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राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व होने वाले धार्मिक आयोजनों को रोकने के लिए हाईकोर्ट याचिका दाखिल - Allahabad High Court

इलाहाबाद हाईकोर्ट में एआईएलयू ने जनहित याचिका दाखिल कर राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व होने वाले धार्मिक आयोजनों को रोकने के याचिका दाखिल की है. कहा है कि यह संविधान के खिलाफ है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 16, 2024, 9:05 PM IST

प्रयागराजः राम जन्म भूमि प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पूर्व 14 से 22 जनवरी तक पूरे राज्य में धार्मिक समारोह आयोजित करने के सरकार के निर्णय को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन ने जनहित याचिका दाखिल कर इस संबंध में मुख्य सचिव द्वारा जारी शासनादेश को रद्द किए जाने की मांग की है. हालांकि याचिका पर अभिलंब सुनवाई किए जाने की मांग को हाईकोर्ट ने अस्वीकार कर दिया है. कोर्ट ने नियमित रूप से नंबर आने पर ही इसकी सुनवाई हो सकेगी.

जनहित याचिका में कहा गया है कि 21 दिसंबर 2023 को मुख्य सचिव ने शासनादेश जारी कर सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह अपने-अपने जिले में 14 से 22 जनवरी तक सभी मंदिरों में भजन, कीर्तन, रामायण, मानस पाठ, रथ यात्रा, कलश यात्रा आदि आयोजन करवाएं. इस कार्यक्रम में सभी गांव, ब्लॉक, जिला और शहरों में आंगनवाड़ी, आशा बहुएं, एएनएम आदि कर्मचारियों का सहयोग लेने का भी निर्देश दिया गया है. साथ ही कथा वाचकों, कीर्तन मंडलियों आदि को राजकीय कोष से 590 लख रुपए भुगतान के लिए जारी किए गए हैं.

याचिका में कहा गया है कि सरकार के द्वारा ऐसा करना संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र और संविधान के अनुच्छेद 25, 26 व 27 का उल्लंघन है. जिसके अनुसार राज्य किसी भी धार्मिक गतिविधि में शामिल नहीं होगा और उससे निरपेक्ष रहने की संविधान अपेक्षा करता है. संविधान के अनुसार राज्य का अपना कोई धार्मिक चरित्र नहीं होगा. जनहित याचिका ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष नरोत्तम शुक्ला और अधिवक्ता आशुतोष कुमार तिवारी अरविंद कुमार राय राकेश कुमार गुप्त गुंजन शर्मा धर्मेंद्र सिंह आदि ने दाखिल की है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम के गुप्ता के समक्ष याचिका पर जल्दी सुनवाई की मांग की गई, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया है.

इसे भी पढ़ें-स्कूलों में छात्र करेंगे रामस्तुति, जय श्रीराम से अभिवादन करने की अपील

प्रयागराजः राम जन्म भूमि प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पूर्व 14 से 22 जनवरी तक पूरे राज्य में धार्मिक समारोह आयोजित करने के सरकार के निर्णय को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन ने जनहित याचिका दाखिल कर इस संबंध में मुख्य सचिव द्वारा जारी शासनादेश को रद्द किए जाने की मांग की है. हालांकि याचिका पर अभिलंब सुनवाई किए जाने की मांग को हाईकोर्ट ने अस्वीकार कर दिया है. कोर्ट ने नियमित रूप से नंबर आने पर ही इसकी सुनवाई हो सकेगी.

जनहित याचिका में कहा गया है कि 21 दिसंबर 2023 को मुख्य सचिव ने शासनादेश जारी कर सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह अपने-अपने जिले में 14 से 22 जनवरी तक सभी मंदिरों में भजन, कीर्तन, रामायण, मानस पाठ, रथ यात्रा, कलश यात्रा आदि आयोजन करवाएं. इस कार्यक्रम में सभी गांव, ब्लॉक, जिला और शहरों में आंगनवाड़ी, आशा बहुएं, एएनएम आदि कर्मचारियों का सहयोग लेने का भी निर्देश दिया गया है. साथ ही कथा वाचकों, कीर्तन मंडलियों आदि को राजकीय कोष से 590 लख रुपए भुगतान के लिए जारी किए गए हैं.

याचिका में कहा गया है कि सरकार के द्वारा ऐसा करना संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र और संविधान के अनुच्छेद 25, 26 व 27 का उल्लंघन है. जिसके अनुसार राज्य किसी भी धार्मिक गतिविधि में शामिल नहीं होगा और उससे निरपेक्ष रहने की संविधान अपेक्षा करता है. संविधान के अनुसार राज्य का अपना कोई धार्मिक चरित्र नहीं होगा. जनहित याचिका ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष नरोत्तम शुक्ला और अधिवक्ता आशुतोष कुमार तिवारी अरविंद कुमार राय राकेश कुमार गुप्त गुंजन शर्मा धर्मेंद्र सिंह आदि ने दाखिल की है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम के गुप्ता के समक्ष याचिका पर जल्दी सुनवाई की मांग की गई, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया है.

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