प्रयागराज: कोरोना काल में सिर्फ भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के लोगों ने आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति का लोहा माना. विदेशों में नेचुरोपैथी के नाम पर आयुर्वेदिक इलाज पद्धति को बढ़ावा दिया जा रहा है.
अब आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत प्रयागराज में आदिकालीन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें जिले के वैद्यों को सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में शामिल वैद्यों ने आयुर्वेद से होने वाले कई विशेष लाभों का जिक्र किया.
आजादी के अमृत महोत्सव के तहत प्रयागराज संग्रहालय में सम्मान समारोह कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें आदिकालीन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति की उपयोगिता का महत्व बताया गया.
कार्यक्रम में जिले के प्रमुख वैद्यों को सम्मानित किया गया. साथ ही कार्यक्रम में मौजूद वैद्यों ने आयुर्वेदिक इलाज व फायदों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई. कार्यक्रम में मौजूद वैद्यों ने बताया कि आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से असाध्य रोगों को ठीक किया जा सकता है. लेकिन इसकी ओर लोग रुख तब करते हैं जब रोग असाध्य हो जाते हैं.
उन्होंने बताया कि अगर बीमार व्यक्ति सही समय पर आयुर्वेदिक पद्धति से इलाज शुरू कर दे तो उनकी बीमारी ठीक हो सकती है. इसके जरिए कई असाध्य बीमारियों का सफल इलाज किया गया है. हालांकि इस चिकित्सा पद्धति पर आम लोग पूरी तरह से भरोसा नहीं कर पाते.
इसलिए देश में आज भी ज्यादातर लोग इलाज के लिए पहले एलोपैथ की तरफ जाते हैं जबकि आयुर्वेद बहुत सी बीमारियों का जड़ से खत्म कर देता है.
विदेशों में बढ़ रहा है आयुर्वेदिक चिकित्सा का प्रचलन
वैद्यों के मुताबिक भारत की आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को विदेशों में अपनाया जा रहा है. विदेशों में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति नेचुरोपैथी के नाम से प्रचारित किया जा रहा है जबकि नेचुरोपैथी में भी इलाज प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के जरिए ही किया जाता है. वैद्यों का कहना है कि जिस तरह से विदेशी धरती पर नेचुरोपैथी को बढ़ावा दिया जा रहा है, उसी तरह देश में आयुर्वेदिक इलाज के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए.
कोरोना काल में देश दुनिया ने माना आयुर्वेद का लोहा
कोरोना काल के दौरान देश-दुनिया में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति का लोहा माना गया है. जिस वक्त पूरे देश में कोरोना काल से लोग जूझ रहे थे. एलोपैथिक दवाओं के मुकाबले आदिकालीन आयुर्वेद से पूरे कोरोना में लाभ मिला. लोग आयुर्वेदिक काढ़ा और जड़ी बूटियों के इस्तेमाल से कोरोना महामारी पर काबू करने में सफल हुए.
सवा सौ करोड़ से अधिक आबादी वाले देश में आयुर्वेद के इस्तेमाल से ज्यादा जनहानि नहीं हो सकी. यही वजह है कि दुनिया भर के लोगों ने आयुर्वेद का लोहा माना है. इसके बाद कोरोना से बचने के लिए दूसरे देश के लोगों ने भी आयुर्वेद को अपनाया है.