प्रयागराज : आपको बता दें कि प्रयागराज के कर्नलगंज थाना क्षेत्र में म्योर रोड के रहने वाले महावीर यादव आईएएस के पद से रिटायर हुए थे. उनका बेटा शशांक यादव जो कि आईआरएस अधिकारी है और इस वक्त चीफ कंट्रोलर ऑफ फैक्ट्रीज के पद पर तैनात है. उसको 2 दिन पहले एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने राजस्थान के कोटा शहर से गिरफ्तार किया है. एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम को तलाशी के दौरान शशांक की गाड़ी से तकरीबन 16 लाख रुपए बरामद हुए थे. गिरफ्तारी के बाद उससे पूछताछ की जा रही है.
दरअसल, एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम को जानकारी मिली थी, शशांक यादव अपने पद का इस्तेमाल करके किसानों से मोटी रकम की वसूली कर रहे हैं. अपने परिचितों की मिलीभगत से अफीम में मारफीन का प्रतिशत ज्यादा बताकर ये किसानों से अवैध वसूली करता है. इसके साथ ही किसानों को आरी का पट्टा दिलवाने के बदले प्रति किसान से 80 हजार रुपये तक ली जा रही थी.
अनुमान के मुताबिक इस कार्य से जुड़े लगभग 40 हजार किसानों से वसूली करने करके शशांक ने रातो रात अरबपति बनने का सपना देख लिया था. उसने किसानों से रकम वसूली का कोई मौका नहीं छोड़ा. अलग अलग वजह बताकर किसानों से वसूली करने में लिप्त हो गया था. इसकी वजह से किसान त्रस्त हो गए थे. अंत में उन्हीं किसानों से मिली सटीक जानकारी के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो ने अपना जाल बिछाया और उसमें ये लालची अफसर फंस गया.
देश में दो जगहों पर अफीम की फैक्ट्री है. इसके जीएम की जिम्मेदारी आईआरएस ऑफिसर शशांक यादव के पास ही थी. इसी वजह से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के साथ ही राजस्थान के कई जिलों के किसानों से वसूली करता था. राजस्थान से किसानों से वसूली गयी रकम को लेकर लौटते वक्त ही एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने उसे रास्ते में रोक लिया. गाड़ी की तलाशी लेने के बाद बरामद रुपयों के साथ उसको टीम ने गिरफ्तार कर लिया. बहरहाल, एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम उससे पूछताछ कर और जानकारी जुटा रही है. वहीं इस मसले पर प्रयागराज में शशांक यादव के घर पर मौजूद उनके घरवाले किसी से बात नहीं कर रहे हैं.
ईटीवी भारत की टीम जब म्योर रोड स्थित डॉ शशांक यादव के घर पहुंची तो वहां पर शशांक के पिता रिटायर आईएएस अफसर महावीर यादव से मुलाकात हुई. लेकिन इस मामले पर रिटायर आईएएस ने कुछ भी बोलने से साफ इंकार कर दिया. नाराजगी जताते हुए उनका कहना था कि जो लोग खबरें लिख रहे हैं उन्हीं से जानकारी ले लीजिए. उनका कहना था इस पूरे घटना के पीछे की सच्चाई क्या है, इस बारे में उनके परिवार को अभी कोई जानकारी नहीं है.
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आप को बता दें, महावीर यादव आईएएस के पद से रिटायर हुए थे. उन्होंने नौकरी की शुरुआत यूपी में पीसीएस अफसर के रूप में की थी. बाद में प्रमोशन पाकर वो आईएएस अफसर बन गए थे. आईएएस होने के बाद प्रयागराज समेत कुछ दूसरे जिलों में जिलाधिकारी के पद पर भी तैनात रहे हैं. ड्यूटी के दौरान महावीर यादव पर भी सपा के लिए काम करने का आरोप लगता था. लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान उनके ऊपर सीधे तौर पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा था.