प्रयागराज: संगमनगरी का नाम स्मार्ट सिटी में दर्ज है. ऐसे में अब शहर की व्यवस्थाएं भी स्मार्ट होती नजर आ रही हैं. प्रयागराज के दो रैन बसेरे एक मिसाल पेश कर रहे हैं. इन रैन बसेरों में बेसहारा लोगों को होटल जैसी सुविधाएं मिल रही हैं. आधुनिक सुविधा से लैस इन रैन बसेरों को जो भी देखता है वह हैरान हो जाता है कि आखिर यह रैन बसेरे हैं या फिर किसी आलीशान होटल के कमरे. ईटीवी भारत की टीम ने शीतलहर वाली ठंड में रैन बसेरों का निरीक्षण किया. पढ़िए विशेष रिपोर्ट...
मिली हैं ये सुविधाएं
प्रयागराज के इन रैन बसेरों में साफ-सुथरे बेड तो हैं ही साथ ही यहां आधुनिक किचन, बाथरूम में गीजर और वेस्टर्न टॉयलेट की सुविधा, पीने के लिए आरओ मशीन और गरम पानी की भी व्यवस्था है. साथ ही यहां मनोरंजन के लिए एक स्मार्ट टीवी भी लगाया गया है. जो भी इन रैन बसेरों में आता है कोविड-19 की गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए सबसे पहले उसकी थर्मल स्क्रीनिंग होती है. ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन लेवल चेक होता है और उसके बाद ही उसको रैन बसेरे में रहने दिया जाता है.
रैन बसेरे कम और होटल ज्यादा
गरीब दिव्यांग यात्री नरेंद्र काम की तलाश में इटावा से आए, लेकिन उन्हें काम नहीं मिला. अनजान शहर में रहने को जगह नहीं मिली. शीतलहर वाली ठंड में रहने के लिए होटल में गए तो होटल में किराया 15 सौ से 2 हजार का कमरा था. उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि होटल ले सकें. तब किसी ने उन्हें बताया कि पास में ही गरीबों के लिए सरकार ने नि:शुल्क रैन बसेरा बनाया है. उनका कहना है कि उनको होटल जैसी सुविधा मिल रही है या कहें कि ये रैन बसेरे कम और होटल ज्यादा लग रहे हैं.
लीडर रोड स्थित रैन बसेरे में भी है ऐसी सुविधा
स्थानीय पार्षद फजल खान का कहना है कि मेयर अभिलाषा गुप्ता नंदी की वजह से इन रैन बसेरों को आधुनिक बनाया गया है. आम जनता जो बेसहारा है, असहाय है या गरीब है और दिव्यांगों को किसी तरह की समस्या न हो इसके लिए ऐसी सुविधाएं दी जा रही हैं. नरूला रोड स्थित रैन बसेरे में 3 हॉल 6 शौचालय 5 बाथरूम और एक किचन है, जबकि यहां 40 बेड हैं. यहां पर गीजर, आरओ मशीन और और टीवी भी लगा हुआ है. यहां मास्क, सेनेटाइजर और थर्मल स्क्रीनिंग की भी व्यवस्था है. ऐसी ही सुविधा लीडर रोड रैन बसेरे में भी देखी जा रही है.