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चुप ताजिया के साथ खत्म हुआ माह-ए-मुहर्रम

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में शहीदों की याद में मनाए जाने वाले गम का सिलसिला चुप ताजिया निकलने के साथ सोमवार शाम को समाप्त हो गया. इमामबाड़े के अन्दर ही कर्बला के 72 शहीदों की राहे हक में दी गई कुरबानी का जिक्र किया गया. इस दौरान कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन करते हुए कोई जुलूस नहीं निकाला गया.

खत्म हुआ माहे मुहर्रम
खत्म हुआ माहे मुहर्रम
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Published : Oct 27, 2020, 6:00 AM IST

प्रयागराज: जिले में शिया समुदाय का 2 माह 8 दिनों तक चलने वाले और शहीदों की याद में मनाए जाने वाले गम का सिलसिला चुप ताजिया निकलने के साथ सोमवार शाम को समाप्त हो गया. सोमवार को दस दिवसीय अशरा ए चुप ताज़िया के अंतिम दिन चुप ताजिया जुलूस नहीं निकाला गया. इमामबाड़े के अन्दर ही कर्बला के 72 शहीदों की राहे हक में दी गई कुरबानी का जिक्र किया गया. शबीहे ताबूत, चुप ताजिया, अलम और ज़ुलजनाह की शबीह की जियारत इमामबाड़े के अन्दर ही करवाई गई.

खत्म हुआ माहे मुहर्रम

सैयद मोहम्मद अस्करी ने बताया इस साल कर्बला के शहीदों की याद में मनाए जाने वाले मोहर्रम में कोविड-19 के बढ़ते के संक्रमण को देखते हुए कोई भी जुलूस नहीं निकाला गया. जिला प्रशासन की गाइड लाइन में किसी भी जुलूस, मातम मजलिस, जंजीर का मातम, अंगारे का मातम पर पूरी तरीके से रोक लगी थी. कर्बला के शहीदों की याद में सारे कार्यक्रम इमामबाड़ा घरों में दरगाह में किए गए थे. इमामबाड़ा के आसपास सैनिटाइजेशन करवाने के बाद मास्क लगाने के उपरान्त ही अकीदतमन्दों को इमामबाड़े में प्रवेश कराया गया. सुबह 9 बजे से दिन भर जियारत करने वालों का तांता लगा रहा.

नौहा अलवेदा पढ़ने के बात समाप्त हुआ माहे मोहर्रम का दौर
दरियाबाद के बंगले से तुराब हैदर की देख रेख में निकलने वाला चुप ताजिया और अमारी का जुलूस इस वर्ष नहीं निकालते हुए इमामबाड़ा परिसर में दिन में 2 बजे मजलिस हुई. एक एक मातमी अन्जुमनों से मात्र एक नौहा पढ़ने के बाद अपनी अन्जुमन के परचम के साथ बिना नौहा और मातम के सादगी के साथ अरब अली खां के इमामबाड़े में प्रवेश कराया गया. जहां प्रत्येक अन्जुमनों को आधा घन्टा नौहा और अलवेदा पढ़ने की इजाज़त दी गई. चुप ताजिए का कार्यक्रम आज रात 8 बजे समाप्त करते हुए मातमी दस्तों को क्रम वार आमंत्रित कर नौहा पढ़ने और मातम करने के बाद भीड़ न लगाते हुए अपने अपने घर जाने की हिदायत दी जाती रही.

फूल चढ़ाकर मांगी मन्नत
अंत में अलम ताज़िया, ताबूत, ज़ुलजनाह और अमारी पर महिलाएं पुरुष ने फूल माला चढ़ाकर मन्नते और मुरादें मांगी. देर रात तबर्रुकात पर चढ़ाए गए फूलों को गमजदा माहौल में कब्रिस्तान में दफनाते हुए समाप्त किया गया. अय्यामे अजा के दो माह और आठ दिनों तक कोविड 19 के बाद भी घरों और इमामबाड़ों के अन्दर सभी मातमी कार्यक्रम को सकुशल सम्पन्न कराने में जिला प्रशासन ने सहयोग किया. सहयोग के लिए शहर के उलेमाओं और मातमी अन्जुमनों ने प्रशासन की सराहना करते हुए संबंधित थाना अध्यक्ष सहित तमाम आला अधिकारियों के सहयोग के लिए आभार जताया.

प्रयागराज: जिले में शिया समुदाय का 2 माह 8 दिनों तक चलने वाले और शहीदों की याद में मनाए जाने वाले गम का सिलसिला चुप ताजिया निकलने के साथ सोमवार शाम को समाप्त हो गया. सोमवार को दस दिवसीय अशरा ए चुप ताज़िया के अंतिम दिन चुप ताजिया जुलूस नहीं निकाला गया. इमामबाड़े के अन्दर ही कर्बला के 72 शहीदों की राहे हक में दी गई कुरबानी का जिक्र किया गया. शबीहे ताबूत, चुप ताजिया, अलम और ज़ुलजनाह की शबीह की जियारत इमामबाड़े के अन्दर ही करवाई गई.

खत्म हुआ माहे मुहर्रम

सैयद मोहम्मद अस्करी ने बताया इस साल कर्बला के शहीदों की याद में मनाए जाने वाले मोहर्रम में कोविड-19 के बढ़ते के संक्रमण को देखते हुए कोई भी जुलूस नहीं निकाला गया. जिला प्रशासन की गाइड लाइन में किसी भी जुलूस, मातम मजलिस, जंजीर का मातम, अंगारे का मातम पर पूरी तरीके से रोक लगी थी. कर्बला के शहीदों की याद में सारे कार्यक्रम इमामबाड़ा घरों में दरगाह में किए गए थे. इमामबाड़ा के आसपास सैनिटाइजेशन करवाने के बाद मास्क लगाने के उपरान्त ही अकीदतमन्दों को इमामबाड़े में प्रवेश कराया गया. सुबह 9 बजे से दिन भर जियारत करने वालों का तांता लगा रहा.

नौहा अलवेदा पढ़ने के बात समाप्त हुआ माहे मोहर्रम का दौर
दरियाबाद के बंगले से तुराब हैदर की देख रेख में निकलने वाला चुप ताजिया और अमारी का जुलूस इस वर्ष नहीं निकालते हुए इमामबाड़ा परिसर में दिन में 2 बजे मजलिस हुई. एक एक मातमी अन्जुमनों से मात्र एक नौहा पढ़ने के बाद अपनी अन्जुमन के परचम के साथ बिना नौहा और मातम के सादगी के साथ अरब अली खां के इमामबाड़े में प्रवेश कराया गया. जहां प्रत्येक अन्जुमनों को आधा घन्टा नौहा और अलवेदा पढ़ने की इजाज़त दी गई. चुप ताजिए का कार्यक्रम आज रात 8 बजे समाप्त करते हुए मातमी दस्तों को क्रम वार आमंत्रित कर नौहा पढ़ने और मातम करने के बाद भीड़ न लगाते हुए अपने अपने घर जाने की हिदायत दी जाती रही.

फूल चढ़ाकर मांगी मन्नत
अंत में अलम ताज़िया, ताबूत, ज़ुलजनाह और अमारी पर महिलाएं पुरुष ने फूल माला चढ़ाकर मन्नते और मुरादें मांगी. देर रात तबर्रुकात पर चढ़ाए गए फूलों को गमजदा माहौल में कब्रिस्तान में दफनाते हुए समाप्त किया गया. अय्यामे अजा के दो माह और आठ दिनों तक कोविड 19 के बाद भी घरों और इमामबाड़ों के अन्दर सभी मातमी कार्यक्रम को सकुशल सम्पन्न कराने में जिला प्रशासन ने सहयोग किया. सहयोग के लिए शहर के उलेमाओं और मातमी अन्जुमनों ने प्रशासन की सराहना करते हुए संबंधित थाना अध्यक्ष सहित तमाम आला अधिकारियों के सहयोग के लिए आभार जताया.

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