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रायबरेली : सोनिया के संसदीय क्षेत्र में खुलेआम उड़ रही ट्रैफिक व्यवस्था की धज्जियां - ट्रैफिक

ट्रैफिक व्यवस्था को मैनेज करने के लिए शहर में नो एंट्री कॉन्सेप्ट को शामिल किया गया था. वहीं नियमों को ताक पर रखकर केवल नो एंट्री का मजाक उड़ाया जा रहा, बल्कि सड़कों पर सभी वाहन ओवरलोड ही नजर आ रहे हैं.

उड़ रही ट्रैफिक व्यवस्था की धज्जियां
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Published : Feb 16, 2019, 10:05 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:18 PM IST

रायबरेली : जनसंख्या वृद्धि ने शहरों के क्षेत्रफल को भले ही बढ़ाया हो पर सड़कों पर बढ़ते ट्रैफिक ने दम घुटने जैसा माहौल बना दिया है. इसी व्यवस्था को मैनेज करने के लिए शहर में नो एंट्री कॉन्सेप्ट को शामिल किया गया था. शहर में भारी वाहनों के प्रवेश संबंधी यातायात नियमों के अनुसार ट्रैफिक को नियंत्रण में रखने के लिए सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक भारी वाहनों के शहर में प्रवेश पर रोक लगाई गई थी पर इसकी जमीनी स्थिति कुछ अलग ही नजर आती है. नियमों को ताक पर रखकर केवल नो एंट्री का मजाक उड़ाया जा रहा, बल्कि सड़कों पर सभी वाहन ओवरलोड ही नजर आ रहे हैं.

उड़ रही ट्रैफिक व्यवस्था की धज्जियां
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ETV ने जब हाईवे से गुजर रहे भवन निर्माण और अन्य सामग्रियों को ढोने वाले भारी वाहनों की वास्तविक स्थित जानने की कोशिश की तो ध्वस्त व्यवस्था की परतें खुलती गईं. ओवरलोडेड गाड़ियों और नो एंट्री की खुलेआम उड़ रही धज्जियों पर भले ही प्रशासन और जिम्मेदार कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं. वहीं सरेआम यातायात व्यवस्था के साथ हो रहे खिलवाड़ का अंजाम सिर्फ आम जनता को ही भुगतना पड़ता है.


वाहनों को ओवरलोड पाए जाने पर जब वाहन मालिकों और चालकों से पूछा गया तो खादानों में रॉयल्टी का बहाना बताकर खुद को निर्दोष साबित करने पर तुले रहे. स्थानीय वाहन मालिकों ने सरकारी नीतियों और सिस्टम पर दोष मढ़ते हुए ओवरलोडिंग को मजबूरी करार देते हुए लागत न निकलने की बात कही.


वहीं एसपी सुनील कुमार सिंह ने बताया कि रायबरेली से करीब पांच नेशनल हाईवे गुजरते हैं, जिसका परिणाम है कि ट्रैफिक को व्यवस्थित रखना एक चैलेंज है. शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कड़े कदम उठाए गए है और प्रयागराज में कुंभ की शुरुआत से ही ट्रैफिक डायवर्सन को साकार रुप दिया गया है. इसके अलावा जहां कहीं भी रोड या उससे संबंधित कुछ समस्याएं है, सूचित कर मार्ग को दुरुस्त करने के भी प्रयास किए जाते हैं.

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रायबरेली के उपसंभागीय परिवाहन अधिकारी संजय तिवारी ने बताया कि उनके विभाग से प्रतिदिन कम से कम 10-15 ओवरलोड वाहनों का चालान किया जाता है. इसमें 2.5 से 3 लाख के करीब शुल्क विभाग वसूलता है.

रायबरेली : जनसंख्या वृद्धि ने शहरों के क्षेत्रफल को भले ही बढ़ाया हो पर सड़कों पर बढ़ते ट्रैफिक ने दम घुटने जैसा माहौल बना दिया है. इसी व्यवस्था को मैनेज करने के लिए शहर में नो एंट्री कॉन्सेप्ट को शामिल किया गया था. शहर में भारी वाहनों के प्रवेश संबंधी यातायात नियमों के अनुसार ट्रैफिक को नियंत्रण में रखने के लिए सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक भारी वाहनों के शहर में प्रवेश पर रोक लगाई गई थी पर इसकी जमीनी स्थिति कुछ अलग ही नजर आती है. नियमों को ताक पर रखकर केवल नो एंट्री का मजाक उड़ाया जा रहा, बल्कि सड़कों पर सभी वाहन ओवरलोड ही नजर आ रहे हैं.

उड़ रही ट्रैफिक व्यवस्था की धज्जियां
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ETV ने जब हाईवे से गुजर रहे भवन निर्माण और अन्य सामग्रियों को ढोने वाले भारी वाहनों की वास्तविक स्थित जानने की कोशिश की तो ध्वस्त व्यवस्था की परतें खुलती गईं. ओवरलोडेड गाड़ियों और नो एंट्री की खुलेआम उड़ रही धज्जियों पर भले ही प्रशासन और जिम्मेदार कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं. वहीं सरेआम यातायात व्यवस्था के साथ हो रहे खिलवाड़ का अंजाम सिर्फ आम जनता को ही भुगतना पड़ता है.


वाहनों को ओवरलोड पाए जाने पर जब वाहन मालिकों और चालकों से पूछा गया तो खादानों में रॉयल्टी का बहाना बताकर खुद को निर्दोष साबित करने पर तुले रहे. स्थानीय वाहन मालिकों ने सरकारी नीतियों और सिस्टम पर दोष मढ़ते हुए ओवरलोडिंग को मजबूरी करार देते हुए लागत न निकलने की बात कही.


वहीं एसपी सुनील कुमार सिंह ने बताया कि रायबरेली से करीब पांच नेशनल हाईवे गुजरते हैं, जिसका परिणाम है कि ट्रैफिक को व्यवस्थित रखना एक चैलेंज है. शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कड़े कदम उठाए गए है और प्रयागराज में कुंभ की शुरुआत से ही ट्रैफिक डायवर्सन को साकार रुप दिया गया है. इसके अलावा जहां कहीं भी रोड या उससे संबंधित कुछ समस्याएं है, सूचित कर मार्ग को दुरुस्त करने के भी प्रयास किए जाते हैं.

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रायबरेली के उपसंभागीय परिवाहन अधिकारी संजय तिवारी ने बताया कि उनके विभाग से प्रतिदिन कम से कम 10-15 ओवरलोड वाहनों का चालान किया जाता है. इसमें 2.5 से 3 लाख के करीब शुल्क विभाग वसूलता है.

Intro:सोनिया के संसदीय क्षेत्र में खुलेआम उड़ रही सुदृण शहरी ट्रैफिक व्यवस्था की धज्जियां

15 फरवरी 2019 - रायबरेली

जनसंख्या वृद्धि ने शहरों के क्षेत्रफल को भले ही बढ़ाया हो पर सड़कों पर बढ़ते ट्रैफिक ने दम घोटू माहौल को जन्म दिया है।इसी व्यवस्था को मैनेज करने के लिए शहर में भारी वाहनों जुड़ें ‘नो एंट्री’ के कॉन्सेप्ट को शामिल किया गया।रायबरेली शहर में भारी वाहनों के प्रवेश संबंधी यातायात नियमों के अनुसार शहरी ट्रैफिक को नियंत्रण में रखने के लक्ष्य से सुबह 08 बजे से रात के 08 बजे तक भारी वाहनों का शहर में प्रवेश निषेध किया गया है पर ज़मीनी स्थित कुछ अलग ही नज़र आती है और नियमों को ताक पर रख कर केवल नो एंट्री का ही मखौल नही उड़ाया जाता इसके अलावा लगभग सभी वाहन ओवरलोड ही नज़र आते है।






Body:ETV ने जब रायबरेली में हाईवे से गुजर रहे भवन निर्माण व अन्य सामग्रियों को ढोने वाले भारी वाहनों की वास्तविक स्थित जानने की कोशिश की ध्वस्त व्यवस्था की परतें खुलती गई।

रायबरेली में ओवरलोडेड गाड़ियों व नो एंट्री की खुलेआम उड़ रही धज्जियों पर भले ही प्रशासन व जिम्मेदार कुछ भी बोलने से कतराते रहे पर सरेआम यातायात व्यवस्था के साथ हो रहे खिलवाड़ का अंजाम सिर्फ आम जनता को ही भुगतना पड़ता है।

ETV के ग्राउंड रियलिटी में ज्यादातर भारी वाहनों को ओवरलोड पाए जाने पर जब वाहन मालिकों व चालकों से पूछा गया तो खदानों में रॉयल्टी का बहाना बताकर अपने को निर्दोष साबित करने पर तुले रहे।स्थानीय वाहन मालिकों ने सरकारी नीतियों व सिस्टम पर दोष मढ़ते हुए ओवरलोडिंग को मजबूरी करार देते हुए लागत न निकलनें की बात कही।

वही,रायबरेली एसपी सुनील कुमार सिंह ने ETV को बताया कि रायबरेली से करीब 5 नेशनल हाईवे गुज़रते है जिसका परिणाम है कि ट्रैफिक को मैनेज व व्यवस्थित रखना भी एक चैलेंज है।एसपी रायबरेली ने यह भी जोड़ा कि शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कड़े कदम उठाए गए है और प्रयागराज में कुंभ की शुरुआत से ही ट्रैफिक डायवर्सन को साकार रुप दिया गया है इसके अलावा जहां कही भी रोड़ या उससे संबंधित कुछ समस्याएं है वहां पर जिलाधिकारी के माध्यम से उन विभागों को सूचित कर मार्ग को दुरुस्त करने के भी प्रयास किए जाते है।

रायबरेली के उपसंभागीय परिवाहन अधिकारी संजय तिवारी ने बताया कि उनके विभाग द्वारा प्रतिदिन कम से कम 10-15 ओवरलोड वाहनों का चालान किया जाता है जिससें 2.5 से 3 लाख के क़रीब शुल्क भी विभाग द्वारा वसूला जाता है।इसके अलावा उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि भारी वाहनों को लोडिंग के वक़्त ही ध्यान देकर क्षमता से अधिक भार न देने से ही इस समस्या का सही प्रकार से निदान मिलने की संभावना है।








Conclusion:शहरी विकास में ट्रैफिक को सुदृण करना भी बेहद अहम व ख़ास माना जाता है पर ध्वस्त होती व्यवस्था में इनको सुचारु रखने की कार्यक्षमता न ही प्रशासन में नज़र आती है और न ट्रक ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन व संचालक कोई पहल करते नज़र आते है, जिसका परिणाम रोड पर चलने वाले आम व ख़ास लोगों को ही भुगतना पड़ता है और आएं दिन एक्सीडेंट की खबरों का सामना होता है।


विज़ुअल:सम्बंधित विज़ुअल,

बाइट 1:ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े व्यक्ति

काउंटर बाइट 1:सुनील कुमार सिंह - पुलिस अधीक्षक - रायबरेली

काउंटर बाइट 2:संजय तिवारी - एआरटीओ (प्रशासन) - रायबरेली)

प्रणव कुमार - 7000024034
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:18 PM IST
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