प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि थानाध्यक्ष को केस दर्ज कर विवेचना करने के मजिस्ट्रेट के आदेश के विपरीत डीआईजी द्वारा विवेचना दूसरे थाने में स्थानांतरित करना विधि विरुद्ध है.
कोर्ट ने डीआईजी कानपुर नगर के 24 मार्च 21 को पारित आदेश को रद्द कर दिया है और नये सिरे से केस की विवेचना विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेशानुसार कोतवाली कानपुर नगर में स्थानांतरित करने का आदेश पारित करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार तथा न्यायमूर्ति एस पी सिंह की खंडपीठ ने अमित सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है.
याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता दिलीप कुमार व मनीष सिंह ने बहस की. इनका कहना था कि याची ने धारा 156(3)दंड प्रक्रिया संहिता के तहत अर्जी दी।जिसे स्वीकार करते हुए मजिस्ट्रेट ने थानाध्यक्ष कोतवाली कानपुर नगर को एफ आई आर दर्ज कर विवेचना करने का आदेश दिया.
इससे पहले कल्याणपुर थाने में याची के खिलाफ स्वयं को भूस्वामी बताते हुए पावर आफ अटार्नी के जरिए धोखाधड़ी पडयंत्र कर जमीन बेचने के आरोप में एफआईआर दर्ज थी, जिसमें पुलिस ने दो अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है और याची सहित शेष के खिलाफ विवेचना जारी है.
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डीआईजी ने कोतवाली में याची की अर्जी पर मजिस्ट्रेट के आदेश से दर्ज केस की विवेचना कल्याणपुर थाने में स्थानांतरित कर दी, जिसे यह कहते हुए चुनौती दी गई कि विवादित जमीन कोतवाली क्षेत्र में है. याची के केस की विवेचना का मजिस्ट्रेट ने थानाध्यक्ष को दिया है. डीआईजी ने विवेचना स्थानांतरित कर मजिस्ट्रेट के आदेश पर अपील सुनने जैसा काम किया है. उन्हें ऐसा न कर मजिस्ट्रेट की अदालत में आदेश संशोधित करने की अर्जी देनी चाहिए थी. मजिस्ट्रेट के आदेश के विपरीत आदेश देने का डीआईजी को अधिकार नहीं है.
सरकारी वकील ने कहा कि पुलिस महानिदेशक का सर्कुलर है कि यदि एक ही विवाद को लेकर कई थानों में एफआईआर दर्ज कराई गई है तो सभी को एक थाने में विवेचना का आदेश दिया जाए. कोर्ट ने कहा कि डीआईजी को कल्याणपुर थाने के केस को कोतवाली में स्थानांतरित करना चाहिए था इसलिए कोतवाली में विवेचना स्थानांतरित की जाए.
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