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डीएम मथुरा के खिलाफ गैर जमानती वारंट, 12 मई को हाईकोर्ट में पेश होने का आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीएम मथुरा नवनीत चहल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है. उन्हें 12 मई को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया गया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : May 2, 2022, 7:46 AM IST

Updated : May 2, 2022, 8:19 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी मथुरा नवनीत चहल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है. उन्हें 12 मई को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया गया है. कोर्ट ने यह आदेश जिलाधिकारी द्वारा कोर्ट आदेश की जानबूझकर अवहेलना करने और कोर्ट आदेश के विपरीत अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने पर दिया है.

कहा कि कोर्ट की गरिमा एवं मर्यादा कायम रखने और न्याय व्यवस्था पर जन विश्वास बनाए रखने के लिए कोर्ट आंख बंद किए नहीं रह सकता. हाईकोर्ट ने कहा कि जिलाधिकारी से उम्मीद की जाती है कि उसे इस बेसिक कानून की जानकारी होगी कि कोर्ट आदेश पर रोक नहीं है तो वह लागू रहेगा और प्राधिकारी को उसका पालन करना बाध्यकारी होगा. इसके बावजूद जिलाधिकारी ने कोर्ट की अवज्ञा की है. यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने बृजमोहन शर्मा की अवमानना याचिका पर दिया.

जिलाधिकारी ने याची को नियमित करने से पहले की सेवा को क्वालीफाइंग सेवा नहीं माना और कहा कि वह पेंशन पाने का हकदार नहीं हैं. हाईकोर्ट ने इस आदेश को रद्द कर दिया और 1996 से याची की सेवा मानते हुए पेंशन निर्धारित करने का आदेश दिया. पालन न करने पर कोर्ट ने नोटिस जारी की और अनुपालन रिपोर्ट मांगी.

यह भी पढ़ें: चंदौली: पुलिस रेड के दौरान युवती की मौत, थाना प्रभारी सस्पेंड, परिवार ने कहा- पुलिस ने पीट-पीटकर मार डाला

जिलाधिकारी ने अनुपालन हलफनामा दाखिल कर कहा कि कोर्ट आदेश की पुनर्विचार अर्जी दी गई है. उसके तय होने तक याची पेंशन पाने का हकदार नहीं हैं. इसे कोर्ट ने गंभीरता से लिया और कहा कि जिलाधिकारी ने कोर्ट आदेश के खिलाफ अपील अधिकारी बन आदेश देकर कोर्ट की अवज्ञा की है. कोर्ट ने आश्चर्य प्रकट किया कि स्पष्ट आदेश के बावजूद जिलाधिकारी ऐसा आदेश दे रहा है. उसने कोर्ट की घोर अवहेलना की है. याचिका की सुनवाई 12 मई को होगी.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी मथुरा नवनीत चहल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है. उन्हें 12 मई को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया गया है. कोर्ट ने यह आदेश जिलाधिकारी द्वारा कोर्ट आदेश की जानबूझकर अवहेलना करने और कोर्ट आदेश के विपरीत अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने पर दिया है.

कहा कि कोर्ट की गरिमा एवं मर्यादा कायम रखने और न्याय व्यवस्था पर जन विश्वास बनाए रखने के लिए कोर्ट आंख बंद किए नहीं रह सकता. हाईकोर्ट ने कहा कि जिलाधिकारी से उम्मीद की जाती है कि उसे इस बेसिक कानून की जानकारी होगी कि कोर्ट आदेश पर रोक नहीं है तो वह लागू रहेगा और प्राधिकारी को उसका पालन करना बाध्यकारी होगा. इसके बावजूद जिलाधिकारी ने कोर्ट की अवज्ञा की है. यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने बृजमोहन शर्मा की अवमानना याचिका पर दिया.

जिलाधिकारी ने याची को नियमित करने से पहले की सेवा को क्वालीफाइंग सेवा नहीं माना और कहा कि वह पेंशन पाने का हकदार नहीं हैं. हाईकोर्ट ने इस आदेश को रद्द कर दिया और 1996 से याची की सेवा मानते हुए पेंशन निर्धारित करने का आदेश दिया. पालन न करने पर कोर्ट ने नोटिस जारी की और अनुपालन रिपोर्ट मांगी.

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जिलाधिकारी ने अनुपालन हलफनामा दाखिल कर कहा कि कोर्ट आदेश की पुनर्विचार अर्जी दी गई है. उसके तय होने तक याची पेंशन पाने का हकदार नहीं हैं. इसे कोर्ट ने गंभीरता से लिया और कहा कि जिलाधिकारी ने कोर्ट आदेश के खिलाफ अपील अधिकारी बन आदेश देकर कोर्ट की अवज्ञा की है. कोर्ट ने आश्चर्य प्रकट किया कि स्पष्ट आदेश के बावजूद जिलाधिकारी ऐसा आदेश दे रहा है. उसने कोर्ट की घोर अवहेलना की है. याचिका की सुनवाई 12 मई को होगी.

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Last Updated : May 2, 2022, 8:19 AM IST
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