रायबरेली: जिले में निजी कंपनी में क्वालिटी मैनेजर के पद पर कार्यरत एक युवक ने नौकरी छोड़कर तीन साल पहले दो एकड़ जमीन पर नींबू की जैविक खेती शुरू की. अब वह इससे हर सीजन में लाखों रुपये कमा रहे हैं. इसके अलावा वह आस-पास के किसानों को जैविक खेती करने का प्रशिक्षण भी देते हैं. इतना ही नहीं वह समय-समय पर उन्नत खेती को लेकर किसानों को जागरूक भी करते हैं. जिले में उन्हें लेमनमैन के नाम से भी जाना जाता है.
साल 2015 में छोड़ी थी नौकरी
जिला मुख्यालय से 23 किलोमीटर दूर स्थित कंचनावा गांव निवासी आनंद मिश्रा पंजाब में एक निजी कंपनी में क्वालिटी मैनेजर के पद पर कार्यरत थे. साल 2015 में उन्होंने नौकरी छोड़कर गांव की ओर रूख किया. गांव आने के बाद खेती शुरू की, लेकिन ज्यादा फायदा नहीं हुआ. उन्होंने बताया कि काफी रिसर्च के बाद साल 2017 में दो एकड़ जमीन पर नींबू की जैविक खेती शुरू की. शुरुआत में तो फायदा कम हुआ, लेकिन धीरे-धीरे आमदनी बढ़ने लगी. अब वह नींबू की खेती से हर सीजन में एक लाख से अधिक की कमाई करते हैं. जैविक खेती करने के लिए उन्हें स्थानीय स्तर पर सम्मानित भी किया जा चुका है.
5 जिलों में जाता है नींबू
नौकरी छोड़कर बागवानी किसान बने आनंद ने बताया कि उनका जैविक नींबू जिले के अलावा लखनऊ, अमेठी, सुलतानपुर और प्रतापगढ़ में भी जाता है. उन्होंने बताया कि इन जिलों के व्यापारी नींबू को खरीदकर अपनी मंडियों में बेचते हैं. वह किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षण भी देते हैं और समय-समय पर जैविक खेती को लेकर जागरूकता अभियान भी चलाते हैं. उन्होंने बताया कि अभी तक ड्रिप व्यवस्था नहीं थी. अब सरकार ने उसे स्वीकृत कर दिया है और इसमें सब्सिडी भी मिल रही है.
गांव में पलायन कर आए श्रमिकों को दिया है रोजगार
लाॅकडाउन के कारण गांव में पलायन कर आए श्रमिकों को भी उन्होंने रोजागार दिया है. उन्होंने बताया कि आने वाले समय में गांव की महिलाओं को भी रोजगार देने की योजना है, जिससे कि गांव के लोगों को रोजागार के लिए अन्य जिलों या राज्यों में न जाना पड़े.