रायबरेली : जनसंख्या वृद्धि ने शहरों के क्षेत्रफल को भले ही बढ़ाया हो पर सड़कों पर बढ़ते ट्रैफिक ने दम घुटने जैसा माहौल बना दिया है. इसी व्यवस्था को मैनेज करने के लिए शहर में नो एंट्री कॉन्सेप्ट को शामिल किया गया था. शहर में भारी वाहनों के प्रवेश संबंधी यातायात नियमों के अनुसार ट्रैफिक को नियंत्रण में रखने के लिए सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक भारी वाहनों के शहर में प्रवेश पर रोक लगाई गई थी पर इसकी जमीनी स्थिति कुछ अलग ही नजर आती है. नियमों को ताक पर रखकर केवल नो एंट्री का मजाक उड़ाया जा रहा, बल्कि सड़कों पर सभी वाहन ओवरलोड ही नजर आ रहे हैं.
ETV ने जब हाईवे से गुजर रहे भवन निर्माण और अन्य सामग्रियों को ढोने वाले भारी वाहनों की वास्तविक स्थित जानने की कोशिश की तो ध्वस्त व्यवस्था की परतें खुलती गईं. ओवरलोडेड गाड़ियों और नो एंट्री की खुलेआम उड़ रही धज्जियों पर भले ही प्रशासन और जिम्मेदार कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं. वहीं सरेआम यातायात व्यवस्था के साथ हो रहे खिलवाड़ का अंजाम सिर्फ आम जनता को ही भुगतना पड़ता है.
वाहनों को ओवरलोड पाए जाने पर जब वाहन मालिकों और चालकों से पूछा गया तो खादानों में रॉयल्टी का बहाना बताकर खुद को निर्दोष साबित करने पर तुले रहे. स्थानीय वाहन मालिकों ने सरकारी नीतियों और सिस्टम पर दोष मढ़ते हुए ओवरलोडिंग को मजबूरी करार देते हुए लागत न निकलने की बात कही.
वहीं एसपी सुनील कुमार सिंह ने बताया कि रायबरेली से करीब पांच नेशनल हाईवे गुजरते हैं, जिसका परिणाम है कि ट्रैफिक को व्यवस्थित रखना एक चैलेंज है. शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कड़े कदम उठाए गए है और प्रयागराज में कुंभ की शुरुआत से ही ट्रैफिक डायवर्सन को साकार रुप दिया गया है. इसके अलावा जहां कहीं भी रोड या उससे संबंधित कुछ समस्याएं है, सूचित कर मार्ग को दुरुस्त करने के भी प्रयास किए जाते हैं.
रायबरेली के उपसंभागीय परिवाहन अधिकारी संजय तिवारी ने बताया कि उनके विभाग से प्रतिदिन कम से कम 10-15 ओवरलोड वाहनों का चालान किया जाता है. इसमें 2.5 से 3 लाख के करीब शुल्क विभाग वसूलता है.