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तालाब में मां दुर्गा की मूर्ति के लेकर पूजा पांडाल समिति नाराज

संगम नगरी प्रयागराज में इस बार भी नदी में मां दुर्गा की मूर्तियां विसर्जित न करने के आदेश से दुर्गापूजा कमेटियों के आयोजक नाराज हैं. इनका कहना है कि यह मां के भक्तों का अपमान है.

पूजा पांडाल समिति नाराज
पूजा पांडाल समिति नाराज
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Published : Oct 3, 2022, 10:57 PM IST

प्रयागराजः नवरात्र की समाप्ति पर दुर्गा पूजा पांडालों में स्थापित देवी की मूर्तियों का विसर्जन बुधवार को किया जाना है. लेकिन इस बार दुर्गापूजा कमेटियां मूर्ति विसर्जन के स्थल को लेकर काफी नाराज हैं. उनका कहना है पहले नदी में विसर्जन होता था. बाद में कोर्ट के आदेश पर नदी के किनारे बनाये गए अस्थायी तालाब में विसर्जन करवाया जाने लगा. जबकि अब नदी से दूर शहर के बाहर बने तालाब मूर्ति विसर्जन करवाया जा रहा है.

पूजा पांडाल समिति नाराज

तालाब में मूर्ति विसर्जन नहीं करना चाहते लोग
उल्लेखनीय है कि संगम नगरी में पहले गंगा यमुना नदी के अंदर नाव से मूर्तियों को ले जाकर विसर्जन किया जाता था. लेकिन प्रदूषण को रोकने के लिए हाईकोर्ट ने नदियों में विसर्जन पर पाबंदी लगा दी. जिसके बाद संगम के राम घाट पर गंगा के किनारे अस्थायी तालाब बनवाया गया था. इसी तालाब में सफाई के बाद हर साल मूर्ति विसजर्न करवाया जाता था. लेकिन कोरोना काल के दौरान से मूर्ति विसर्जन के लिए संगम से दूर अंदावा इलाके में बने तालाब में मूर्तियों का विसर्जन करवाया जाने लगा. इस बार फिर से जिला प्रशासन ने अंदावा स्थित तालाब में ही विसर्जन की व्यवस्था की है. जिसको लेकर दुर्गा पूजा पांडालों के आयोजकों में काफी नाराजगी है.

प्रशासन सनातन धर्म मानने वाले लोगों का कर रहा अपमान
लोगों का कहना है कि वो लाखों रुपये खर्च करके आस्था के साथ देवी मूर्तियों की स्थापना करते हैं. देवी का आह्वान करके विधि विधान के साथ पूजा पाठ हवन आरती करते हैं. लेकिन बाद में विसर्जन के वक्त मूर्तियों को ले जाकर ऐसे तालाब में विसर्जित करना पड़ रहा है. जहां पर साफ सफाई का इंतज़ाम तक बेहतर नहीं होता है. देवी भक्तों का कहना है अंदावा के उस तालाब में मूर्ति विसर्जित करते समय ऐसा लगता है की हम मां का अपमान कर रहे हैं. प्रशासन अंदावा के पांडाल में मूर्ति विसर्जित करवाकर सनातन धर्म को मानने वालों का अपमान कर रहे हैं.दुर्गा पूजा पांडाल समिति के लोगों ने शासन प्रशासन से मांग की है कि मूर्तियों के विसर्जन के लिए संगम या नदी के आसपास में व्यवस्था करनी चाहिए.

इसे भी पढ़ें-बनारस के पूजा पंडालों में भी आग से लड़ने के इंतजाम दिखे नदारद, बोले अधिकारी- अब देंगे ट्रेनिंग

नदी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए है अच्छा फैसला
एक तरफ जहां तालाब में मूर्ति विसर्जन को लेकर पांडाल समिति के लोग नाराज हैं. वहीं पूजा पांडाल में मूर्तियों का दर्शन करने पहुंच रहे लोग विसर्जन के लिए नदी की जगह तालाब में कराए जाने के फैसले से संतुष्ट हैं. इन लोगों का कहना है कि मूर्ति विसर्जन से अगर नदी प्रदूषित होती है तो नदियों में प्रदूषण नहीं करना चाहिए.क्योंकि नदियां पर्यावरण का महत्वपूर्ण अंग हैं और पर्यावरण भी भगवान का स्वरूप ही है. ऐसे में एक नदियों में मूर्ति विसर्जन करके उन्हें प्रदूषित करके हम पर्यावरण रूपी देवी देवता का अपमान करते हैं. ऐसे में तालाब में मूर्ति विसर्जन करवाना सही फैसला है.इससे किसी को भी परेशानी नहीं होनी चाहिए.

प्रयागराजः नवरात्र की समाप्ति पर दुर्गा पूजा पांडालों में स्थापित देवी की मूर्तियों का विसर्जन बुधवार को किया जाना है. लेकिन इस बार दुर्गापूजा कमेटियां मूर्ति विसर्जन के स्थल को लेकर काफी नाराज हैं. उनका कहना है पहले नदी में विसर्जन होता था. बाद में कोर्ट के आदेश पर नदी के किनारे बनाये गए अस्थायी तालाब में विसर्जन करवाया जाने लगा. जबकि अब नदी से दूर शहर के बाहर बने तालाब मूर्ति विसर्जन करवाया जा रहा है.

पूजा पांडाल समिति नाराज

तालाब में मूर्ति विसर्जन नहीं करना चाहते लोग
उल्लेखनीय है कि संगम नगरी में पहले गंगा यमुना नदी के अंदर नाव से मूर्तियों को ले जाकर विसर्जन किया जाता था. लेकिन प्रदूषण को रोकने के लिए हाईकोर्ट ने नदियों में विसर्जन पर पाबंदी लगा दी. जिसके बाद संगम के राम घाट पर गंगा के किनारे अस्थायी तालाब बनवाया गया था. इसी तालाब में सफाई के बाद हर साल मूर्ति विसजर्न करवाया जाता था. लेकिन कोरोना काल के दौरान से मूर्ति विसर्जन के लिए संगम से दूर अंदावा इलाके में बने तालाब में मूर्तियों का विसर्जन करवाया जाने लगा. इस बार फिर से जिला प्रशासन ने अंदावा स्थित तालाब में ही विसर्जन की व्यवस्था की है. जिसको लेकर दुर्गा पूजा पांडालों के आयोजकों में काफी नाराजगी है.

प्रशासन सनातन धर्म मानने वाले लोगों का कर रहा अपमान
लोगों का कहना है कि वो लाखों रुपये खर्च करके आस्था के साथ देवी मूर्तियों की स्थापना करते हैं. देवी का आह्वान करके विधि विधान के साथ पूजा पाठ हवन आरती करते हैं. लेकिन बाद में विसर्जन के वक्त मूर्तियों को ले जाकर ऐसे तालाब में विसर्जित करना पड़ रहा है. जहां पर साफ सफाई का इंतज़ाम तक बेहतर नहीं होता है. देवी भक्तों का कहना है अंदावा के उस तालाब में मूर्ति विसर्जित करते समय ऐसा लगता है की हम मां का अपमान कर रहे हैं. प्रशासन अंदावा के पांडाल में मूर्ति विसर्जित करवाकर सनातन धर्म को मानने वालों का अपमान कर रहे हैं.दुर्गा पूजा पांडाल समिति के लोगों ने शासन प्रशासन से मांग की है कि मूर्तियों के विसर्जन के लिए संगम या नदी के आसपास में व्यवस्था करनी चाहिए.

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नदी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए है अच्छा फैसला
एक तरफ जहां तालाब में मूर्ति विसर्जन को लेकर पांडाल समिति के लोग नाराज हैं. वहीं पूजा पांडाल में मूर्तियों का दर्शन करने पहुंच रहे लोग विसर्जन के लिए नदी की जगह तालाब में कराए जाने के फैसले से संतुष्ट हैं. इन लोगों का कहना है कि मूर्ति विसर्जन से अगर नदी प्रदूषित होती है तो नदियों में प्रदूषण नहीं करना चाहिए.क्योंकि नदियां पर्यावरण का महत्वपूर्ण अंग हैं और पर्यावरण भी भगवान का स्वरूप ही है. ऐसे में एक नदियों में मूर्ति विसर्जन करके उन्हें प्रदूषित करके हम पर्यावरण रूपी देवी देवता का अपमान करते हैं. ऐसे में तालाब में मूर्ति विसर्जन करवाना सही फैसला है.इससे किसी को भी परेशानी नहीं होनी चाहिए.

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