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200 साल पुराना है चित्रगुप्त भगवान का मंदिर, भाईदूज के दिन होती है कलम-दवात की पूजा

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चित्रगुप्त महाराज के मंदिर में दिवाली के तीसरे दिन कायस्थ परिवार के देवता चित्रगुप्त महाराज की पूजा बड़े ही धूमधाम से की जाती है. यहां की परंपरा है कि भाईदूज पर्व के अवसर पर चित्रगुप्त महाराज और कलम दवात की विशेष रूप से पूजा पाठ की जाती है.

भाई दूज दिन होती है कलम-दवात की पूजा.
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Published : Oct 29, 2019, 7:51 PM IST

प्रयागराज: दिवाली के तीसरे दिन मुट्ठीगंज स्थित चित्रगुप्त मंदिर में कलम-दवात की पूजा की गई. कायस्थ समाज देवताओं के लेखाकार चित्रगुप्त महाराज की भैया दूज और यम द्वितीया के दिन खास पूजा करते हैं. 200 साल इस पुरानी मंदिर चित्रगुप्त महाराज और कलम-दवात की पूजा करने के बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है.

दिवाली के तीसरे दिन होती है यह पूजा
चित्रगुप्त महाराज के मंदिर में दिवाली के तीसरे दिन कायस्थ परिवार के देवता चित्रगुप्त महाराज की पूजा बड़े ही धूमधाम से की जाती है. कहा जाता है कि चित्रगुप्त महाराज को देवगण का लेखपाल यानी मनुष्यों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखने वाला माना गया है.

भाईदूज दिन होती है कलम-दवात की पूजा.

200 साल पुरानी है मंदिर
मान्यता है कि इस दिन कायस्थ समाज का हर सदस्य कलम से कागज पर अपनी सालाना आय लिखकर, एक मंत्र के साथ वह कागज चित्रगुप्त महाराज के पास रख देता है. उसके बाद पूरी पूजा विधि अपनाई जाती है. चित्रगुप्त मंदिर और कायस्थ समाज के अध्यक्ष राघवेंद्र नाथ सिंह ने बताया कि मुट्ठीगंज स्थित चित्र गुप्त महाराज की यह 200 साल पुरानी मंदिर है. यहां की परंपरा है कि दिवाली के तीसरे दिन भाई दूज पर्व के अवसर पर चित्रगुप्त महाराज और कलम दवात की विशेष रूप से पूजा पाठ की जाती है.

ये भी पढ़ें- आज है भैया दूज का पर्व, इस मुहूर्त में करें भाइयों को टीका

इसके साथ मंदिर में यज्ञ के साथ ही पूजा शामिल होने वाले सभी सदस्यों की प्रसाद और कलम भी भेंट किया जाता है. कायस्थ समाज हर साल मंदिर में कलम दवात और चित्रगुप्त महाराज की पूजा करते हैं. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है.

प्रयागराज: दिवाली के तीसरे दिन मुट्ठीगंज स्थित चित्रगुप्त मंदिर में कलम-दवात की पूजा की गई. कायस्थ समाज देवताओं के लेखाकार चित्रगुप्त महाराज की भैया दूज और यम द्वितीया के दिन खास पूजा करते हैं. 200 साल इस पुरानी मंदिर चित्रगुप्त महाराज और कलम-दवात की पूजा करने के बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है.

दिवाली के तीसरे दिन होती है यह पूजा
चित्रगुप्त महाराज के मंदिर में दिवाली के तीसरे दिन कायस्थ परिवार के देवता चित्रगुप्त महाराज की पूजा बड़े ही धूमधाम से की जाती है. कहा जाता है कि चित्रगुप्त महाराज को देवगण का लेखपाल यानी मनुष्यों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखने वाला माना गया है.

भाईदूज दिन होती है कलम-दवात की पूजा.

200 साल पुरानी है मंदिर
मान्यता है कि इस दिन कायस्थ समाज का हर सदस्य कलम से कागज पर अपनी सालाना आय लिखकर, एक मंत्र के साथ वह कागज चित्रगुप्त महाराज के पास रख देता है. उसके बाद पूरी पूजा विधि अपनाई जाती है. चित्रगुप्त मंदिर और कायस्थ समाज के अध्यक्ष राघवेंद्र नाथ सिंह ने बताया कि मुट्ठीगंज स्थित चित्र गुप्त महाराज की यह 200 साल पुरानी मंदिर है. यहां की परंपरा है कि दिवाली के तीसरे दिन भाई दूज पर्व के अवसर पर चित्रगुप्त महाराज और कलम दवात की विशेष रूप से पूजा पाठ की जाती है.

ये भी पढ़ें- आज है भैया दूज का पर्व, इस मुहूर्त में करें भाइयों को टीका

इसके साथ मंदिर में यज्ञ के साथ ही पूजा शामिल होने वाले सभी सदस्यों की प्रसाद और कलम भी भेंट किया जाता है. कायस्थ समाज हर साल मंदिर में कलम दवात और चित्रगुप्त महाराज की पूजा करते हैं. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है.

Intro:प्रयागराज: दो सौ साल पुराना है चित्रगुप्त भगवान का यह मंदिर, भाई दूज दिन होती है कलम-दवात की पूजा

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प्रयागराज: दिवाली के तीसरे दिन मुट्ठीगंज स्थित चित्रगुप्त मंदिर के अंदर भगवान चित्रगुप्त और कलम-दवात की पूजा की गई है. देवताओं के लेखाकार चित्रगुप्त महराज की भैया दूज और यम द्वितीया के दिन खास पूजा कायस्थ समाज विशेष रूप से करते हैं. दो सौ साल पुरानी इस मंदिर चित्रगुप्त महाराज और कलम-दवात की पूजा करने के बाद प्रासादों का वितरण किया जाता है.


Body:दिवाली के तीसरे दिन होती है यह पूजा

चित्रगुप्त महाराज के मंदिर के अंदर दिवाली के तीसरे दिन यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया को जहां देशभर में भाई दूज का पर्व मनाया जाता है वहीं कायस्थ परिवार के देवता चित्रगुप्त महाराज की पूजा बड़े ही धूमधाम से की जाती है. यम द्वितीया को मनाया जाने वाला ये पर्व कलम-दवात की पूजा किया गया.

कहा जाता है कि चित्रगुप्त महाराज को देवगण का लेखपाल यानी मनुष्यों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखने वाला माना गया है. इसलिए इस दिन नई लेखनी या कलम की पूजा होती है और व्यापारी या कारोबारी वर्ग इसे नववर्ष प्रारंभ के तौर पर भी देखते हैं.

मान्यता है कि इस दिन कायस्थ समाज का हर सदस्य कलम से कागज पर अपनी सालाना आय लिखकर, एक मंत्र के साथ वो कागज चित्रगुप्त महाराज के पास रख देता है. उसके बाद पूरी पूजा विधि अपनाई जाती है और आरती व विशेष प्रसाद के साथ ये चित्रगुप्त पूजा संपन्न होती है.




Conclusion:चित्रगुप्त मंदिर और कायस्थ समाज के अध्यक्ष राघवेंद्र नाथ सिंह ने बताया कि मुट्ठीगंज स्थित चित्र गुप्त महाराज की यह दो सौ साल पुरानी मंदिर है. यहां की परंपरा है कि दिवाली के तीसरे दिन भाई दूज पर्व के अवसर पर चित्रगुप्त महराज और कलम दवात की विशेष रूप से पूजा पाठ की जाती है. इसके साथ मंदिर में यज्ञ के साथ ही पूजा शामिल होने वाले सभी सदस्यों की प्रसाद और कलम भी भेंट किया जाता है. कायस्थ समाज हर साल मंदिर में कलम दवात और चित्रगुप्त महाराज की पूजा करते हैं. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है.

बाईट- राघवेंद्र नाथ सिंह- कायस्थ समाज और मंदिर के अध्यक्ष

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