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निर्भया फंड के इस्तेमाल को लेकर जनहित याचिका दाखिल

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Published : Jan 8, 2021, 5:39 PM IST

निर्भया केस के बाद केंद्र सरकार ने निर्भया फंड के लिए एक हजार करोड़ की राशि स्वीकृति की थी. इस राशि को महिलाओं और बालिकाओं के सशक्तिकरण और सुरक्षा पर खर्च करना था. जिसके लिए केंद्र सरकार ने विस्तृत दिशा-निर्देश भी जारी किये थे. निर्भया फंड बनाकर काफी बड़ी राशि इकट्ठा की गई थी जिसे बाद में राज्यों को वितरित किया गया था. हैरानी की बात है कि राज्य सरकारों द्वारा इस फंड का इस्तेमाल ही नहीं किया जा रहा है.

निर्भया फंड का नहीं हो रहा उपयोग
निर्भया फंड का नहीं हो रहा उपयोग

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंसा पीड़ित महिलाओं और बालिकाओं के सहायता हेतु बनाये गये निर्भया फंड का इस्तेमाल न करने की शिकायत को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकारों से चार हफ्ते में जवाब मांगा है. मामले में अगली सुनवाई 2 फरवरी को होगी.

याचिका में निर्भया फंड के खर्च तथा महिलाओं की सुरक्षा के लिए उठाये गए कदमों का ब्यौरा देने की मांग की गई है. यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति एस. शमशेरी की खण्ड पीठ ने अधिवक्ता ममता सिंह की जनहित याचिका पर दिया है.

निर्भया फंड का उपयोग न के बराबर

याचिकाकर्ता का कहना है कि 2013 में दिल्ली में हुए निर्भया केस के बाद केंद्र सरकार ने निर्भया फंड के लिए एक हजार करोड़ की राशि स्वीकृति की थी. इस राशि को महिलाओं और बालिकाओं के सशक्तिकरण और सुरक्षा पर खर्च करना था. जिसके लिए केंद्र सरकार ने विस्तृत दिशा-निर्देश भी जारी किये थे. निर्भया फंड बनाकर काफी बड़ी राशि इकट्ठा की गई थी जिसे बाद में राज्यों को वितरित किया गया था. हैरानी की बात है कि राज्य सरकारों द्वारा इस फंड का इस्तेमाल ही नहीं किया जा रहा है.

अब तक मात्र 11 प्रतिशत राशि ही हुई खर्च

याचिकाकर्ता का कहना है कि अब तक पूरी राशि का मात्र 11 प्रतिशत (252 करोड़) ही खर्च किया गया है. 18 राज्यों के उपलब्ध आकड़ों के अनुसार केवल 15 प्रतिशत फंड खर्च किया गया है. महाराष्ट्र में 2019 तक एक भी पैसा खर्च नहीं किया गया है. त्रिपुरा और केरल ने अपने निर्भया फंड का मात्र 3 प्रतिशत, मणिपुर ने 4 प्रतिशत, गुजरात, पश्चिम बंगाल और दिल्ली ने 5 प्रतिशत ही खर्च किया. तेलंगाना, कर्नाटक और उड़ीसा ने अपने निर्भया फंड से केवल 6 प्रतिशत राशि ही खर्च की.

महिला उत्पीड़न के मामलों में लगातार वृद्धि

दूसरी ओर महिलाओं और बालिकाओं के विरुद्ध हिंसा में रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी हुई है. 2015 में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 3,29,243 मामले दर्ज हुए, जबकि 2016 में यह आंकड़ा बढ़कर 3,38,954 तक पहुंच गया. 2017 में यह आंकड़ा फिर बढ़कर 3,59,849 पर पहुंच गया. बालिकाओं के विरुद्ध भी हिंसा के आंकड़े दिल दहलाने वाले हैं. 2015, 2016, 2017 में यह क्रमशः 94,172, 1,06,958 और 1,29,032 रहा. ये सारे आंकड़े नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी किए गए हैं.

याचिकाकर्ता ने महिला के खिलाफ होने वाले अपराधों पर अंकुश लगाने तथा पीड़ित महिलाओं के इलाज व पुनर्वास पर निर्भया फंड की राशि का सदुपयोग करने के लिए समादेश जारी करने की मांग की है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंसा पीड़ित महिलाओं और बालिकाओं के सहायता हेतु बनाये गये निर्भया फंड का इस्तेमाल न करने की शिकायत को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकारों से चार हफ्ते में जवाब मांगा है. मामले में अगली सुनवाई 2 फरवरी को होगी.

याचिका में निर्भया फंड के खर्च तथा महिलाओं की सुरक्षा के लिए उठाये गए कदमों का ब्यौरा देने की मांग की गई है. यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति एस. शमशेरी की खण्ड पीठ ने अधिवक्ता ममता सिंह की जनहित याचिका पर दिया है.

निर्भया फंड का उपयोग न के बराबर

याचिकाकर्ता का कहना है कि 2013 में दिल्ली में हुए निर्भया केस के बाद केंद्र सरकार ने निर्भया फंड के लिए एक हजार करोड़ की राशि स्वीकृति की थी. इस राशि को महिलाओं और बालिकाओं के सशक्तिकरण और सुरक्षा पर खर्च करना था. जिसके लिए केंद्र सरकार ने विस्तृत दिशा-निर्देश भी जारी किये थे. निर्भया फंड बनाकर काफी बड़ी राशि इकट्ठा की गई थी जिसे बाद में राज्यों को वितरित किया गया था. हैरानी की बात है कि राज्य सरकारों द्वारा इस फंड का इस्तेमाल ही नहीं किया जा रहा है.

अब तक मात्र 11 प्रतिशत राशि ही हुई खर्च

याचिकाकर्ता का कहना है कि अब तक पूरी राशि का मात्र 11 प्रतिशत (252 करोड़) ही खर्च किया गया है. 18 राज्यों के उपलब्ध आकड़ों के अनुसार केवल 15 प्रतिशत फंड खर्च किया गया है. महाराष्ट्र में 2019 तक एक भी पैसा खर्च नहीं किया गया है. त्रिपुरा और केरल ने अपने निर्भया फंड का मात्र 3 प्रतिशत, मणिपुर ने 4 प्रतिशत, गुजरात, पश्चिम बंगाल और दिल्ली ने 5 प्रतिशत ही खर्च किया. तेलंगाना, कर्नाटक और उड़ीसा ने अपने निर्भया फंड से केवल 6 प्रतिशत राशि ही खर्च की.

महिला उत्पीड़न के मामलों में लगातार वृद्धि

दूसरी ओर महिलाओं और बालिकाओं के विरुद्ध हिंसा में रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी हुई है. 2015 में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 3,29,243 मामले दर्ज हुए, जबकि 2016 में यह आंकड़ा बढ़कर 3,38,954 तक पहुंच गया. 2017 में यह आंकड़ा फिर बढ़कर 3,59,849 पर पहुंच गया. बालिकाओं के विरुद्ध भी हिंसा के आंकड़े दिल दहलाने वाले हैं. 2015, 2016, 2017 में यह क्रमशः 94,172, 1,06,958 और 1,29,032 रहा. ये सारे आंकड़े नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी किए गए हैं.

याचिकाकर्ता ने महिला के खिलाफ होने वाले अपराधों पर अंकुश लगाने तथा पीड़ित महिलाओं के इलाज व पुनर्वास पर निर्भया फंड की राशि का सदुपयोग करने के लिए समादेश जारी करने की मांग की है.

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