्रावधानों के कार्यान्वयन और वर्तमान स्थिति की समीक्षा की गई. बैठक में केंद्रीय गृह सचिव, जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक, पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (BPRD) के महानिदेशक, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के महानिदेशक, गृह मंत्रालय और यूटी प्रशासन के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए.
टेक्नोलॉजी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें
बैठक में चर्चा के दौरान गृह मंत्री ने केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनाए गए तीन नए आपराधिक कानूनों को अप्रैल 2025 तक जम्मू-कश्मीर में पूरी तरह से लागू करने को कहा. उन्होंने कहा कि तीन नए आपराधिक कानूनों के तहत तुरंत न्याय सुनिश्चित करने के लिए टेक्नोलॉजी का जमकर इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
शाह ने कहा कि आतंकवाद और संगठित अपराध से संबंधित प्रावधानों पर पुलिस अधीक्षक स्तर पर गहन जांच के बाद ही निर्णय लिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि नए कानूनों के तहत इन प्रावधानों का दुरुपयोग न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त निगरानी की आवश्यकता है. उन्होंने आगे कहा, "जम्मू-कश्मीर प्रशासन और सरकार ने कठिन परिस्थितियों के बावजूद नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन की दिशा में संतोषजनक काम किया है.
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