रामपुर: महिलाएं घर परिवार के साथ-साथ अब खेतों में काम कर अपने परिवार का पालन पोषण करेंगी. दरअसल, कृषि कानून को लेकर किसान पिछले 16-17 दिनों से दिल्ली में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और इस कानून को वापस करने की मांग कर रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर किसानों के धरने प्रदर्शन को लेकर किसान की खेती और फसल की जिम्मेदारी अब उनकी महिलाओं ने उठाई है. उनकी महिलाएं खेती-किसानी कर रही हैं और किसान विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. ऐसे में इन महिलाओं का कहना है कि हमने अपने घर के मर्दों से कह दिया है कि तुम जीतकर आना, खेती-किसानी और घर परिवार हम देख लेंगे.
अब देखना यह होगा कि कृषि विधेयक कानून को सरकार कब तक वापस लेगी. बहरहाल किसान आर-पार की लड़ाई के मूड में सड़कों पर बैठे हैं. किसी भी सूरत में इस कानून को मानने को तैयार नहीं हैं. इस कृषि कानून को काला कानून बता रहे हैं. आप तस्वीरों में साथ देख सकते हैं किस तरह से महिलाएं खेतों में काम करने को मजबूर हैं और अपने परिवार को भी पालने की जिम्मेदारी बखूबी निभा रही हैं.
एक महिला किसान सिमरनजीत कौर ने बताया कि हम खेती किसानी करने को मजबूर हैं. हमारे भाई, पति सब लोग वहां धरने पर बैठे हैं. सिमरनजीत कौर ने बताया कि हमने अपने घर के पुरुषों से यहां तक कहा था कि हम भी साथ में चलते हैं धरने में. पर यहां पर भी खेती को कौन देखता. हमने अपने घर के मर्दों से कहा कि आप जाओ और जीत कर आना. हम सब काम कर लेंगे. हम घर परिवार को भी संभाल लेंगे और खेती किसानी भी करेंगे.
हमने ग्रेजुएशन तक पढ़ाई की है, बखूबी खेती करना आता है. कृषि कानून को हम नहीं मानते, किसानों के जरिए ही सबका पेट भर रहा है. हमलोग 7 रुपये किलो मक्का बेचते हैं और वे 150 रुपये किलो का आटा बेचते हैं. इसलिए 7 रुपये की मक्का ज्यादा बेहतर है.
-सिमरनजीत कौर, महिला किसान
हम लोग खेती किसानी कर रहे हैं. हम लोग बहुत परेशान हैं, फसल का रेट मिलता नहीं है. खून-पसीना हमारा एक हो जाता है, इसमें कोई फायदा नहीं है. सरकार जो कानून लाई है वह हमारे हित में नहीं है.
-सुखविंदर कौर, महिला किसान
हमारे पिता, भाई सब लोग दिल्ली गए हुए हैं. इसलिए हमें खुद ही खेती करनी पड़ रही है और घर भी संभालना पड़ रहा है. मोदी जी ने जो कानून बनाया है, यह गैरकानूनी है. हम इस कानून को नहीं मानते. हमने अपने घर वालों को कह रखा है कि जीत कर आना बगैर जीते मत आना.
-प्रीतिंदर कौर, महिला किसान