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इलाहाबाद विश्वविद्यालय में लागू हुआ छात्र परिषद मॉडल, छात्रसंघ में छाई उदासी

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Published : Jun 30, 2019, 11:26 AM IST

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र परिषद चुनाव के मॉडल को सर्वसम्मति से लागू कर दिया गया है. बता दें कि बीते 17 मई को इलाहबाद हाईकोर्ट ने इस संदर्भ में विश्वविद्यालय को आदेश दिया था.

जानकारी देते इविवि के जनसंपर्क अधिकारी.

प्रयागराज: इलाहाबाद विश्वविद्यालय कार्य परिषद की बैठक में छात्रसंघ की जगह छात्र परिषद चुनाव के मॉडल को सर्वसम्मति से लागू कर दिया गया. कार्य परिषद ने इस मामले पर काफी विस्तृत और गंभीर चर्चा के बाद सर्वसम्मति से अंतिम स्वीकृति दे दी. यह मामला 24 जून को विद्वत परिषद में भी रखा गया था, जहां इसे सर्व सम्मति से स्वीकार किया गया था. कार्य परिषद के निर्णय के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय में इसी शैक्षणिक सत्र से छात्र परिषद चुनाव का मॉडल लागू होगा. बीते 17 मई को इलाहबाद उच्च न्यायालय ने भी इस संदर्भ में विश्वविद्यालय को आदेश दिया था.

जानकारी देते इविवि के जनसंपर्क अधिकारी.

लिंगदोह समिति की सिफारिशें लागू

बता दें कि देश भर में छात्रसंघ चुनाव के दौरान धनबल और बाहुबल का प्रयोग किया जाता था, जिसके चलते छात्रसंघ सीधे तौर पर आपराधिक घटनाओं को अंजाम देते थे. इस पर अंकुश लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर लिंगदोह समिति का गठन किया गया था. लिंगदोह समिति ने छात्रसंघ चुनाव को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी. सुप्रीम कोर्ट ने लिंगदोह समिति की सिफारिशों को देशभर के विश्वविद्यालयों पर लागू कर दिया था.

छात्रसंघ की जगह छात्र परिषद चुनाव

लिंगदोह समिति ने अपनी सिफारिशों में अलग-अलग कैंपस के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष चुनाव का मॉडल सुझाया था. समिति ने अपनी सिफारिशों में स्पष्ट कहा है कि ज्यादा छात्र संख्या वाले परिसर में अगर अशांति का माहौल है तो वहां अनिवार्य रूप से छात्र परिषद चुनाव का मॉडल ही लागू किया जाना चाहिए. इसमें प्रत्यक्ष मतदान द्वारा छात्रसंघ का मॉडल सिर्फ एकल परिसर और कम छात्र संख्या वाले विश्वविद्यालयों के लिए ही उपयुक्त सुझाया गया है. अब छात्र परिषद की मंजूरी मिल जाने के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय में इस वर्ष से छात्रसंघ के स्थान पर छात्र परिषद चुनाव का मॉडल लागू होगा.

राजनीति के तहत छात्रसंघ को किया जा रहा बंद

इस पर छात्रसंघ का कहना था कि यहा पर छात्रसंघ सोची समझी राजनीति के तहत बंद किजा जा रहा है. छात्रसंघ के आरोप पर विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रसंघ चुनाव को बैन नहीं कर रहा, बल्कि 'मोड़ ऑफ इलेक्शन' में बदलाव कर रहा है. लिंगदोह कमेटी ने अपनी संस्तुति 6.1.2 और 6.2.1 में साफ-साफ निर्देश दिया है कि सिर्फ JNU और हैदराबाद विश्वविद्यालय जैसे छोटे कैंपस और कम छात्र संख्या वाले परिसर में ही प्रत्यक्ष मतदान से छात्रसंघ का गठन होगा, जबकि ज्यादा छात्र संख्या और कई परिसर वाले विश्वविद्यालय में अनिवार्य रूप से छात्र परिषद का ही गठन होगा. लिंगदोह समिति की सिफारिशें सुप्रीम कोर्ट से स्वीकृत हैं और देशभर के विश्वविद्यालयों के लिए बाध्यकारी हैं. बीते 17 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी अपने फैसले में विश्वविद्यालय को स्पष्ट निर्देश दिया था कि विश्वविद्यालय में लिंगदोह समिति के अनुसार ही चुनाव करवाए जाएं.

क्या बोले जिम्मेदार

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के जनसम्पर्क अधिकारी चितरंजन कुमार ने बताया कि छात्र परिषद चुनाव का मॉडल विश्वविद्यालय के साथ-साथ संगठक कॉलेजों पर भी लागू होगा. पिछले कई सालों से विवि का छात्रसंघ चुनाव अराजकता, उपद्रव और हत्या का केंद्र बन गया था. कई निर्वाचित छात्र नेता हत्या के आरोप में गिरफ्तार हैं. छात्र परिषद से धनबल और बाहुबल पर निश्चित रूप से अंकुश लगेगा. छात्र परिषद चुनाव का मॉडल ज्यादा व्यापक और पारदर्शी है. इसमें हर संकाय से स्नातक, परास्नातक और पीएचडी के छात्र चुनकर आएंगे. इनके द्वारा ही पदाधिकारियों का चुनाव किया जाएगा. इस पूरी प्रक्रिया में आम छात्र ही मतदान करेंगे. इसमें हर स्तर पर अधिकतम छात्रों की भागीदारी होगी.

प्रयागराज: इलाहाबाद विश्वविद्यालय कार्य परिषद की बैठक में छात्रसंघ की जगह छात्र परिषद चुनाव के मॉडल को सर्वसम्मति से लागू कर दिया गया. कार्य परिषद ने इस मामले पर काफी विस्तृत और गंभीर चर्चा के बाद सर्वसम्मति से अंतिम स्वीकृति दे दी. यह मामला 24 जून को विद्वत परिषद में भी रखा गया था, जहां इसे सर्व सम्मति से स्वीकार किया गया था. कार्य परिषद के निर्णय के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय में इसी शैक्षणिक सत्र से छात्र परिषद चुनाव का मॉडल लागू होगा. बीते 17 मई को इलाहबाद उच्च न्यायालय ने भी इस संदर्भ में विश्वविद्यालय को आदेश दिया था.

जानकारी देते इविवि के जनसंपर्क अधिकारी.

लिंगदोह समिति की सिफारिशें लागू

बता दें कि देश भर में छात्रसंघ चुनाव के दौरान धनबल और बाहुबल का प्रयोग किया जाता था, जिसके चलते छात्रसंघ सीधे तौर पर आपराधिक घटनाओं को अंजाम देते थे. इस पर अंकुश लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर लिंगदोह समिति का गठन किया गया था. लिंगदोह समिति ने छात्रसंघ चुनाव को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी. सुप्रीम कोर्ट ने लिंगदोह समिति की सिफारिशों को देशभर के विश्वविद्यालयों पर लागू कर दिया था.

छात्रसंघ की जगह छात्र परिषद चुनाव

लिंगदोह समिति ने अपनी सिफारिशों में अलग-अलग कैंपस के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष चुनाव का मॉडल सुझाया था. समिति ने अपनी सिफारिशों में स्पष्ट कहा है कि ज्यादा छात्र संख्या वाले परिसर में अगर अशांति का माहौल है तो वहां अनिवार्य रूप से छात्र परिषद चुनाव का मॉडल ही लागू किया जाना चाहिए. इसमें प्रत्यक्ष मतदान द्वारा छात्रसंघ का मॉडल सिर्फ एकल परिसर और कम छात्र संख्या वाले विश्वविद्यालयों के लिए ही उपयुक्त सुझाया गया है. अब छात्र परिषद की मंजूरी मिल जाने के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय में इस वर्ष से छात्रसंघ के स्थान पर छात्र परिषद चुनाव का मॉडल लागू होगा.

राजनीति के तहत छात्रसंघ को किया जा रहा बंद

इस पर छात्रसंघ का कहना था कि यहा पर छात्रसंघ सोची समझी राजनीति के तहत बंद किजा जा रहा है. छात्रसंघ के आरोप पर विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रसंघ चुनाव को बैन नहीं कर रहा, बल्कि 'मोड़ ऑफ इलेक्शन' में बदलाव कर रहा है. लिंगदोह कमेटी ने अपनी संस्तुति 6.1.2 और 6.2.1 में साफ-साफ निर्देश दिया है कि सिर्फ JNU और हैदराबाद विश्वविद्यालय जैसे छोटे कैंपस और कम छात्र संख्या वाले परिसर में ही प्रत्यक्ष मतदान से छात्रसंघ का गठन होगा, जबकि ज्यादा छात्र संख्या और कई परिसर वाले विश्वविद्यालय में अनिवार्य रूप से छात्र परिषद का ही गठन होगा. लिंगदोह समिति की सिफारिशें सुप्रीम कोर्ट से स्वीकृत हैं और देशभर के विश्वविद्यालयों के लिए बाध्यकारी हैं. बीते 17 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी अपने फैसले में विश्वविद्यालय को स्पष्ट निर्देश दिया था कि विश्वविद्यालय में लिंगदोह समिति के अनुसार ही चुनाव करवाए जाएं.

क्या बोले जिम्मेदार

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के जनसम्पर्क अधिकारी चितरंजन कुमार ने बताया कि छात्र परिषद चुनाव का मॉडल विश्वविद्यालय के साथ-साथ संगठक कॉलेजों पर भी लागू होगा. पिछले कई सालों से विवि का छात्रसंघ चुनाव अराजकता, उपद्रव और हत्या का केंद्र बन गया था. कई निर्वाचित छात्र नेता हत्या के आरोप में गिरफ्तार हैं. छात्र परिषद से धनबल और बाहुबल पर निश्चित रूप से अंकुश लगेगा. छात्र परिषद चुनाव का मॉडल ज्यादा व्यापक और पारदर्शी है. इसमें हर संकाय से स्नातक, परास्नातक और पीएचडी के छात्र चुनकर आएंगे. इनके द्वारा ही पदाधिकारियों का चुनाव किया जाएगा. इस पूरी प्रक्रिया में आम छात्र ही मतदान करेंगे. इसमें हर स्तर पर अधिकतम छात्रों की भागीदारी होगी.

Intro:आज इलाहाबाद विश्वविद्यालय कार्य परिषद की बैठक में छात्रसंघ की जगह छात्र परिषद चुनाव के मॉडल को सर्वसम्मति से लागू कर दिया गया। कार्य परिषद ने इस मामले पर काफी विस्तृत और गंभीर चर्चा के बाद सर्वसम्मति से अंतिम स्वीकृति दे दी यह मामला 24 जून को विद्वत परिषद में भी रखा गया था। वहां भी इसे सर्व सम्मति से स्वीकार किया गया था। कार्य परिषद के निर्णय के बाद  इलाहाबाद विश्वविद्यालय में इसी शैक्षणिक सत्र से छात्र परिषद चुनाव का मॉडल लागू होगा। 17 मई 2019 को इलाहबाद उच्च न्यायालय ने भी इस संदर्भ में विश्वविद्यालय को आदेश दिया था।





Body:बता दे कि देश भर में छात्रसंघ चुनाव के दौरान धनबल और बाहुबल का प्रयोग किया जाता था जिसके चलते छात्र संघ सीधे तौर पर आपराधिक घटनाओं को अंजाम देते थे। इस लिए इस पर अंकुश लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर लिंगदोह समिति का गठन किया गया था । लिंगदोह समिति ने छात्र संघ चुनाव को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिंगदोह समिति की सिफारिशें देशभर के विश्वविद्यालयों पर लागू कर दी गई थी। लिंगदोह समिति ने अपनी सिफारिशों में अलग-अलग कैंपस के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष चुनाव का मॉडल सुझाया था। समिति ने अपनी सिफारिशों में स्पष्ट कहा है कि ज्यादा छात्र संख्या वाले परिसर में अगर अशांति का माहौल है  तो वहां अनिवार्य रूप से छात्र परिषद चुनाव का मॉडल ही लागू किया जाना चाहिए। इसमें प्रत्यक्ष मतदान द्वारा छात्र संघ का मॉडल सिर्फ एकल परिसर और कम छात्र संख्या वाले विश्वविद्यालयों के लिए ही उपयुक्त सुझाया गया है। अब छात्र परिषद की मंजूरी मिल जाने के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय में इस वर्ष से छात्र संघ के स्थान पर  छात्र परिषद चुनाव का मॉडल लागू होगा।
इसमें छात्र संघ का कहना था कि यहा पर छात्र संघ सोची समझी राजनीति के तहत बन्द कर रहा है। इस पर विश्वविद्यालय यह स्पष्ट किया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन छात्र संघ चुनाव को बैन नहीं कर रहा, बल्कि 'मोड़ ऑफ इलेक्शन' में बदलाव कर रहा है।  लिंगदोह कमेटी ने अपनी संस्तुति 6.1.2  और 6.2.1 में साफ-साफ निर्देश दिया है कि सिर्फ जेएनयू और हैदराबाद विश्वविद्यालय जैसे छोटे कैम्पस तथा कम छात्र संख्या वाले परिसर में ही प्रत्यक्ष मतदान द्वारा  छात्र संघ का गठन होगा। जबकि ज्यादा छात्र संख्या और कई परिसर वाले विश्वविद्यालय में अनिवार्य रूप से छात्र परिषद का ही गठन होगा। लिंगदोह कमेटी की सिफारिशें सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वीकृत हैं और देशभर के विश्वविद्यालयों के लिए बाध्यकारी हैं। 17 मई 2019 को माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी अपने फैसले में विश्वविद्यालय को स्पष्ट निर्देश दिया था कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में लिंगदोह समिति के अनुसार ही चुनाव करवाए जाए।


Conclusion:छात्र परिषद चुनाव का मॉडल विश्वविद्यालय के साथ साथ संगठक कॉलेजों पर भी लागू होगा। पिछले कई सालों से इलाहाबाद विश्वविद्यालय का छात्र संघ चुनाव अराजकता ,उपद्रव और हत्या का केंद्र बन गया था। कई निर्वाचित छात्र नेता हत्या के आरोप में गिरफ्तार हैं। छात्र परिषद से धनबल और बाहुबल पर निश्चित रूप से अंकुश लगेगा। छात्र परिषद चुनाव का मॉडल ज्यादा व्यापक और पारदर्शी है। इसमें हर संकाय से स्नातक, परास्नातक और पीएचडी के छात्र चुन कर आएंगे। इनके द्वारा ही पदाधिकारियों का चुनाव किया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया में आम छात्र ही मतदान करेंगे। इसमें हर स्तर पर अधिकतम छात्रों की भागीदारी होगी।

बाईट: चितरंजन कुमार जन सम्पर्क अधिकारी इलाहाबाद विश्वविद्यालय

प्रवीण मिश्र
प्रयागराज

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